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क्या आप जानते हैं कि विश्व में आज तक की सबसे महंगी_ज़मीन कहाँ पर बिकी है?… by Neetu Chaudhary

Neetu Chaudhary

Aligarh, India, Uttar Pradesh

bjpneetuc@gmail.com

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इतिहास के पन्नों से : क्या आप जानते हैं कि विश्व में आज तक की सबसे महंगी_ज़मीन कहाँ पर बिकी है?
*हमारे भारत में ही पंजाब में स्थित सिरहिन्द में और विश्व की इस सबसे महंगी भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम था दीवान टोडरमल.
*गुरुगोबिंद सिंह जी के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तेह सिंह और बाबा ज़ोरावर सिंह की शहादत की दास्तान का आपको पता होगा.
*यहीं सिरहिन्द के फ़तहगढ़ साहिब में मुग़लों के तत्कालीन फ़ौजदार वज़ीर खान ने दोनो साहिबज़ादों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था.
*दीवान टोडर मल जो कि इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान करने को तैयार थे, उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की माँग की और वह भूमि जहाँ वह शहीद हुए थे वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की.
*लेकिन वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित माँग रखी.
*वज़ीर खान ने माँग रखी कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाने पर जितनी मोहरें आएँगी वही इस भूमि का दाम होगा…….
*दीवान टोडर मल के अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि खड़ी करके रखी जाएँगी ताकि अधिक से अधिक मोहरें वसूली जा सकें………..ख़ैर…..दीवान टोडर मल जैन ने अपना सब कुछ बेच-बाच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और #78000 सोने की मोहरें देकर चार गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार वहाँ किया जा सके.
*जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल से कृतज्ञता प्रकट की और उनसे कहा की वे उनके त्याग से बहुत प्रभावित हैं और उनसे इस त्याग के बदले में कुछ माँगने को कहा.
*ज़रा सोचिए दीवान टोडर मल ने क्या माँगा होगा गुरु जी से ?
दीवान जी ने गुरु जी से जो माँगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव है !
दीवान टोडर मल जी ने गुरु जी से कहा की यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसा वर दीजिए की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ ही समाप्त हो जाए।
*इस अप्रत्याशित माँग पर गुरु जी सहित सब लोग हक्के-बक्के रह गए…..गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत माँग का कारण पूछा तो दीवान टोडर मल ने उत्तर दिया कि गुरु जी,
यह जो भूमि इतना महंगा दाम देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता की कल को मेरे वंश आने वाली नस्लों में से कोई कहे की यह भूमि मेरे पुरखों ने ख़रीदी थी।
*निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल.
आज किसी धार्मिक स्थल पर चार ईंटे लगवाने पर भी लोग अपने नाम की पट्टी पहले लगवाते हैं. एक पंखा तक लगवाने पर उसके परों पर अपने नाम छपवाते हैं.
श्री टोडरमल जी एवं साहिबजादो के श्री चरणों में शत शत नमन
सोर्स : बौध्दिक विभाग Facebook