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मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है….नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है : उमेश विश्वकर्मा ‘आहत’ की दो ख़ूबसूरत ग़ज़लें पढ़िये!
Umesh Vishwakarma Aahat ================ बहरे- मुतकारिब मुसमन सालिम अर्कान= फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़्तीअ= 122, 122, 122, 122 क़ाफ़िया= (आ- स्वर) रदीफ़= भी नहीं है ग़ज़ल * मज़ा भी नहीं है सज़ा भी नहीं है । नहीं मर्ज़ चाहत, शिफ़ा भी नहीं है । * कभी दोस्ती में दग़ा भी नहीं है । मगर ये […]
क्यू उदास होती री पूनम, अभी तो बहुत दर्द सहना बाक़ी है!
Poonam Devi ========== मौलिक रचना। शीर्षक; क्यू उदास होती री पूनम क्यू उदास होती री पूनम ? अभी तो, बहुत दर्द सहना बाकी है। इस दर्द से ही, तेरी पहचान बनेगी।। जब वंचक संग प्रीत जोड़ी, पहले ही गौर करना था। दिल से बहलाव, बहलाव दिमाग़ से, फिर कहां तुझे बचना था ? जीवन में […]
उसे बस बोलना आता था, वह कुछ भी बोल सकता था : नंदू पूरे गांव में अपने धड़े का इकलौता वक्ता था!
चित्र गुप्त ============ वामपंथी ******* नंदू पूरे गांव में अपने धड़े का इकलौता वक्ता था। उसके बोलने पर लोग मरने मारने पर उतारू हो जाते थे। उसने कई सारी घटनाओं के इतिहास और भूगोल को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़कर तोते की तरह कंठस्थ कर रखा था। उसे जब भी मौका मिलता बेलगाम शुरू हो जाता […]