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जब एक रूसी मिसाइल दिन के उजाले में यूक्रेन की राजधानी कीव में ट्रैफिक के बीच आ गिरी : डराने वाली ख़बर!

चलती कारों के बीच अचानक गिरी मिसाइल

एक रूसी मिसाइल दिन के उजाले में यूक्रेन की राजधानी कीव पर ट्रैफिक के बीच आ गिरी। यह बैलेस्टिक मिसाइल थी, जो सड़कों के बीचोबीच चलते वाहनों पर आकर गिरी और फिर ब्लास्ट हुआ।

इस संबंध में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे एक रूसी मिसाइल दिन के उजाले में यूक्रेन की राजधानी कीव पर ट्रैफिक के बीच आ गिरी।

यह घटना यूक्रेन की राजधानी कीव में 29 मई की है, जब एक रूसी बैलेस्टिक मिसाइल एक चलती कार के पास गिरी। भाग्य से कार के अंदर बैठे लोग बाल- बाल बच गए। क्योंकि कार के कुछ ही इंच दूर यह बैलेस्टिक मिसाइल गिरी थी। यह घटना रात को ड्रोन हमले के बाद हुई।

यूक्रेन के चीफ ऑफ स्टाफ वालेरी ज़ालुज़नी के अनुसार रूसी सेना ने कीव पर बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें दागीं। बैलेस्टिक मिसाइल के हमले से स्थानीय लोग बुरी तरह से दहशत में हैं।

जानकार हल्कों का मानना है कि अमेरिका, पश्चिम और यूरोपीय देश यूक्रेन की जो सैनिक सहायता कर रहे हैं उसकी वजह से रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक जारी है और इसी मदद के कारण दोनों पक्षों विशेषकर यूक्रेन में जानमाल की भारी तबाही हो रही है।


यूक्रेन युद्ध की आग को भड़काए रखने के लिए अमरीका अब तक 38 बिलियन डॉलर ख़र्च कर चुका है

यूक्रेन युद्ध की आग को भड़काए रखने के लिए अमरीका अब तक कीव को 38 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता दे चुका है।

बुधवार को पेंटागन ने बताया कि यूक्रेन युद्ध की शुरूआत से अब तक वाशिंगटन, कीव को 38 बिलियन डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण दे चुका है।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को अधिक लम्बा खींचने के लिए वाशिंगटन ने हाल ही में कीव को अनुमति दी है कि वह दूसरे देशों से एफ़-16 लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी कर सकता है।

इसी के साथ पेंटागन ने घोषणा की है कि उसकी तरफ़ से यूक्रेन को 300 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता का नया पैकेज दिया जा रहा है।

यूक्रेन युद्ध को 16 महीने बीत रहे हैं और पश्चिमी देश इसे जारी रखने के लिए कीव को जमकर हथियार दे रहे हैं।

सैन्य मामलों के जानकारों का कहना है कि दर असल, यूक्रेन युद्ध एक प्रॉक्सी वार है, जिसे यूक्रेन के पीछे छिपकर अमरीका और युरोपीय लड़ रहे हैं।

रूसी अधिकारी भी कई बार कह चुके हैं कि अमरीका इस युद्ध को लम्बा खींचकर अपने हित साधना चाहता है, जबकि यह युद्ध जितना लम्बा खिंचेगा, यूरोपीय देशों को इसका उतना ही ज़्यादा नुक़सान होगा।