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गुरु बृहस्पति विचारमग्न बैठे थे…देवताओं के लाख सद्प्रयासों के बावजूद दानवों की प्रगति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी…
चित्र गुप्त ============ चार्वाक दर्शन (जनश्रुति) ******************* गुरु बृहस्पति विचारमग्न बैठे थे। देवताओं के लाख सद्प्रयासों के बावजूद दानवों की प्रगति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। वे देवों पर युद्ध क्षेत्र से लेकर धर्म कर्म तक हर मामले में बीस ही साबित हो रहे थे। अचानक एक विचार उनके दिमाग में बिजली की […]
है दिवाना वो मगर ये ख़बर न थी मुझको!, जान दे कर के अपनी हद से गुज़र जायेगा!!…अम्बर बालमपुरी की ग़ज़ल
Amber Balrampuri ===================== हार कर ज़िन्दगी से अपने किधर जायेगा! लगाकर मौत को गले से अपने मर जायेगा!! भटक रहा है कोई दिल में आरज़ू लेकर! मिले ठिकाना कोई उसको वो ठहर जायेगा!! हुनर कोई भी हो किसी में हो आलिम भी! मिस्ले खुशबु वो फज़ाओं में बिखर जायेगा!! अब तलातुम में है कश्ती खो […]
चार कौवे थे, सबसे अच्छी ‘भाजी’ कौन सी होती है को लेकर चारों लड़ पड़े!
चित्र गुप्त Lives in Lucknow, Uttar Pradesh From Bahraich ============== चार कौवे थे। पहला कौआ विशुद्ध भारतीय था। बिना हाथ गोड़ धोये पूजा पाठ किये एक बूंद पानी भी नहीं पीता था। उसे कुछ मंत्र भी याद थे जिनका स्मरण वो सुबह शाम किया करता था। उन मंत्रों के बारे में उसे बस इतना ही […]