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गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर पाकिस्तान को ईरान की चेतावनी,, देना पड़ सकता है 18 बिलियन डॉलर का हर्जाना!

पाकिस्तानी प्रधान मंत्री के विशेष सहायक तस्नीम अहमद क़ुरैशी ने ईरान से गैस पाइपलाइन परियोजना को पूरा करने पर ज़ोर देते हुए कहा है कि इस परियोजना से देश में ऊर्जा संकट के समाधान में मदद मिलेगी।

भारतीय उपमहाद्वीप यानी भारत और पाकिस्तान में गैस स्थानांतरित करने के लिए ईरान के प्रस्ताव को तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है। तेहरान का मानना ​​है कि गैस पाइपलाइन के मार्ग के आसपास के इन देशों के बीच सहयोग से, भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और सुरक्षा को मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि इस भारत द्वारा इस परियोजना की उपेक्षा के बावजूद, ईरान और पाकिस्तान ने गैस की ख़रीदारी के एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए और ईरान ने दो बिलियन डॉलर की लागत से गैस पाइपलाइन को पाकिस्तान की सीमा तक पहुंचाया।

2014 में इस समझौते की समय सीमा समाप्त हो गई, लेकिन इसके बावजूद इस्लामाबाद ने अपनी सीमा में पाइपलाइन के निर्माण के लिए कोई क़दम नहीं उठाया।

ऊर्जा मामलों के विशेषज्ञ नेर्सी क़ुर्बानी का कहना है कि उपमहाद्वीप में ईरानी गैस पाइपलाइन के प्रस्ताव को तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इसे अभी तक व्यवहारिक नहीं बनाया जा सका है, हालांकि इस क्षेत्र के देशों विशेष रूप से पाकिस्तान को ऊर्जा की सख्त ज़रूरत है और इसकी कमी से इस देश के उद्योगों को गंभीर नुक़सान पहुंच रहा है।

ईरान ने अपनी ओर से समझौते के कार्यान्वयन में देर नहीं की और पाकिस्तान द्वारा इस पर अमल नहीं करने से नाराज़ होकर, उसे 18 बिलियन डॉलर के हर्जाने की चेतावनी दी है। लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसे न सिर्फ़ गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि ऐसा लगता है कि ईरानी गैस पाइपलाइन के मुद्दे को वे एक बहाने के रूप में और जनता का ध्यान आंतरिक समस्याओं से हटाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

पाकिस्तान के विभिन्न राजनीतिक और ऊर्जा अधिकारियों के बयानों को देखने से पता चलता है कि वे पाकिस्तान की ऊर्जा समस्या को हल करने के लिए गंभीर नहीं हैं। वे समय समय पर ईरान पाइपलाइन परियोजना के कार्यान्वयन की इच्छा ज़ाहिर कर देते हैं, लेकिन विदेशी दबाव में वह कोई भी व्यवहारिक क़दम उठाने से हिचकिचाते हैं।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के विदेश संबंध आयोग के प्रमुख मोहसिन जावेद डार ने हाल ही में ईरान गैस ट्रांसमिशन परियोजना को पूरा करने में इस्लामाबाद सरकार की ओर से देरी की आलोचना की और कहा कि यह देरी और प्रतिबंधों के डर का बहाना स्वीकार्य नहीं है।

इस तथ्य के मद्देनज़र कि इस पाइपलाइन से प्रतिदिन 1.1 से 3.4 बिलियन क्यूबिक फ़ीट तक गैस पाकिस्तान को स्थानांतरित की जा सकती है। इतनी गैस से पाकिस्तान की ऊर्जा समस्या को पूरी तरह से हल किया जा सकता है, इसलिए पाकिस्तान की जनता को अपने देश के ऊर्जा संकट और इस परियोजना के अधर में पड़े रहने से पहुंच रहे नुक़सान की गहराई को समझना चाहिए।