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ग़ज़्ज़ा युद्ध ख़तरनाक चरण में दाख़िल, ईरान ने ग़ज़्ज़ा के खिलाफ युद्ध को रोकने के लिए कमर कसी!

जहां एक ओर ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के पाश्विक हमले जारी हैं और अमरीका तथा पश्चिमी देश उसके हमलों का समर्थन कर रहे हैं वहीं ईरान ने इन क्रूर हमलों और अपराधों को रुकवाने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने ग़ज़्ज़ा के बारे में सक्रिय और गतिशील कूटनीति जारी रखते हुए न्यूयॉर्क की यात्रा की और संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के आपातकालीन सत्र में भाग लिया और तेल अवीव के अपराधों की निंदा करते हुए ग़ज़्ज़ा के खिलाफ युद्ध रोकने के लिए गंभीर कार्रवाई की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान सबसे सक्रिय विदेशी अधिकारी हैं जो ग़ज़्ज़ा के खिलाफ युद्ध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

ग़ज़्ज़ा के ख़िलाफ ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के बाद से ही ईरान के विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने इराक, लेबनान, सीरिया और कतर जैसे चार देशों की यात्रा की थी।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा के खिलाफ युद्ध रोकने की आवश्यकता पर इन देशों के अधिकारियों से परामर्श किया जबकि जेद्दा में इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी की आपात बैठक में भी शामिल हुए। इस बैठक में उन्होंने ग़ज़्ज़ा युद्ध पर ईरान का पक्ष रखा और उन्होंने कई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ परामर्श भी किया।

इस सप्ताह ईरान के विदेशमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका और नाइजर के विदेश मंत्रियों के साथ काकेशस क्षेत्र और रूस के 4 विदेशमंत्रियों की मेज़बानी की और उनसे क्षेत्र के ताज़ा घटनाकर्म विशेषकर ग़ज़्ज़ा के हालात पर चर्चा की थी।

विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाक़ात की जबकि सुरक्षा परिषद के अंतरिम प्रमुख के रूप में ब्राज़ील के विदेश मंत्री के निमंत्रण पर न्यूयॉर्क की यात्रा के दौरान उन्होंने फिलिस्तीन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा के आपातकालीन सत्र में भाग लिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की बैठक में विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने इस बात पर जोर दिया कि वास्तविकता यह है कि हिंसक अतिग्रहण क्रूर और गहरे नस्लभेद और अपरथाइड में बदल गया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान हमेशा फ़िलिस्तीन की रक्षा में अग्रणी रहा है और फ़िलिस्तीन के मुद्दे को एक इस्लामी मुद्दा मानता है। विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान के कूटनीतिक प्रयासों का उद्देश्य ज़ायोनी शासन के अपराधों को रोकना है जबकि दुर्भाग्य से क्षेत्र के कुछ देशों ने अपनी निष्क्रिय और मूक स्थिति से ज़ायोनियों के अपराधों को रोकने की कोई कोशिश तक नहीं की।