साहित्य

क्यू उदास होती री पूनम, अभी तो बहुत दर्द सहना बाक़ी है!

Poonam Devi
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मौलिक रचना।
शीर्षक; क्यू उदास होती री पूनम
क्यू उदास होती री पूनम ?
अभी तो,
बहुत दर्द सहना बाकी है।
इस दर्द से ही,
तेरी पहचान बनेगी।।
जब वंचक संग प्रीत जोड़ी,
पहले ही गौर करना था।
दिल से बहलाव,
बहलाव दिमाग़ से,
फिर कहां तुझे बचना था ?
जीवन में जब गरल घोल लिया,
सोम की उम्मीद कैसी ?
क्यू उदास…….
जीवन में अभी बहुत है करना,
अनमोल एक एक छन,
देने की सोच संभाल ले,
पाने की उम्मीद को त्याग,
उम्मीद देने वाले दर्द ही देंगे ,
रिश्ते जो स्वार्थ से जुड़ेंगे,
कष्ट की वजह बनेंगे।
इन रिश्तों से ही तो बचना री पूनम,
क्यू उदास होती री पूनम ?
जिम्मेदारी भी निभा ले तू,
बदले में उम्मीद न जोड़,
जो भी रिश्ते तेरे अपने थे ।
संजोए उनसे भी तूने सपने थे ,
अर्थ जब बीच में आया,
वो त्याग तेरा भूल गए ।
फिर किसी से कैसी उम्मीद ?
बाहर सबसे मिलते हुए,
अंत: से दूरी बनाकर ,
अब,शिव स्नेह से जुड़ती जा।
क्यू उदास…..
पूनम (कल्पना)