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जस्टिस नज़ीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने का फ़ैसला भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा हैं : कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता और राज्यसभा सांसद ए. ए. रहीम ने जस्टिस नज़ीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की आलोचना की है.

उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है.

फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “उन्हें (नज़ीर को) यह प्रस्ताव लेने से मना कर देना चाहिए. देश को अपनी कानूनी व्यवस्था में विश्वास नहीं खोना चाहिए. मोदी सरकार के ऐसे फैसले भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा हैं.”

उन्होंने कहा, “वे अयोध्या मामले में फैसला देने वाली पीठ के सदस्य थे. 26 दिसंबर, 2021 को हैदराबाद में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद (एबीएपी) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भी उन्होंने हिस्सा लिया था, जिसके बाद विवाद हुआ था. यह परिषद संघ परिवार से जुड़ी हुई है.”


कर्नाटक के रहने वाले जस्टिस नज़ीर हाल ही में चार जनवरी को रिटायर हुए थे. सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए वे कई अहम फ़ैसलों में शामिल रहे हैं.

नवंबर 2019 में अयोध्या विवाद पर सर्वसम्मति से दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में वे पांच सदस्यीय खंडपीठ के अकेले मुसलमान जज थे. वहीं, तीन तलाक़ को अवैध क़रार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में भी वे शामिल थे.

जस्टिस नज़ीर केंद्र सरकार की नोटबंदी के फ़ैसले को उचित ठहराने वाली खंडपीठ में भी शामिल थे.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उनका जन्म पांच जनवरी, 1958 को कर्नाटक में हुआ था.

उन्होंने अपनी वकालत का करियर 1983 से कर्नाटक हाई कोर्ट से शुरू किया था. उन्हें 2003 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाया गया. सुप्रीम कोर्ट में उन्हें फ़रवरी 2017 में जज बनाया गया था.