विशेष

#ज़ख्मों पर नमक छिड़कना…स्त्रियों में एक गुण होता है जो की बहुत ही अद्भुत है…!


Betiyan.in
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कोशिश
चंदर अपने माँ बाप का इकलौता बेटा था अपार संपत्ति का एकमात्र वारिस.. नाम के अनुरूप ही बहुत सारे दाग थे उसके चरित्र में भी पर गुप्ता जी और उनकी पत्नी को हमेशा यही लगता कि शादी के बाद जब जिम्मेदारियां सर पर पड़ेंगी तो सब ठीक हो जायेगा पर अक्सर ऐसा होता नहीं और उसके साथ भी हालात वैसे ही रहे अलबत्ता उसकी पत्नी का जीना दुश्वार जरूर हो गया।

चंदर की पत्नी बीना बहुत ही शालीन स्वभाव की पढ़ी लिखी लड़की थी जब उसने देखा कि उसका पति दिन रात नशे में डूबा रहता है तो उसे अपने जीवन का वास्ता देकर समझाने की बहुत कोशिश की पर उसे न सुधरना था और न वह सुधरा उल्टे बात- बात पर गाली गलौच और मारपीट पर उतर आता फिर जब नशा उतरता तो माफी माँग लेता लेकिन बीना उस अपमान को कैसे भूल जाये जो रोज सबके सामने उसके साथ होता।

आखिर उसने अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में फॉर्म भरने शुरू कर दिये और अपने आपको पढ़ाई में डुबा दिया जिसका प्रतिफल भी मिला उसे और उसका चयन लेक्चरर के लिए हो गया।

इधर ज्यादा शराब पीने के कारण चंदर का लिवर पूरी तरह से खराब हो गया और डॉक्टर ने उसे पूरी तरह से नशा न करने की हिदायत दी उसके लिए एक बूंद भी जहर के समान थी बीना ऑफिस से आने के बाद उसके साथ अधिक से अधिक समय बिताने की कोशिश करती ताकि उसे अकेलापन महसूस न हो और उसका ध्यान नशे से दूर रहे पर जब वह चली जाती तो चंदर फिर शराब पी लेता कई बार तो बीना रो देती.. तुम समझते क्यों नहीं चंदर तुम्हारे बाद मैं कैसे जियूँगी तुम्हीं तो मेरे जीवन के आधार हो अपने नहीं तो मेरे जीवन के बारे में तो सोचो।

पर उस पर कोई असर नहीं होता आखिर एक दिन खून की उल्टी हुई और हॉस्पिटल ले जाते हुए रास्ते में ही उसके जीवन की डोर टूट गई।

रो- रो कर बीना का बुरा हाल हो रहा था पर ऐसे में भी कई महिलाएं बजाय सांत्वना के जख्म पर नमक छिड़कते हुए कहतीं.. अरे भई पत्नी चाहे तो प्यार से पति की हर बुरी आदत को छुड़ा सकती है पर बीना को तो अपने कैरियर के आगे किसी की परवाह ही नहीं थी अब झूठे आँसू बहाने से क्या फायदा।

बीना जल – भुन कर रह जाती अब इन्हें कैसे बताऊँ कि मैंने कितना सहा है जीवन में और उससे ज्यादा आगे सहना है मुझे पर इन्हें तो बस जख्मों पर नमक छिड़कने से मतलब है किसी की तकलीफ से नहीं
#जख्मों पर नमक छिड़कना
स्वरचित एवं अप्रकाशित
कमलेश राणा
ग्वालियर


Arvind Verma
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स्त्रियों में एक गुण होता है जो की बहुत ही अद्भुत है…..
और वह गुण है ….
कोई भी पुरुष कितना भी सभ्य और चाहे कितनी भी सौम्य भाषा में स्त्री से बात करें…. स्त्री तत्क्षण उस पुरुष के मन को भांप लेती है.. पढ लेती है….. चंद बातों मे पुरुष को पहचान लेती है…….
उसके भीतर भरी प्रमाणिकता को…
उसके भीतर दबी पड़ी कामुकता को….
उसके भीतर चाहे फूल हों…..
उसके भीतर चाहे कचरा हों ….
वह तत्क्षण जान लेती है….
लेकीन स्त्री को जानना पुरुषों के लियें बड़ा कठिन है…..
‘स्त्री बिना पुरुष’ अधूरा ही नहीं…
वरन् असंभव ही है……
और मजे की बात तो यह है कि… बिना पुरुष के स्त्री अधुरी होकर भी अस्तित्वमान हो सकती है…. यहीं कारण है कि स्त्री बड़ी ही नाजुक होकर भी जीवन की जननी भी है….
स्त्रियों मे छिपे इसी गुण के कारण उनको आदर की नहीं…सम्मान की नहीं…वरन…
स्वतंत्रता की नितांत आवश्यकता है…..।
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अब यदि कोई स्त्री कहती हैं कि उसका महीनों और सालों तक शादी का झांसा देकर यौन शौषण हुआ है तो यक़ीनन वो अपने कानूनी अधिकारों का ग़लत इस्तेमाल कर रही है….!!
Arvind Verma
#हर_बेटी_मेरी