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ग़ज़ा में हालात बहुत गंभीर, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुई बातचीत : रिपोर्ट

ग़ज़ा और इसराइल के बीच छिड़े संघर्ष के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच टेलिफ़ोन पर बातचीत हुई है.

दोनों ने अपनी बातचीत के दौरान इसराइल और फ़लस्तीन के बीच विवाद को, फ़लस्तीनियों के अधिकारों की गारंटी के साथ सुलझाने पर ज़ोर दिया है.

ये टेलीफ़ोन वार्ताएं 11 अक्तूबर की शाम को हुई हैं. बातचीत के दौरान राष्ट्रपति रईसी ने प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बताया कि ऐसी कोई भी पहल जिसमें फ़लस्तीनी लोगों के अधिकारों की गारंटी न हो, वो समस्या का समाधान करने में विफल रहेगी.

शायद राष्ट्रपति रईसी बहरीन, सूडान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देशों की इसराइल के साथ डिप्लोमेटिक रिश्ते बहाल करने के ट्रेंड की ओर इशारा कर रहे थे.

ऐसी ख़बरें भी हैं कि सऊदी अरब भी इसी ओर बढ़ रहा था और अमेरिका उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था.

इसराइल पर हमले के ईरान से जुड़ते तार?

अमेरिकी अख़बार ‘वॉल स्ट्रीट जनरल’ ने हमास और लेबनानी चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह के कुछ अनाम सदस्यों के हवाले से लिखा है कि ‘ईरान ने एक हफ़्ते पहले ही इस अभियान को हरी झंडी दी थी.’

लेकिन अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया है कि ‘अमेरिकी सरकार के पास फिलहाल ऐसी जानकारी नहीं है जिससे इस हमले में ईरान की भूमिका होने से जुड़े आरोपों की पुष्टि की जा सके.’

ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ‘ईरान की भूमिका होने से जुड़े आरोप राजनीतिक वजहों पर आधारित हैं.’

ईरानी प्रवक्ता ने कहा है कि ईरान दूसरे देशों की निर्णय प्रक्रिया में किसी तरह हस्तक्षेप नहीं करता है.

लेकिन हमास और हिज़्बुल्ला के सूत्रों ने ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को बताया कि ‘ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड के ऑफ़िसर अगस्त के महीने से हमास के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और शनिवार को हुए ज़मीन, हवा और पानी के रास्ते हमला इसी सहयोग का नतीजा है.’

ईरान कई सालों तक फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास का मुख्य वित्त पोषक रहा है.

फ़लस्तीनी मुद्दे का हल क्या है?

बहरहलाल ईरान और सऊदी के लीडरों के बीच बातचीत में ग़ज़ा का मुद्दा ही छाया है.

शनिवार को हमास के हमले में इसराइल में 1200 से अधिक लोगों की जान गई थी. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में इसराइल बीते छह दिन से ग़ज़ा पट्टी पर बमबारी कर रहा है.

इसराइल की ग़ज़ा पर इस बमबारी में अब तक 1300 लोग मारे गए हैं और हज़ारों बेघर हो गए हैं. बड़ी संख्या में लोंगों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित कैंपों में शरण ली है.

बुधवार को टेलिफ़ोन पर प्रिंस मोहम्मद और राष्ट्रपति रईसी के बीच हुई बातचीत के बाद सऊदी न्यूज़ एजेंसी और ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय ने इसका ब्योरा साझा किया.

राष्ट्रपति रईसी की कार्यालय की ओर जारी बयान में कहा गया है, “फ़लस्तीन के टॉपिक का एक मौलिक हल और क्षेत्र का सबसे अहम मुद्दा है दमन झेल रहे फ़लस्तीनी लोगों के अधिकारों का सम्मान.”

उन्होंने दोहराया की फ़लस्तीनी लोगों के पास अपना राजनीतिक भविष्य तय करने के लिए जनमत संग्रह करवाने का पूरा अधिकार है.

राष्ट्रपति रईसी ने प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बताया, “इस संवेदशील मोड़ पर ईरान और सऊदी अरब को मुसलमानों और फ़लस्तीन में दमन झेल रहे लोगों का साथ देना चाहिए.”

सऊदी अरब के प्रिंस ने गज़ा की घटनाओं को ‘दुखद’ और ‘ख़तरनाक’ बताया है. टेलीफ़ोन वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि ‘इस वक्त फ़लस्तीनियों के अधिकारों का उल्लंघन पश्चिमी देशों समेत सारी दुनिया में अस्थिरता फैला देगा.’

उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश भी इस बात को समझते हैं. उनकी ओर जारी बयान में कहा गया है, “ईरान और सऊदी अरब के बीच सहयोग हिंसा के ख़ात्मे में एक भूमिका अदा कर सकता है. साथ ही इस सहयोग के ज़रिए फ़लस्तीन के मसले का एक न्यायोचित हल भी निकाला जा सकता है.

सऊदी अरब की आधिकारिक समाचार एजेंसी एसपीएन ने फोन वार्ता पर छापी ख़बर में प्रिंस मोहम्मद के हवाले से लिखा है, “फ़लस्तीनी लोगों के समर्थन में सऊदी अरब की घोषित नीति है कि उन्हें न्यायोचित और विस्तृत शांति हासिल करने का वैध अधिकार है.

ग़ज़ा में हालात गंभीर

सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, ‘प्रिंस मोहम्मद ने ये भी कहा कि ग़ज़ा पट्टी में मौजूदा स्थिति काफ़ी गंभीर है और वहां आम लोगों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.’

ईरान के राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार, ‘रईसी ने ग़ज़ा में पानी, बिजली, दवाओं और ईंधन की सप्लाई रोकने की कड़ी आलोचना करते हुए इसराइल की आलोचना की है.’

रईसी ने प्रिंस मोहम्मद को बताया, “इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इसराइल ये अपराध अपने दोस्तों की हरी झंडी के बाद ही कर रहा है. हालांकि इसराइल के ये क़दम उसे अपना मकसद हासिल नहीं करवा पाएंगे. इससे तो मध्य-पूर्व और दुनिया में अस्थिरता ही बढ़ेगी.”

दोनों नेताओं के बीच ये मार्च के बाद पहली फ़ोन कॉल है.

तब ईरान और सऊदी अरब ने एक समझौते पर सहमति जताई थी जिसके मुताबिक, दोनों देशों ने अपने बीच द्वीपक्षीय संबंधों को बहाल करने की घोषणा की थी.

ईरान ने मुताबिक, दोनों पक्षों ने आपसी संबंधों के बेहतर होने की भी उम्मीद जताई है.

रईसी का कहना था कि ईरान-सऊदी संबंधों के मज़बूत होने से क्षेत्रीय सुरक्षा मज़बूत होगी और स्थिरता भी बढ़ेगी.

सऊदी अरब ने भी दोनों देशों के बीच संबंधों के बहाल होने को क्षेत्रीय स्थिरता से जोड़ा है.