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चरण स्पर्श और जातिवाद, चरण स्पर्श का संबंध सीधे जातिवाद से जुड़ा हुआ है — स्वामी रामानंद सैनी

वाया : Anil Kumar Singh Jaisawar//FB
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चरण स्पर्श और जातिवाद-
हमारे देश में चरण स्पर्श का संबंध सीधे जातिवाद से जुड़ा हुआ है l यद्यपि आज संविधान की देन है कि जातिवाद कुछ कम पड़ा है, लेकिन यह भारतीय मानव के अंदर इतनी पैठ बना चुका है कि उसे एकदम समाप्त करना असंभव नहीं तो कठिन काम जरूर लग रहा है l अभी भी लोग तथाकथित अपने से बड़ी जातियों के चरण स्पर्श की परंपरा बनाए हुए हैं l उच्च जाति का वह व्यक्ति चाहें अशिक्षित हो या अपराधी, लेकिन अपने को निम्न जाति का मानने वाले लोग उसके चरण स्पर्श करते हैं l अगर कोई व्यक्ति नेता है, संपन्न है, ऊंची जाति का है, दबंग है तो फिर उसके सभी लोग पैर छूते हैं l भले ही पैर छूने वाला व्यक्ति अपने घर में अपने माता-पिता, बाबा – दादी, भैया – भाभी और गांव तथा रिश्तेदारी मे बड़े बुजुर्गों के पैर न छूता हो l मैं बचपन से इसका भुक्तभोगी हूं, हमारे गांव में होली के अवसर पर ब्राह्मण और क्षत्रियों के पैर छूने की परंपरा थी l एक बार होली में मैं ब्राह्मणों के यहां होली मिलने गया, तो सभी औरतों और घर के अन्य सदस्यों के पैर छूते हुए मैं आगे बढ़ रहा था तो बीच में एक ऐसा लड़का बैठा था जो मुझसे उम्र में छोटा था, लेकिन उसने मुझे रोका और कहा कि मेरे भी पैर छुओ, तो मैंने कहा क्यों? उसकी मां ने तुरंत खड़े होकर के कहा इसलिए क्योंकि यह ब्राह्मण है, तुम मास्टर के लड़के जरूर होगे लेकिन अगर तुमको गांव में रहना है तो ब्राह्मणों के पैर छूने पड़ेंगे, वह चाहे छोटा हो या बड़ा l मैं बिना पैर छुए वहीं से लौट आया, अपने पिताजी को सारी बातें बताई l मेरे पिताजी सरकारी अध्यापक थे l उन्होंने कहा कि आज के बाद किसी भी क्षत्रिय और ब्राह्मण के यहां होली में हम लोग नहीं जाएंगे और अगर जाएंगे तो अपने से जो उम्र में छोटा होगा उसके पैर नहीं छुएगे l कोई नाराज होता है तो होने दो l तभी से मैंने संकल्प लिया था, अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करते हुए आज तक मैं अपने गांव में किसी ब्राह्मण और ठाकुर यहां के होली मिलने और पैर छूने नहीं गया l अपने से छोटी उम्र वाले व्यक्ति के वह चाहे जितना अमीर हो मैं उसके पैर नहीं छूता l मेरे पिताजी कहते थे अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करो वह चाहे किसी भी जाति का हो l जातिवाद को मिटा करके समाज में गर्व के साथ रह सकते हैं, समाज को कुछ दे सकते हैं l यहां तक कि संविधान का तभी सही ढंग से पालन होगा l लेकिन कुछ जातियों में आज भी अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए दूसरों को अपमानित करने की होड़ सी मची हुई है l मैं विद्यालय संचालन करता हूं, यहां पर सभी लोग शिक्षकों के चरण स्पर्श करते हैं, जहाँ पर सभी जातियों के शिक्षक आते हैं l जातिवाद को मिटाने के लिए हम सभी लोगों को आगे आना होगा l योग्य और सम्मानित व्यक्तियों का सम्मान करना होगा l माता पिता गुरु को भगवान मानते हुए उनकी आज्ञा का पालन करना होगा l क्योंकि भगवान ने सभी को एक तरीके से जन्म दिया है तो फिर हम चरण स्पर्श में जातिवाद की भावना क्यों लाते हैं l हमें इसे समाप्त करने के लिए कमर कसनी होगी और इसमें सभी का सहयोग होना चाहिए l

– स्वामी रामानंद सैनी
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डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है