विशेष

जब ये 30 वर्ष के थे, तब कचरे के डिब्बे में इन्हें एक बच्ची रोती हुई मिली थी….मुझे कोयले की खान से एक हीरा मिला था…

M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
इंसानियत और भाग्य का अनोखा संगम !!

पहली फ़ोटो में दिख रहा इंसान ‘सोबरन’ अहमद हैं! सब्जी बेचते हैं, असम के तिनसुखिया जिले में रहते हैं। जब ये 30 वर्ष के थे, तब कचरे के डिब्बे में इन्हें एक बच्ची रोती हुई मिली थी। दूसरे फोटो दिख रही प्यारी सी लड़की वही बच्ची है…

कचरे में पड़ी उस मासूम को जब सोबरन अहमद घर लाये, तब उनकी शादी नहीं हुई थी। सोबरन ने तय किया कि वे उस मासूम को पालेंगे, पढ़ाएंगे, अपनी शादी नहीं करेंगे और इस तरह उन्होंने उस बिटिया का नाम रखा “ज्योति”!!!

सोबरन सब्जी बेचते, दिन-रात मेहनत करते और बिटिया रानी मन लगाकर पढ़ती रहती। वही ज्योति 25 साल की हो गई है। 2013 में ज्योति ने कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन किया और 2014 में असम पब्लिक सर्विस कमीशन में सेलेक्ट हुईं।आज ज्योति असम में इनकम टैक्स असिस्टेन्ट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं !!

आज जब सोबरन से पूछेंगे कि क्या आपको उस वक़्त लगता था कि जिस बच्ची को आप पाल-पोश रहे हैं, पढ़ा-लिखा रहे हैं, वो इतनी कामयाब भी होगी?
“मुझे बस इतना पता है कि मुझे कोयले की खान से एक हीरा मिला था..” सोबरन कहते हैं।

जात, पात, धर्म, द्वेष, हिंसा, क्रूरता, घमंड, अहंकार से ऊपर उठकर जीने वाले सोबरन। जीवन को जीने का रास्ता दिखाते सोबरन!!
यही लोग असली हीरो हैं दोस्तों!

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
जेठालाल अभी तुम्हारा नंबर लगना बाकी है। इंतज़ार कर। कानून की चक्की ज़रा धीरे चलती है लेकिन बहुत बारीक पीसती है। देश का माहौल बदलने लगा है।
@SureshChavhanke
के ख़िलाफ़ डोज़ियर तैयार है। जल्द ही तू भी सलाखों के पीछे होगा। ज़मानत लेते लेते तेरी उम्र चक्की पिसिंग, चक्की पिसिंग में निकल जाएगी। बहुत नफ़रत फैलाई है तुमने।