साहित्य

जन्म देने वाली माता की वंदना : देव राज बंसल के भजन पढ़िये!


Dev Raj Bansal

Hyderabad

From Kasauli
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प्रभु को अर्जी
भेज रहा प्रभु अर्जी मैं तुमको कहीं ना इसे दबा लेना
स्वयं पढ़ने का समय ना हो किसी से इसे पढवा लेना
धरती को तुमने क्या दिया बार-बार लेकर अवतार
तब भी थी यह लाल हुई अब भी वह खून की धार
जब तुम गए थे यहां से क्या सतयुग तब आया था
कभी भील के हाथों मरे कभी सरयू मे जा समाया था
कैसी दुनिया छोड़ गया था मुझको यह समझा देना
कितने दुष्टों को मारा था क्या दुष्ट थे केवल इतने ही
धरती हो गई थी मुक्त मार दिए थे जितने भी
किसलिए हमें धोखे में डाला सत्य यह है बतला देना
अब तो तभी चैन मिलेगा हजारों अवतार यदि आएंगे
धर्म का चेहरा ओहडे हुए जो उन को सबक सिखाएंगे
बिना किए हुए अपना काम देव छोड़ ना यह जहां देना
देवराज बंसल
८८००८७३५७०

Dev Raj Bansal
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तकदीर का लिखारी
किसने लिखी तकदीर मेरी वह कलम कहां से लाया था
उसने स्वयं लिखा है लेख या किसी से लिखवाया था
दिन का ज्वाला था या थी कोई रात अंधेरी
अंधेरे में ही लिख दिया सब दीया नहीं जलाया था
ना जाने कौन गुरु था वह शिष्य था जिसका
तीखी कलम ना की उसने उल्टा उसे चलाया था
कर्म खाता नहीं खोला मेरा उसमें कुछ तो पढ़ लेता
कुछ तो पुण्य भी होगा जिसने मानव जन्म दिलाया था
लिख रहा था जिस कागज पर उस पर स्याही बहा डाली
उल्टी-सीधी रेखाएं खींचकर मेरा हाथ बनाया था
देव चलो सब ऐसा ही था क्या किसी से कहना है
सुनने वाला भी तो नहीं था सुनता जो सुना सुनाया था
देवराज बंसल 8800873570


Dev Raj Bansal
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जन्म देने वाली माता, की
वंदना
सुनो रे भक्तो आज तुम्हें मैं अपनी बात बतालाता हूं
एक नहीं मेरी दो माताएं हैं उनकी कथा सुनाता हूं
एक ने मुझ को जन्म दिया है दूजी ने मुझको पाला है
एक ने मुझको अपना दूध पिलाया दूजी ने दिया प्याला है
दोनों की सूरत हे मिलती-जुलती दोनों एक सी प्यारी है
मैं तुमको क्या बतलाऊं वह कैसी मात् हमारी हैं
दोनों अपने गोडे जोड़कर मुझको गोद बैठाती है
मेरे केशों को भी मिलकर दोनों ही बनाती है
एक दूजी में दूजी एक में बसी हुई है दोनों मेरी माताएं
एक साथ जकड़ लेती है मुझको फैलाकर अपनी भुजाएं
एक मुझे इहलोक में लाइ दूजी परलोक ले जाएगी
एक ने मुझको है लोरी सुनाई दूजी अमर गीत को गाएगी
एक के पल्लू में मैं छुपता दूजी ढूंढने आती है
जब वह पा लेती मुझको अपनी छाती लगाती है
जन्म लेने से पहले जो वह खाती मैं खाता था
दूजी माता थी रहती साथ में उसके दर्शन पाता था
ऐसी माताएं पाकर ही देव मैं इसीलिए इठलाता हूं
देवराज बंसल 8800873570