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‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता’ याद रखनी चाहिए…राहुल की सज़ा ‘अत्यधिक’ ससख़्त, केंद्र को बड़ा दिल दिखाना चाहिए था : प्रशांत किशोर

पटना, 25 मार्च (भाषा) राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा को ‘अत्यधिक’ बताया और सत्तारूढ़ दल से कांग्रेस नेता की सदस्यता के संबंध में “बड़ा दिल” दिखाने का आग्रह किया।.

किशोर इन दिनों “जन सुराज” अभियान के तहत अपने गृह प्रदेश बिहार का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस यह संदेश जनता तक पहुंचाने के लिए अच्छी तरह से तैयार नहीं दिख रही है कि उसके साथ अन्याय हुआ है।

 

पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोला. किशोर ने कहा कि पार्टी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाइन ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता’ याद रखनी चाहिए.

अपनी ‘जन सुराज यात्रा’ के बीच बिहार के सारण जिले में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे किशोर ने कहा कि उन्हें लगता है कि एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की सजा बहुत अधिक है.

उन्होंने कहा, ‘राजनीति में लोग इस तरह के बयान और टिप्पणियां करते रहते हैं. भाजपा के मित्रों और समर्थकों को उनके नेता अटल जी की कही एक अद्भुत बात याद रखनी चाहिए और बड़ा दिल दिखाना चाहिए. अगर अदालत ने फैसला किया होता तो भी (लोकसभा) सदस्यता नहीं छीनी जानी चाहिए थी. उन्हें (राहुल को) उच्च न्यायालयों में जाने का अवसर दिया जाना चाहिए था.’

गुरुवार को सूरत की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने वायनाड से तत्कालीन लोकसभा सांसद गांधी को एक आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. यह मामला 2019 के आम चुनाव से पहले एक रैली में की गई राहुल गांधी की टिप्पणी से संबंधित है.

हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मिल सके.

उनकी सजा के एक दिन बाद, लोकसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन में कहा कि राहुल गांधी उनकी सजा की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य हैं.

प्रशांत किशोर राहुल गांधी के समर्थन में अपनी बात रखने वाले विपक्षी नेताओं और दलों में शामिल हो गए.

प्रशांत किशोर अभी जन-सुराज यात्रा पर हैं. उन्होंने अपनी 3,500 किलोमीटर की पदयात्रा 2 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा में गांधी आश्रम से शुरू की थी, जहां महात्मा गांधी ने 1917 में पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था.

इस कदम को किशोर के बिहार की राजनीति में प्रवेश का अग्रदूत करार दिया जा रहा है.