सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा और महिलाओं पर यौन हमले के वायरल वीडियो पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार से कई सवाल पूछे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ, उस पर ये तर्क नहीं दिया जा सकता कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के नेतृत्व में एक बेंच मणिपुर हिंसा पर डाली गई कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक़, सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस ने कहा, ”हम मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ अप्रत्याशित तौर पर हिंसा देख रहे हैं. इस मामले में बंगाल और दूसरे राज्यों में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का उदाहरण दिया जा रहा है लेकिन ये मामला अलग है. आप ये बताइए कि मणिपुर के हालात सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है? कहीं दूसरी जगह महिलाओं पर हो रही हिंसा का हवाला देकर मणिपुर के मामले को सही नहीं ठहराया जा सकता.”
इस मामले में चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्य सरकार की तरफ़ से पेश हुए तुषार मेहता से पूछा, ”घटना चार मई की है और ज़ीरो एफ़आईआर 18 मई को हो रही है. पुलिस को 14 दिन क्यों लगे एफ़आईआर करने में? पुलिस चार मई से 18 मई के बीच क्या कर रही थी?”
बेंच ने ये भी कहा कि यौन हमले का शिकार होने से पहले भीड़ का दो महिलाओं को नग्न कर घुमाने की भयावह घटना कोई अकेली घटना नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण होंगे.