विशेष

काश! कोई होता,,,व्यभिचार और परस्त्रीगमन आपकी आत्मा, जीवन और शरीर को नष्ट कर देंगे!

Rajendra Yadav
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काश! कोई होता,,,
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सपनों के हाथ में खंजर,,फिर उन सपनों का आपस में द्वंद्व,,,बस इतनी सी जिंदगी है,,शरीर तो फिर भी शरीर ही है,,,बचपन से आज तक संघर्ष ही संघर्ष झेला उसने,,,बाप मर गया,,बाप मरने के लिए ही था,,, दुःखी हुआ ,,निराश हुआ,,बेसहारा हुआ,,भगवान से रोया गिड़गिड़ाया,,कई बार तो मरने को किया,,,पर किसी ने नहीं सुनी,,जिंदगी का अर्धांश बीता,,,किसी ने प्यार से उसके बालों को शायद ही कभी सहलाया हो,,प्रेम से अतृप्त व्यक्ति,,,,कैसे महसूस किया होगा उसने,,,कितना दर्द भोगा होगा उसने,,फिर कुछ मुसाफिरों ने उसे एक ऐसे खूंटे से बांधा कि वहां बंजर था,,मन को भरने की कोई चीज नहीं थी वहां,,,दो एक जगह उसने प्रयास किया कि शायद कोई प्रेम करे,,पर नहीं,,वो निकल गए,,छोड़कर,,प्रेम भी न कितना अद्भुत,,अलौकिक है,,अपने मूल रूप में नहीं आता कभी,,
आगे चलकर उसने एक बहुत वजन बोझ उठाया,,और चल पड़ा,,दुर्गम पर,,अब वो अपने बोझ से बहुत प्यार करता है,,
लेकिन अभी वो रिक्त है,,उसकी रिक्तता से उसका बोझ अनजान है,,उसमें अभी एक तड़प है,,कशिश है,,खोजता है प्रेम,,,उसके मूल रूप में,,लेकिन वो तो मजदूर है,,
मजदूर को कौन चाहेगा,,भला??,,वो आज भी अकेले है,,
उन्हीं पगडंडियों पर,,
अब वो दार्शनिक हो गया है,,अनपढ़ दार्शनिक,,,अब वो आम महुए से बात करने लगा है,,,उनमें प्रेम ढूंढता है,,
कहता है,,पेड़ तो सम्पूर्ण हैं,,,खड़े खड़े सब पा लेते हैं,,प्रेम को हम खोजते हैं,,जबकि प्रेम उसके पास चलकर जाता है,,,ये सब बहुत अद्भुत है,,
फिर वो एक लड़की बन जाता हैं,,खुद में प्रेम ढूंढता है,,
पर यहां भी खाली हाथ,,,यहां पर ढेर सारे सवाल उबलने लगते हैं ,,उत्तरों की आंच से,,,,,क्या मायने रखता है,,शारीरिक श्रम,,क्या मोल है इसका,,,उसके मन में तो अब यहीं है कि,,,,मरेगा तो शायद पूरी तरह मरेगा,,
क्योंकि जिएगा किसके भीतर,,,,?कोई अपना है ही नहीं,,,काश! कोई अपना होता,,,!!!

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 5:5
उसके पाँव मृत्यु की ओर बढ़ते हैं, और उसके पग अधोलोक तक पहुँचते हैं।
जीवन मृत्यु से भी बद्तर हो सकता है, और जीवन अधोलोक के समान भी हो सकता है, जैसा कि इन नीतिवचन में प्रयुक्त रूपक द्वारा सूचित किया गया है। अगर आप मृत्यु और अधोलोक का बार-बार अनुभव पाना चाहते हैं तो एक वेश्या स्त्री इसका निश्चित मार्ग है (नीतिवचन 2:18-19; 7:27; 9:18)। यौन पाप जो आँखों और शरीर की वासनाओं की भूक से उभरते हैं, मृत्यु और अधोलोक की ओर ले जाते हैं। व्यभिचार और परस्त्रीगमन आपकी आत्मा, जीवन और शरीर को नष्ट कर देंगे, और वे आपको इस दुनिया में और इसके बाद की दुनिया में अधोलोक की ओर ले जाएंगे।

सुलैमान ने इस अध्याय में अपने पुत्र और आम रूप से सभी मनुष्यों को व्यभिचार के विरुद्ध चेतावनी दीं (नीतिवचन 5:1)। उसने बुद्धि, समझ, विवेक, और ज्ञान का प्रस्ताव रखा (नीतिवचन 5:1-2)। उसने पुरुषों को पराई स्त्री के आकर्षक प्रलोभन और उसके भयानक खतरों से बचाने की कोशिश की (नीतिवचन 5:3)। उसने दर्दनाक परिणामों (नीतिवचन 5:4-14), एक अच्छे वैवाहिक जीवन की सुरक्षा (नीतिवचन 5:15-20), परमेश्वर की सर्वज्ञता (नीतिवचन 5:21), और यौन पापों पर परमेश्वर के न्याय (नीतिवचन 5: 22-23) आदि बातों का वर्णन किया।

सुलैमान को स्त्रियों के साथ सौ पुरुषों की तुलना में अधिक अनुभव था। उसकी 700 पत्नियाँ और 300 रखेलियाँ थीं, और ये उच्च वर्ग की महिलाएँ थीं (1 राजा 11:3)। परमेश्वर ने उसे उनके ख़तरों का विश्लेषण करने के लिए विशाल बुद्धि और समझ दी (1 राजा 4:29)। वह अपनी माँ के साथ अपने पिता के व्यभिचार से ज्ञात था (2 शमूएल 11:1 – 12:25), वह अपने भाई अम्नोन के अपनी बहन के साथ व्यभिचार को जानता था (2 शमूएल 13:1-39), वह अपने पिता की रखैलों के साथ अपने भाई अबशालोम की मूर्खता के बारे में भी जानता था (2 शमूएल) 16:21-22), और उसके भाई अदोनिय्याह का अबीशग के प्रति जुनून जानता था (1 राजा 2:12-25)।

उसने कई बार मृत्यु और अधोलोक, अर्थात पीड़ाओ और संकटों से भरा दयनीय जीवन देखा, जिसकी वजह व्यभिचार था। सभी मनुष्य शारीरिक रूप से मरते हैं, लेकिन वे इस जीवन में आनंद और सफलता की दृष्टि से भी मर सकते हैं। दुष्ट लोग मरने के बाद अधोलोक में जाते हैं, लेकिन इस जीवन में एक और अधोलोक है – अपराधबोध, दुख, हार और पीड़ा से भरा एक यातनापूर्ण अस्तित्व। पवित्रशास्त्र मृत्यु और अधोलोक का उपयोग आमतौर पर इसी लाक्षणिक अंदाज़ से करता है (नीतिवचन 23:14; भजन 18:5; 86:13; 116:3; योना 2:2; लूका 15:24; 1 तीमु 5:6; याकूब 5:20)। .

“दूसरी औरत” ने कई घरों को उजाड़ दिया है। बच्चे भ्रम में पड़ गएँ; लम्बे समय से टिकी हुई शादियाँ टूट गई; मन का दर्द कई गुना बढ़ गया। पुरुषों ने इस जघन्य पाप से अपनी नौकरी, अपना लक्ष्य, अपना स्वास्थ्य, अपना धन, अपनी पत्नी, अपने बच्चे, अपनी प्रतिष्ठा, अपना आत्मविश्वास, अपनी शांति और अपनी आत्मा, सबकुछ खो दिया है। इसके परिणामों वर्णन मृत्यु और अधोलोक के रूप में किया जाना बिलकुल सही है। किसी भी समझदार पुरुष से पूछो जो व्यभिचार के मौत के मुँह से लौटकर वापस आया है (नीतिवचन 5:14; भजन 51:8)।

मार्क एंटनी ने मन-मोहिनी क्लियोपेट्रा के जाल में फंसकर रोम का साम्राज्य और अपने जीवन को खो दिया। ये शब्द – मृत्यु और अधोलोक – लूत का ठीक ठीक वर्णन करते हैं, जिसने अपनी बेटियों को गर्भवती करने के बाद एक गुफा में बेसहारा जीवन बिताया (उत्पत्ति 19:30-38), और शिमशोन का, जिसकी पलिश्तियों ने आँखें निकालने बाद उनके लिए चक्की पीसने की हालत में आ गया था (न्यायियों 16:21)। सुलैमान स्वयं जानता था कि ऐसी स्त्री मृत्यु से भी अधिक कड़वी होती है (सभोपदेशक 7:26)।
फिर भी यह कम सच नहीं है कि दुष्ट स्त्रियाँ पुरुषों को वास्तविक मृत्यु, अनन्त मृत्यु और आग की झील में ले जाती हैं। कितने व्यभिचारियों को उनकी प्रेमिका के ईर्ष्यालु जीवनसाथियों ने मार डाला है (नीतिवचन 6:34-35)? कितने व्यभिचारी यौन रोगों से मर चुके हैं (नीतिवचन 7:23)? कितने लोग यौन लत में फंस गए हैं (नीतिवचन 5:22-23; 6:32; होशे 4:11)?

सभी व्यभिचारी, जब तक कि प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह से बचाएं नहीं जाते, जैसा कि दाऊद के मामले में हुआ, आग की झील में डाल दियें जाएंगे (प्रकाशितवाक्य 21:8; 1 कुरिन्थियों 6:9-11)। उस दूसरी औरत के सुंदर पैर और छोटे कदम अब उतने आकर्षक नहीं रहेंगे, क्या वे हैं, जवानों? उसकी वह सेक्सी चाल मृत्यु और अधोलोक की ओर ले जाती है! मधुर आकर्षण और प्रेमपूर्ण सम्बंध का उसका मार्ग नीचे, और नीचे, और भी नीचे की ओर जाता है।

इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि प्रभु यीशु ने अधोलोक की ओर जाने वाले इस क्रूर राक्षस के पदचिन्हों पर चलने के बजाय अपनी दाहिनी आंख निकाल देने और आपना दाहिना हाथ काटकर फेंक देने की शिक्षा दीं (मत्ती 5:27-30)। पौलुस ने कहा, ”जवानी की वासनाओं से भाग” (2 तीमुथियुस 2:22)। उससे दूर ही रहो, आज ही से (नीतिवचन 5:8)। वह अपनी स्कर्ट के पीछे अधोलोक की खाई को छुपाकर रखती है। अपने कदम पीछे खींचों! भाग जाओ! फिर कभी उसके पास मत जाना!

सुलैमान के अपने बेटे ने पराई स्त्रियों के खिलाफ इस जीवन-रक्षक सम्मति और चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। परन्तु उसे क्यों ध्यान देना चाहिए था? कई स्त्रियों के लिए उसके पिता का अपार प्रेम उसके लिए एक उदाहरण था। रहूबियाम मूर्खता में आकर अपने पिता के नक्शेकदम पर चला और इस्राएल के बारह गोत्रों में से दस को खो दिया और कई स्त्रियों को पत्नियाँ बनाने की वासना रखी। उसकी 18 पत्नियाँ और 60 रखेलियाँ थीं (2 इतिहास 11:21-23)।

पिताओं! अपने बेटों को स्पष्ट रूप से, व्यावहारिक रूप से, औ उदहारण दे देकर वेश्यावृत्ति और व्यभिचार के खतरों के विरुद्ध शिक्षा दो। यह कोई मामूली परीक्षा नहीं है, विशेष रूप से इस अधर्मी पीढ़ी में जिसने पहले से निर्धारित हर सीमा को अपनी लालची कामुकता की तृप्ति के लिए रास्ते से हटा दिया है। अपने पुत्रों को उससे दूर रखो। उन्हें हर कीमत पर उससे बचना सिखाएं। उन्हें मृत्यु और अधोलोक में इसकी क़ीमत चुकानी होगी। उसका प्यार झूठा है। और उसका प्रतिफल कड़वा और भारी पीड़ा है (नीतिवचन 5:4; 6:28,33; 23:27)।

ऐसी चेतावनी रोमन कैथोलिक कलीसिया के मोहक सौंदर्य और आकर्षण पर भी लागू होती है, जो युहन्ना के दर्शन में दिखाई देनेवाली वेश्या है (प्रकाशित 17:1-6)। परमेश्वर ने अपने बच्चों को उसमें से बाहर निकलने के लिए पुकारा है ताकि वे उसके आने वाले न्याय से बच जाएं (प्रकाशित 18:4)। पौलुस को डर था कि कुरिन्थुस के लोग भी सच्चे यीशु से मुड़कर झूठे यीशु के पास जाने के लिए बहकाए जा सकते हैं (2 कुरिन्थियों 11:1-4)। उसकी सुन्दरता को मत देखो; उसका मार्ग कहाँ ले जाता है, उसे देखो; उसका मार्ग मृत्यु और अधोलोक की ओर ले जाता है (2 थिस्स 2:9-15)।