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किसी शव के साथ बलात्कार के अपराध का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता : रिपोर्ट

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को एक महिला के शव के साथ बलात्कार करने के आरोप से दोषमुक्त किया है.

हाई कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी के तहत किसी शव के साथ बलात्कार के अपराध का कोई प्रावधान नहीं है और इसलिए व्यक्ति पर रेप के आरोप में मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता है.

हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि केंद्र सरकार को भारतीय दंड संहिता में संशोधन कर मृत व्यक्ति के सम्मान का प्रावधान करना चाहिए.

25 जून 2015 को एक 21 वर्षीय महिला कंप्यूटर क्लास करने के बाद घर लौट रही थी. अभियुक्त रंगाराजू ने महिला पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी. इसके बाद राजू ने महिला के शव के साथ बलात्कार किया था.

पुलिस के चार्जशीट दायर करने के बाद सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में आईपीसी 302 के तहत हत्या और 376 के तहत बलात्कार के आरोप तय किए थे.

सत्र न्यायाधीश ने माना था कि पुलिस ने इस बात के शक से परे सबूत दिए हैं कि अभियुक्त ने हत्या की और फिर बलात्कार किया.

इस मामले में निचली अदालत ने अभियुक्त को हत्या के अपराध के लिए आजीवन कारावास और पचास हज़ार रुपये की सज़ा सुनाई थी.

महिला के शव के साथ बलात्कार के अपराध के लिए दस अतिरिक्त वर्ष का कठोर कारावास और 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था.

अभियुक्त ने कर्नाटक हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी.

हाई कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा है कि आईपीसी 375 और 377 के ध्यानपूर्वक अध्ययन के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि शव को मानव या व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में अभियुक्त पर आईपीसी की धारा 375 या 377 नहीं लगेगी.

अदालत ने ये भी कहा कि आईपीसी 376 के तहत भी अपराध तय नहीं होगा. अदालत ने कहा कि शव के साथ बलात्कार नेक्रोफीलिया के सिवा कुछ नहीं है.