सेहत

जब खून निकलना नहीं होता बंद, हीमोफ़ीलिया एक प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर हैं : हीमोफ़ीलिया के लक्षण!

हीमोफीलिया के मरीजों को उपचार के लिए जल्द ही जीन थेरेपी की सुविधा मिल सकती है। इस पर दुनियाभर में अध्ययन चल रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली भी इस विधि को पर शोध कर रहा है। शोध के पहले चरण में इस विधि के परिणाम हीमोफीलिया बी के मरीजों पर अच्छे आए हैं।

वहीं, हीमोफीलिया ए के मरीजों पर इसे लेकर अध्ययन किया जाना है। आने वाले दिनों में इस विधि के तहत उपचार मरीजों को दिया जाएगा और उनके परिणाम का अध्ययन होगा। यदि यह विधि कारगर साबित होती है तो मरीजों के पास उपचार के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध हो जाएगा।

इस बीमारी से रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है
हीमोफीलिया एक प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर (रक्तस्राव विकार) हैं। यह एक जेनेटिक रोग है। हीमोफीलिया रोग के कारण शरीर में रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और शरीर से बह रहा खून जल्दी नहीं रुक पाता है। यह रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखा जाता है। भारत में जन्मे प्रत्येक पांच हजार पुरुषों में से एक पुरुष हीमोफीलिया से पीड़ित पाया जाता है।

हीमोफीलिया के लक्षण
नाक से लगातार खून बहना, मसूड़ों से खून निकलना
त्वचा आसानी से छिल जाना, शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होना
चोट लगने पर खून निकलना बंद न होना
ऐसे करें बचाव

नियमित व्यायाम, आउडडोर गेम से बचें
खून पतला करने वाले दवा से बचे
दांतों की स्वच्छता बनाए रखें

घर का फर्नीचर किनारे से गोल शेप का हो
यह रोग मुख्य रूप से लड़कों में पाया जाता है। यदि शरीर में यह रोग गंभीर अवस्था में हो तो पांच साल तक के बच्चों में लक्षण दिखने लगते हैं। यदि मध्यम स्तर का होता है तो काफी देरी से पता लगता है। ऐसे मरीजों का उपचार फैक्टर देकर हो सकता है। एम्स इलाज की विधि को और बेहतर बनाने के लिए जीन थेरेपी पर शोध कर रहा है। शोध सफल होने के बाद मरीजों के पास उपचार का अच्छा विकल्प होगा।
-प्रोफेसर डॉ. मनोरंजन महापात्र, विभाग प्रमुख, हेमेटोलॉजी, एम्स

अक्सर देखा गया है कि दौड़ते-भागते छोटे बच्चों को चोट लग जाती है और खून निकलना बंद नहीं होता। बाद में उन बच्चों की जांच में पता चलता है कि इन्हें हीमोफीलिया है। ऐसे मरीजों को लाइफ स्टाइल सुधार कर समस्या को कम करना चाहिए। साथ ही समय पर उपचार करवाना चाहिए।
– डॉ गौरव खरिया, वरिष्ठ हेमेटोलॉजिस्ट, अपोलो

 

जब शरीर से खून निकलना नहीं होता बंद

हीमोफिलिया को ‘रॉयल डिजीज’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह बीमारी यूरोपीय शाही परिवार का हिस्सा रह चुकी है। दुनिया सबसे पहले इस बिमारी से महारानी विक्टोरिया पीड़ित हुईं और उनसे यह बीमारी म्यूटेट होकर उनके बच्चों में फ़ैल गयी; जिसके बाद यह बीरमारी परिवार के साथ कई देशों के राजघरानों में फ़ैल गयी।
बता दें कि यह एक तरह का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है और राजाओं में फैलने के कारण इसे रॉयल डिजीज कहा गया; इस बीमारी में कुछ भी शाही जैसा नहीं है। विश्व हीमोफिलिया दिवस 2023 पर आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में वह सब कुछ जो आपको इससे बचने में मदद कर सकता है।

हीमोफिलिया एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। जो काफी हद तक अनुवांशिक स्थिति है। इसमें थक्का जमाने वाले कारकों की कमी के कारण रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया ठीक से काम नहीं कर पाती है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को सामान्य से अधिक समय तक रक्तस्राव हो सकता है। आमतौर पर, जब हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्ति को चोट लग जाती है, तो रक्तस्राव अपने आप नहीं रुकता है क्योंकि रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर्स की कमी होती है। जिसके बाद जोड़ों में दर्द की शिकायत भी होने लगती है।

हीमोफीलिया के प्रकार – Types of Hemophilia
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (BLK-Max Super Speciality Hospital), नई दिल्ली के सेंटर फॉर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के एसोसिएटेड डायरेक्टर डॉ पवन कुमार सिंह ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि हीमोफीलिया तीन प्रकार का होता है; हीमोफिलिया A फैक्टर 8 की डिफिशिएंसी के कारण होता है। हीमोफीलिया B फैक्टर 9 और हीमोफीलिया C फैक्टर 10 की डिफिशिएंसी से होता है। हीमोफीलिया C महिला और पुरूष दोनों में हो सकता है। लेकिन A और B अधिकतर मामलों में पुरूषों में ही होता है।

इन्हेरिटेड हीमोफीलिया के दो मुख्य प्रकार हैं, जिसमें हीमोफिलिया A और हीमोफिलिया B शामिल है। बता दें कि हीमोफिलिया A: यह क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कम मात्रा के कारण होता है। जबकि हीमोफिलिया B: जो क्लॉटिंग फैक्टर IX के निम्न स्तर के कारण होता है। आम तौर पर एक गैर-कार्यात्मक जीन किसी के माता-पिता से “एक्स” क्रोमोज़ोम के माध्यम से जींस में मिलता है।

क्लॉटिंग फैक्टर के आधार पर हीमोफीलिया A और B कई तरह से डिवाइड किया गया है। जिसमें माइल्ड, मॉडरेट और सेवियर के तौर पर इसे वर्गीकृत किया गया है। 1% से कम एक्टिव फैक्टर्स वाले रोगियों को गंभीर हीमोफीलिया में शामिल किया गया है। इसके अलावा कुछ कैंसर, ऑटोइम्यून डिजीज और गर्भावस्था अक्सर अक्वायर हीमोफिलिया से जुड़े होते हैं। हीमोफिलिया A अधिक सामान्य है और लगभग 5,000 जन्मों में से 1 में होता है। जबकि हीमोफिलिया बी 20,000 जन्मों में 1 को प्रभावित करता है।

कैसे फैलती है हीमोफीलिया बीमारी ? – How does hemophilia disease spread?
डॉ पवन कुमार सिंह ने बताया कि हीमोफीलिया एक जेनेटिक बीमारी है और अनुवांशिक तौर पर इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। जेनेटिक बीमारी बेसिकली प्रोटीन जींस से जुड़ी हुई होती है। किसी भी प्रोटीन के लिए दो जींस होती है; जो एक पिता से मिलती है और दूसरी मां से जुड़ी हुई होती है। यदि गलती से भी दोनों ख़राब जींस हमारे अंदर आ जाएं तो उनमें मौजूद बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। नॉर्मल कैरियर लोगों में एक जींस ख़राब होती है और उनमें इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं; लेकिन दोनों ख़राब जींस बच्चे में आ जाये तो उसको ये बीमारी हो सकती है। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि हीमोफीलिया की बीमारी होती है और महिलाएं इस बीमारी की कैरियर होती हैं।

हीमोफिलिया ए और बी X क्रोमोजोम-लिंक्ड बीमारियां हैं, जो मां से विरासत में मिलती हैं। हालांकि यह रोग पुरुषों में भी होता है। सभी मनुष्यों में एक X गुणसूत्र होता है, महिलाओं में दो X गुणसूत्र होते हैं। जबकि पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोजोम होता है। हीमोफिलिया के जीन को केवल X क्रोमोजोम ही कैरी करता है। एक पुरुष जो जिसके एक्स गुणसूत्र पर हीमोफिलिया जीन मिल सकता है, उसे हीमोफिलिया नामक बीमारी होगी। अगर एक महिला के एक्स गुणसूत्रों में से एक पर ख़राब जीन है, तो वह “हेमोफिलिया कैरियर” हो सकती है। जरूरी नहीं कि कैरियर हीमोफिलिया से पीड़ित हों, लेकिन वे अपने बच्चों को यह बीमारी दे सकते हैं।

हीमोफीलिया बीमारी के बारे में कैसे पता चलेगा ? – How to know about hemophilia disease?
हीमोफीलिया के लक्षण बीमारी के गंभीरता के साथ बदलते है। आमतौर पर इस बीमारी में इंटरनल या एक्सटर्नल ब्लीडिंग की समस्या होती है। जिसमें हीमोफीलिया हल्का होता उनमें मामूली लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में भयंकर इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है; इसमें मसल्स में ब्लीडिंग, जॉइंट्स में ब्लीडिंग, अत्यधिक दर्द होना, जोड़ो में सूजन या ब्लीडिंग शामिल है। इस लोगों के इलाज में कई जाटलिताओं का सामना करना पड़ सकता है।

हीमोफिलिया उपचार का उपचार क्या है ? – Treatment of Hemophilia
ग्लैम्यो हेल्थ (Glamyo Health) की को-फाउंडर डॉ प्रीत पाल ठाकुर ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि हीमोफिलिया उपचार में नवीनतम प्रगति में से एक जीन थेरेपी है। जीन थेरेपी में ख़राब जीन को एक हेल्दी कॉपी जीन से बदलना शामिल है जो रोगी के शरीर में हीमोफिलिया का कारण बनता है, एक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के रूप में वायरस का उपयोग करता है। स्वस्थ जीन तब मिसिंग कोगुलेशन फैक्टर (missing coagulation factors) पैदा करता है, ब्लीडिंग के जोखिम को कम करता है और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। जबकि अभी भी प्रैक्टिकल स्टेज में जीन थेरेपी ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, कुछ रोगियों ने हीमोफिलिया से हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया है।