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ग़ज़्ज़ा में युद्ध विराम का सबसे बड़ा विरोधी कौन, जानिये!

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को एक बार फिर वीटो कर दिया जिसमें ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों के लिए मानवता प्रेमी सहायता पहुंचाने के लिए युद्ध विराम की मांग की गयी थी।

इस प्रस्ताव के मसौदे को ब्राज़ील ने पेश किया था और दो दिनों में दो बार उसे स्थगित कर दिया गया था। सुरक्षा परिषद में पेश किये गये प्रस्ताव के पक्ष में 12 सदस्यों ने मत दिया था। इस प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान ब्रिटेन और रूस अनुपस्थित रहे। अमेरिका ने इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया।

इस्राईल के खिलाफ पारित होने वाले प्रस्तावों को रोकने में अमेरिका का लंबा अतीत है। रूस इस प्रस्ताव के समर्थकों में से नहीं था। अमेरिका ने अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया।

ब्राज़ील द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि ज़ायोनी शासन सार्वजनिक स्थानों, अस्पतालों और स्कूलों पर हमला कर रहा है। इसीलिए इस प्रस्ताव को मंज़ूरी नहीं दी गई और व्यवहारिक रूप से सुरक्षा परिषद की बैठकें बिना किसी परिणाम के ही समाप्त हो गईं।

अमेरिका द्वारा ग़ज़्ज़ा पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के वीटो को फिर से वाशिंग्टन के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली दो अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों अर्थात् रूस और चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा।

संयुक्त राष्ट्रसंघ में रूसी राजदूत ने इस अमेरिकी कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे अमेरिकी सहयोगी ग़ज़्ज़ा पट्टी के संबंध में दोहरा मापदंड अपनाये हुए हैं और ग़ज़्ज़ा पट्टी में युद्ध विराम कराने पर आधारित जो भी हमारे प्रस्ताव का विरोधी है वह जो ग़ज़्ज़ा पट्टी में हो रहा है, उसका ज़िम्मेदार है।

संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रतिनिधि झांग जून ने भी कहा कि सुरक्षा परिषद में इस्राईल और हमास के बीच संघर्ष की समाप्ति पर ब्राज़ील द्वारा पेश किए गये प्रस्ताव पर अमरीका द्वारा वीटो किया जाना उचित नहीं है।

इससे पहले अमेरिका और उसके पश्चिमी घटकों ने सोमवार को ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के लिए रूस द्वारा पेश किए गये प्रस्ताव को वीटो कर दिया था जिससे ज़ायोनी शासन को ग़ज़्ज़ा पर हमले जारी रखने और मज़लूम फिलिस्तीनियों को मारने के लिए इशारा मिल गया।

उन्होंने घोषणा की कि रूस द्वारा पेश किए गये प्रस्ताव में ज़ायोनी शासन और उसके स्वयं के बचाव के अधिकार का समर्थन नहीं करता है और उसमें हमास के हमलों की निंदा नहीं की गई है इसिलए वे इस तरह के प्रस्ताव के पक्ष में कभी वोट नहीं करेंगे।

महत्वपूर्ण बात यह है कि पश्चिमी ब्लाक से अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के रूप में ज़ायोनी शासन के लिए अपने व्यापक समर्थन की बुनियाद पर यह ठान लिया है कि वे ग़ज़्ज़ा पर हमले रुकवाने के किसी भी प्रकार के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे।

राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने गज्जा पटटी के लोगों के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तुरंत युद्धविराम करने और बंदियों को रिहा करने की मांग की थी।