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कोरोना का दोबारा संक्रमण हो सकता है गंभीर, क्या कहते हैं शोधकर्ता?

चीन-जापान सहित दुनिया के कई देशों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले इस समय स्वास्थ्य विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। ज्यादातर देशों में ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्स, विशेषतौर पर BF.7 के कारण संक्रमण बढ़ता देखा जा रहा है। अध्ययनों में इस वैरिएंट के कारण गंभीर रोगों का खतरा तो कम पाया गया है पर इसकी संक्रामकता दर चिंता बढ़ाने वाली मानी जा रही है।

संक्रमण के मामलों के तेजी से बढ़ने के कारण नए वैरिंट्स की उत्पत्ति को लेकर भी वैज्ञानिकों की टीम ने अलर्ट किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से चीन में अनियंत्रित रूप से संक्रमण बढ़ रहा है, ये कोरोना वायरस में नए म्यूटेशन के लिए अनुकूल स्थिति हो सकती है।

वैश्विक स्तर पर कोरोना के बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट करते हुए वैज्ञानिकों की सलाह है कि सभी देशों को बचाव के उपायों को लेकर सख्ती दिखाने की आवश्यकता है। अब तक के शोध में पाया गया था कि कोरोना संक्रमित रहे लोगों में दोबारा संक्रमण होने पर गंभीर रोग का खतरा कम होता क्योंकि पहले संक्रमण के बाद शरीर में प्रभावी एंटीबॉडी और मेमेरी सेल्स बन जाती हैं, जो अगले संक्रमण से बचाने में आपकी मदद करती हैं। पर एक हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना का दोबारा होने वाला संक्रमण आपमें ऑर्गन फेलियर के खतरे का कारण बन सकता है। आइए इस बारे में आगे विस्तार से समझते हैं।

कोरोना का दोबारा संक्रमण हो सकता है गंभीर
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और वेटरन्स अफेयर्स सेंट लुइस हेल्थ केयर सिस्टम के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना के दोबारा संक्रमण की स्थिति गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बार-बार होने वाला सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण कई अंग प्रणालियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। दोबारा संक्रमण की स्थिति फेफड़े, हृदय, मस्तिष्क और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित कर सकती है। इसके कारण डायबिटीज, किडनी की बीमारी और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के विकसित होने का भी जोखिम हो सकता है।

क्या कहते हैं शोधकर्ता?
इस अध्ययन के बारे में स्कूल ऑफ मेडिसिन में महामारी विज्ञानी और शोध के वरिष्ठ लेखक डॉ ज़ियाद अल-एली कहते हैं, इस शोध में पाया गया है कि प्रत्येक संक्रमण के साथ गंभीर स्थिति का जोखिम बढ़ता हुआ प्रतीत होता है। इसका मतलब यह है कि भले ही आप एक बार संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं पर अगले संक्रमण से बचाव करना आवश्यक है।

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स द्वारा बनाए गए डेटाबेस से लगभग 5.8 मिलियन लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। जिससे प्राप्त परिणाम खतरे को लेकर सावधान करते हैं।

अध्ययन में क्या पता चला?
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 5.3 मिलियन (53 लाख) लोगों का एक डेटा सेट बनाया, जिन्हें 1 मार्च, 2020 से 6 अप्रैल, 2022 के बीच कोरोना का संक्रमण हुआ था। इसमें 443,000 से अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें सिर्फ एक बार संक्रमण हुआ था, वहीं लगभग 41,000 लोगों को दो या उससे अधिक बार संक्रमित पाया गया। कुछ लोग चार और पांच संक्रमण वाले भी थे।

30 दिनों से लेकर छह माह के भीतर दोबारा संक्रमण की स्थिति में रोग की गंभीरता का अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि पुन: संक्रमण वाले लोगों में गंभीर रोग के कारण मृत्यु होने की आशंका दोगुनी और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका तीन गुना अधिक थी।

कई अंगों पर हो सकता है गंभीर असर
इसके अतिरिक्त, बार-बार संक्रमण के शिकार लोगों में फेफड़े और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों के विकसित होने की आशंका तीन गुना अधिक थी। ऐसे लोगों ने मस्तिष्क और तंत्रिका संबंधी विकारों के जोखिम का अनुभव भी, एक बार या बिना संक्रमितों की तुलना में 1.6 गुना अधिक किया।

शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, कोरोना का संक्रमण हर बार आपके लिए समस्याकारक है, हर बार इससे बचाव के लिए आपको प्रयास करते रहने की आवश्यकता है, वरना इसके कारण गंभीर जोखिमों का खतरा हो सकता है।

क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में प्रमुख शोधकर्ता ज़ियाद अल-एली कहते हैं, हमारे निष्कर्ष व्यापक रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य निहितार्थ हैं। यह पुन: संक्रमण के जोखिम को रोकने या कम करने के लिए प्रयासों पर जोर देता है। चूंकि वैश्विक स्तर पर इस समय कोरोना का खतरा बढ़ रहा है ऐसे में बचाव के लिए सभी लोगों को उपाय करते रहने की आवश्यकता है।

हम इस अध्ययन को अलग-अलग मूल के हिसाब से देखने की कोशिश कर रहे हैं, फिलहाल संकेत यही हैं कि सभी लोगों को बार-बार संक्रमण से बचाव करते रहने की जरूरत है।

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स्रोत और संदर्भ

अस्वीकरण: लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। तीसरी जंग हिंदी लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।