साहित्य

गैर हाज़िर कन्धे….झूठी मुस्कुराहट का मेज़पोश!

Sukhpal Gurjar
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. गैर हाज़िर कन्धे .
विश्वास साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। विश्वास साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने विश्वास साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। विश्वास साहब अपनी पत्नी भावना के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए।

दुर्भाग्य से विश्वास साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य विश्वास साहब के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। विश्वास साहब पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे।

एक रात्रि विश्वास साहब ने दवाई वगैरह देकर भावना को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से विश्वास साहब की मौत हो गई। पत्नी प्रात: 6 बजे जब जागी तो इन्तजार करने लगी कि पति आकर नित्य कर्म से निवृत्त होने मे उसकी मदद करेंगे। इन्तजार करते करते पत्नी को किसी अनिष्ट की आशंका हुई। चूँकि पत्नी स्वयं चलने में असमर्थ थी , उसने अपने आपको पलंग से नीचे गिराया और फिर घसीटते हुए अपने पति के पलंग के पास पहुँची। उसने पति को हिलाया–डुलाया पर कोई हलचल नहीं हुई। पत्नी समझ गई कि विश्वास साहब नहीं रहे। पत्नी की जुबान लकवे के कारण चली गई थी ; अत: किसी को आवाज देकर बुलाना भी पत्नी के वश में नहीं था। घर पर और कोई सदस्य भी नहीं था। फोन बाहर ड्राइंग रूम मे लगा हुआ था। पत्नी ने पड़ोसी को सूचना देने के लिए घसीटते हुए फोन की तरफ बढ़ना शुरू किया। लगभग चार घण्टे की मशक्कत के बाद वह फोन तक पहुँची और उसने फोन के तार को खींचकर उसे नीचे गिराया। पड़ोसी के नंबर जैसे तैसे लगाये। पड़ौसी भला इंसान था, फोन पर कोई बोल नहीं रहा था, पर फोन आया था, अत: वह समझ गया कि मामला गंभीर है। उसने आस–पड़ोस के लोगों को सूचना देकर इकट्ठा किया, दरवाजा तोड़कर सभी लोग घर में घुसे। उन्होने देखा -विश्वास साहब पलंग पर मृत पड़े थे तथा पत्नी भावना टेलीफोन के पास मृत पड़ी थी। पहले *विश्वास और फिर भावना की मौत* हुई। जनाजा दोनों का साथ–साथ निकला। *पूरा मोहल्ला कंधा दे रहा था परन्तु दो कंधे मौजूद नहीं थे जिसकी माँ–बाप को उम्मीद थी। शायद वे कंधे करोड़ो रुपये की कमाई के भार के साथ अति महत्वकांक्षा से पहले ही दबे हुए थे।*

लोग बाग लगाते हैं फल के लिए
औलाद पालते हैं बुढापे के लिए

लेकिन ……
कुछ ही औलाद अपना फर्ज निभा पाते हैं ।।
अति सुन्दर कहा है एक कवि लक्ष्मी कांत ने….
“मत शिक्षा दो इन बच्चों को चांद- सितारे छूने की।
चांद- सितारे छूने वाले छूमंतर हो जाएंगे।
अगर दे सको, शिक्षा दो तुम इन्हें चरण छू लेने की,
जो मिट्टी से जुङे रहेंगे, रिश्ते वही निभाएंगे….!!


Anjuman promila dua
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एक असफल शादी में
फँसी हुई औरतें
अक्सर
झूठ बोल जाती हैं
बड़ी सफ़ाई से।
रिश्ते को न तोड़ने के लिए बनाती हैं
कभी बच्चों का बहाना
कभी बाबूजी के कमज़ोर दिल का
कभी माँ की ख़राब तबियत का।
कभी पति के भविष्य में सुधर जाने
की उम्मीद का।
बहानों के इस आवरण के पीछे छुपकर
बड़ी सफ़ाई से
रिश्ते के सूखे पौधे पर
उड़ेल आती हैं
एक लोटा पानी
तब भी जब वो जानती हैं
कि जड़ से सूख चुके पौधे
फिर हरे नहीं हुआ करते।
घर से मकान बन चुकी
चारदीवारी को
अपने कमज़ोर कंधों पर
पूरे जतन से टिकाकर रखती हैं,
अपनी अधूरी इच्छाओं को
मायके से आए बक्से में छुपाकर
किसी अंधेरे कोने में रख देती हैं
और उसपर डाल देती हैं
झूठी मुस्कुराहट का मेज़पोश!
बड़े क़रीने से सँवारती हैं वो
बच्चों के सपने
उनकी फ़रमाइशें,
उनकी पसंद के खाने को
अपनी फीकी पड़ चुकी हथेलियों से
लपेटती हैं चमकीली सिल्वर फ़ॉइल में
और बस्ते में भरकर
भेज देती हैं उन्हें भविष्य सँवारने
और ख़ुद के वर्तमान को
घोल देती हैं
अविरल बहते आँसुओं में!
माँ का फ़ोन आने पर वो
दे देती हैं
सफलतम अदाकारा को भी मात
हँसते-हँसते माँ से पूछ लेती हैं
मायके से जुड़ी सारी यादों की ख़ैरियत
और माँ के हाल पूछने पर
भर्राऐ गले से बोल देती हैं
आवाज़ नहीं सुनायी देने का एक और झूठ
फिर फ़ोन रखते ही
रो लेती हैं
फूट-फूटकर
बन्द दरवाज़े के पीछे।
#हाँ_हम_औरतें_कितनी_दफ़ा_झूठ_बोलती_है


Sukhpal Gurjar
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अपनी माँ की चार संतानों में सबसे छोटा है क्रिस्टियानो रोनाल्डो. शराब की लत के मारे पिता पार्ट-टाइम माली थे जबकि माँ लोगों के घरों में खाना पकाने का काम करती थी. ज़ाहिर है घर में पैसे की सतत कमी रहा करती.

जब रोनाल्डो पेट में आया तो उसकी माँ ने सबसे पहले तय किया कि वे उस बच्चे को जन्म नहीं देंगी. उन्हें लगता था कि आने वाले चौथे बच्चे को देने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं होगा.

डाक्टरों ने गर्भपात करने से मना कर दिया क्योंकि उनके देश पुर्तगाल में उसकी कानूनी इजाज़त नहीं थी.

क्रिस्टियानो के पैदा होने के बाद घर को ढंग से चलाने के लिए माँ कोअपने काम के घंटे बढ़ाने पड़े.

अपने तमाम साक्षात्कारों में रोनाल्डो इस बात को बड़ी टीस के साथ याद करता है कि कैसे उसकी माँ सुबह जल्दी चली जाती थी और देर रात तक काम करने के बाद लौट पाती थी. कई बार रसोई में उसके खाने के लिए कुछ नहीं बचा होता था.

घर के एक छोटे से कमरे में तीन बड़े भाई-बहनों के साथ बड़े हुए क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने अपना बचपन खुले में अपने साथियों के साथ फ़ुटबॉल खेलते हुए बिताया.

सात साल की उम्र में वह ठीकठाक खेल रहा था और बारह का होते-होते उसे एक क्लब के लिए खेलने के एवज में डेढ़ हज़ार पाउंड की फीस मिलने लगी थी.

छठी के बाद स्कूल छोड़ चुके इस असाधारण खिलाड़ी ने अपने करियर में जितना कुछ हासिल किया उसकी बहुत कम मिसालें हैं.

फुटबॉल के इतिहास में सबसे अधिक गोल करने का रेकॉर्ड उसके नाम है – यानी उसके गोलों की संख्या पेले, माराडोना और मैसी जैसे दिग्गजों से भी अधिक है.

वह इन्स्टाग्राम पर पूरे संसार में सबसे ज़्यादा फॉलो किया जाने वाला इंसान है जहाँ उसके चाहनेवालों की तादाद उनसठ करोड़ से ज़्यादा है.

अखबारों और सोशल मीडिया पर उसकी सबसे अधिक तस्वीरें अपनी माँ के साथ हैं.

यूरोप में यह आम है कि बच्चे अलग रहते हैं और माँ-बाप अलग लेकिन रोनाल्डो की माँ लगातार उसी के साथ रहती आई हैं.

या यूं कहें वह अपनी माँ के साथ रहता आया है – यह बात अलग है कि जिस महलनुमा घर में वे रहते हैं वह रोनाल्डो का खरीदा हुआ है.

रोनाल्डो कहता है – “मेरी माँ ने मुझे बड़ा करने को अपना जीवन कुर्बान कर दिया. वह भूखी सोई ताकि मैं खा सकूँ. उसने हफ्ते के सात दिन-सात रात इसलिए नौकरानी का काम किया कि मेरे लिए फुटबॉल के जूते खरीद सके और मैं खिलाड़ी बन सकूँ.

मेरा सब कुछ उसी की बदौलत है और वह जब तक इस धरती पर है, उसने मेरे ही साथ रहना है. वह मेरा आश्रय है और मुझे मिला सबसे बड़ा तोहफा भी. मुझे फख्र है मैं मारिया दोलोरेस का बेटा हूँ.”

Ashok Pandey