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गंगा में गिरने वाले नाले, श्यामपुर से लेकर रायवाला तक गंदे नाले अब भी गंगा में गिर रहे हैं!

ऋषिकेश में सीवर शोधन संयत्र (एसटीपी) के निर्माण और नालों के टेप होने के बाद गंगाजल में प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम और बैराज में गंगा जल आचमन योग्य है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक यहां गंगाजल ए श्रेणी का है। वहीं लक्कड़घाट से गंगाजल की गुणवत्ता घटकर बी श्रेणी यानी केवल नहाने योग्य हो जाती है। इसका सबसे कारण यह कि श्यामपुर से लेकर रायवाला तक गंदे नाले अब भी गंगा में गिर रहे हैं।

नमामि गंगे अभियान में बड़े पैमाने पर गंगा में गिरने वाले नालों को टेप किया गया। गंदे पानी के शोधन के लिए एसटीपी भी बनाए गए हैं। ऋषिकेश 238 करोड़ रुपये की लागत से तीन एसटीपीका निर्माण किया गया। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्कड़घाट (26 एमएलडी), चंद्रेश्वर नगर (7.5 एमएलडी) और चोरपानी (5 एमएलडी) के संयत्र का वर्चुअल लोकापर्ण किया। इसके बाद से गंगा जल की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच में स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला और पशुलोक बैराज में गंगा के जल की गुणवत्ता ए श्रेणी की पाई गई है। लेकिन लक्कड़घाट से पानी की गुणवत्ता बी श्रेणी की मिली है। गौरतलब है कि श्यामपुर और रायवाला क्षेत्र में गंदे नालों को अब तक टेप नहीं किया गया है। वहीं रंभा, सौंग और सुसवा नदी में भी गंदे नाले खुलते हैं, जो आखिर में गंगा में मिलते हैं। गंगा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए श्यामपुर और रायवाला क्षेत्र में भी नालों को टेप करने ओर एसटीपी के निर्माण की जरूरत है।

गंगा में गिरने वाले नाले

रंभा नदी, कृष्णानगर नाला, सुसवा, सौंग, बंगाला नाला, ग्वेला नाला, प्रतीतनगर सिंचाई गूल (पतनाले छोड़ रखें हैं)

एसटीपी के निर्माण से गंगा में गंदगी गिरने पर अंकुश लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों को सीवर लाइन से जोड़ने, नालों को टेप करने, नए एसटीपी के निर्माण और 15 साल से पुराने एसटीपी की क्षमता बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।
– एसके वर्मा, परियोजना प्रबधंक, पेयजल निगम निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई