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ग़ज़्ज़ा की दयनीय स्थिति, फ़िलिस्तीनियों को आवाज़ को दबाने में लगा पश्चिमी मीडिया : ख़ास रिपोर्ट

ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के पाश्विक हमले की शुरुआत से ही ईरान संघर्ष विराम के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और ईरान के अधिकारियों ने कई देशों के अधिकारियों से संपर्क किए हैं और इस परिधि में ईरान के विदेशमंत्री ने सीरिया का दौरा किया और इस देश के अधिकारियों से ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के पाश्विक हमलों की निंदा करते हुए संघर्ष विराम पर बल दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने लेबनान के दौरे के दौरान इस देश के अधिकारियों से इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की। अमीर अब्दुल्लाहियान ने 12 अक्टूबर को इराक़ की यात्रा की और इस देश के प्रधान मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मुलाक़ात की और विचार विमर्श किया। ईरानी विदेश मंत्री बग़दाद के बाद अपनी यात्रा के दूसरे गंतव्य के रूप में आज सुबह बेरूत पहुंचे और प्रधान मंत्री नजीब मीक़ाती, विदेश मंत्री अब्दुल्ला बूहमीद और हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह से मुलाक़ातें कीं। अमीर अब्दुल्लाहियान को बेरूत के बाद दमिश्क की यात्रा भी करनी है।

ग़ज्ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के अंधाधुंध और बर्बर हमले, इराक़ी और लेबनानी अधिकारियों के साथ अमीर अब्दुल्लाहियान के परामर्श का मुख्य केंद्र था। इस दौरान दोनों देशों के अधिकारियों ने ग़ज्ज़ा के खिलाफ़ ज़ायोनी शासन के युद्ध के संबंध में एक सामान्य दृष्टिकोण व्यक्त किया।

विदेशमंत्री उसके बाद वहां से दमिश्क़ रवाना हुए जहां उन्होंने पहले सीरिया के विदेशमंत्री से मुलाक़ात में ग़ज़्ज़ा की दयनीय स्थिति पर चर्चा की। ईरान के विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने शुक्रवार की शाम सीरिया के अपने समकक्ष फैसल मिक़दाद के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने बताया कि फ़िलिस्तीन की वर्तमान स्थति के बारे में कुछ समय पहले मेरी सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद के साथ बात हुई है।

अब्दुल्लाहियान ने कहा कि सीरिया आरंभ से ही फ़िलिस्तीनियों का समर्थक रहा है। उनका कहना था कि रिपोर्टों के अनुसार अभी भी अवैध ज़ायोनी शासन के कुछ सैन्य केन्द्र, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं के नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं का मुक़ाबला करने की स्थति में नहीं है। इसीलिए उसने ग़ज़्ज़ा में निहत्थे फ़िलिस्तीनियों पर बमबारी शुरू कर दी है जिसमें आम लोग मारे जा रहे हैं। यह काम एक प्रकार से खुला हुआ जनसंहार है।

ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल की ओर से लगातार हमले किये जा रहे हैं जिनमें अधिकतर आम लोग मारे जा रहे हैं। मृतकों में सबसे बड़ी संख्या बच्चों और औरतों की है। ग़ज़्ज़ा में जहां पर निर्दोष फ़िलिस्तीनी मारे जा रहे हैं वहीं पर मानवाधिकारों का समर्थन करने का दावा करने वालों ने फिलहाल इस मुद्दे पर मौन धारण कर लिया है।

जहां एक ओर पश्चिमी पक्ष ग़ज़्ज़ा में युद्ध विराम का विरोध कर रहे हैं वहीं कुछ रूस ने ग़ज़्ज़ा के परिवेष्टन की कड़ी आलोचना की है और कहा कि वर्तमान समय में ग़ज़्ज़ा का परिवेष्टन, दूसरे विश्व युद्ध में लेनिनग्राड के परिवेष्टन जैसा है जो नाज़ियों ने किया था।

फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधकर्ताओं ने शनिवार 7 सितंबर को अवैध ज़ायोनी शासन के विरुद्ध अलअक़सा तूफान नामक सैन्य अभियान आरंभ किया था। इसको रोकने में ज़ायोनी शासन पूरी तरह से विफल रहा। अपनी इसी खिसियाहट को मिटाने के लिए उसने ग़ज्ज़ा की पट्टी पर फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध हमले शुरू कर दिये जिनमें आम फ़िलिस्तीनी नागरिक मारे जा रहे हैं।

फ़िलिस्तीनियों को आवाज़ को दबाने में लगा पश्चिमी मीडिया

फ़िलिस्तीनियों के बारे में सूचनाओं को दूसरों तक पहुंचने में पश्चिम, रुकवाटें डाल रहा है। इस संबन्ध में वह सोशल मीडिया और वेबसाइट्स पर गहरी नज़र रखे हुए हैं।

फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधक गुटों द्वारा आरंभ किये जाने वाले मस्जदुल अक़सा तूफान नामक अभियान के बाद से पश्चिमी संचार माध्यम, फ़िलिस्तीनियों से संबन्धित ख़बरों पर रोक लगाते हुए फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं की अमानवीय छवि को पेश करने के प्रयास में लगे हुए हैं।

सीएनएन सहित अमरीका के कई टीवी चैनेलों ने अवैध ज़ायोनी शासन और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं के बीच होने वाली झड़पों के आरंभ से ही इस्राईल के समर्थन की नीति अपना रखी है। यह टीवी चैनेल ग़ज़्ज़ा में इस्राईल द्वारा फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध किये जा रहे अत्याचारों को अनदेखा करते हुए केवल ज़ायोनी शासन के समर्थन में झूठी ख़बरें प्रसारित कर रहे हैं। इस प्रकार वे फ़िलिस्तीनियों की छवि को पूरी दुनिया में हिंसक दर्शाने में लगे हुए हैं। हालांकि इस बारे में उनकी पोल खुल चुकी है और कुछ अवसरों पर उनको माफ़ी भी मांगनी पड़ी है।

इसका एक उदाहरण हैं सीएनएन की एक पत्रकार, सारा सीदनर। उन्होंने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ता गुट हमास, बच्चों के गले काट रहे हैं। इस रिपोर्ट को देने के बाद सीएनएन की इस पत्रकार ने सोशल मीडिया पर संदेश भेजकर अपने शब्द वापस ले लिए। अपने संदेश में सारा लिखती हैं कि कल इस्राईल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया था कि हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमास ने नवजात का गला काटा है। वे आगे लिखती हैं कि अब इस्राईल की ओर से कहा गया है कि वह इस बात की पुष्टि नहीं करता कि हमास ने बच्चों के गले काटे हैं। मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं अपनी बातों को और अधिक सावधानी से पेश करूं। मुझको इसपर खेद है।

इससे पहले कुछ पश्चिमी संचार माध्यमों ने यह दावा किया था कि उनके पास एसी तस्वीरें हैं जिनमें हमास द्वारा बच्चों के गले काटते हुए दिखाया गया है किंतु सीएनएन की पत्रकार की स्वीकारोक्ति से बहुत सी बातें साफ हो गईं। जबसे फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं ने इस्राईल के भीतर घुसकर आपरेशन शुरू किया और उसके बाद इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा की निर्दोष जनता पर बमबारी आरंभ की है उस समय से सोशल मीडिया पर व्यापक स्तर पर फेक ख़बरे भी चल रही हैं जिनमे मुख्य रूप से फ़िलिस्तीनियों की छवि को ख़राब करने के प्रयास चल रहे हैं।

इसी बीच एक अमरीकी चैनेल एमएस एनबीसी ने अपने तीन मुसलमान एंकरों को निकाल दिया है। यह मुसलमान एंकर इस चैनेल द्वारा इस्राईल के समर्थन में अपनाई गई उसकी नीति से सहमत नहीं थे और वे फ़िलिस्तीनियों के बारे में इस्राईल के अत्याचारों का समर्थन नहीं कर रहे थे।

मस्जिदुल अक़सा तूफान आपरेशन को हमास ने शनिवार 7 सितंबर को शुरू किया था जिसकी प्रतिक्रिया में इस्राईल फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध कई दिनों से अंधाधुंध हमले कर रहा है जिसमें बहुत बड़ी संख्या में निर्दोष फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।