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जुमलेबाज़ की घोषणाओ से खुश होने वाली जनता का इस वाकये से कोई लेना देना नहीं है : 70 हज़ार भारतीयों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए!

M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
एक बार राजा के दरबार में एक फ़कीर गाना गाने के लिए गया फ़कीर ने बहुत अच्छा गाना गाया ।

राजा ने कहा:- इसे खूब सारा सोना दे दो

फ़कीर ने और अच्छा गाया

राजा ने कहा:- इसे हीरे जवाहरात भी दे दो

फकीर ने और भी अच्छा गाना गाया

राजा फिर बोला:- इसे अशरफियाँ भी दे दो
अब की बार फ़कीर ने और भी अच्छा गाना गाया
राजा ने फिर कहा-इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो
इस तरह फ़कीर गाना गा कर घर चला गया और अपने बीबी बच्चों से बोला-
आज हमारे राजा जी ने गाने से खुश होकर खूब सारा इनाम दिया हीरे,जवाहरात,सोना,ज़मीन, अशरफियाँ बहुत कुछ दियाबीसब घर वाले बहुत खुश हुए।
कुछ दिन बीते फ़कीर को अभी तक मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था।फ़कीर दरवार में पता करने पहुंचा और बोला-राजा जी,आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला ?

राजा बोला:-अरे फ़कीर, ये लेन देन की बात क्या करता है तू मेरे कानों को खुश करता रहा और मैं तेरे कानों को खुश करता रहा ।
बेचारा फकीर बेहोश ।

जुमलेबाज की घोषणाओ से खुश होने वाली जनता का इस वाकये से कोई लेना देना नहीं है ।

Neha Singh Rathore
@nehafolksinger
बहुजन समाज के तेजतर्रार युवा नेता चंद्रशेखर रावण को गोली मार दी गई और मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को तवज्जो नहीं दी.

देश के सबसे बड़े समाज का नेतृत्व करने वाले इस अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के व्यक्ति पर हुए हमले को नजरंदाज करना भारतीय मीडिया की वो ऐतिहासिक भूल है जिसकी भरपाई करना उसके लिए आसान नहीं होगा.

70 हज़ार भारतीयों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए

2011 और 2022 के बीच, लगभग 70 हज़ार भारतीयों ने देश भर के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों “आरपीओ” में अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए हैं।

गोवा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली और चंडीगढ़ का योगदान सरेंडर किए गए दस्तावेजों में 90 प्रतिशत से अधिक है।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर सूचना के अधिकार “आरटीआई” आवेदन के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि में सरेंडर किए गए 69 हज़ार 303 पासपोर्ट में से 40.45 प्रतिशत गोवा के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय “आरपीओ” में सरेंडर किए गए।

हालांकि 2011 से आरपीओ में सरेंडर किए गए 69 हज़ार 303 पासपोर्ट इस अवधि में छोड़ी गई भारतीय नागरिकता का केवल एक अंश हैं।

इस साल 24 मार्च को विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन द्वारा संसद में साझा की गई जानकारी के अनुसार, 2011 से पिछले साल 31 अक्टूबर के बीच 16.21 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी।

आरटीआई अधिनियम के तहत प्रदान की गई जानकारी में केवल आरपीओ में सौंपे गए पासपोर्ट शामिल हैं, न कि विदेश में भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में त्यागे गए पासपोर्ट।

भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय मूल के व्यक्तियों को दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है, यदि किसी व्यक्ति के पास भारतीय पासपोर्ट है और उसने किसी दूसरे देश का पासपोर्ट प्राप्त किया है, तो उसे तुरंत अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना होता है।

लोकसभा में प्रस्तुत विदेश मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2011 के बाद से हर महीने औसतन 11 हज़ार 422 भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी। दूसरी ओर पूरे भारत में आरपीओ में इस अवधि के दौरान हर महीने औसतन 482 भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए गए।