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“जैसे को तैसा” की रणनीति पर लड़ा गया वो युद्ध…..

VANDE Matram
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“जैसे को तैसा” रणनीति पर लड़ा गया वो युद्ध…
#बाबर 1530 ई में ऊपर जा चुका था… बेटा #हुमायूँ भारत में मुग़ल सल्तनत मजबूत के लिए अफगानों से जूझ रहा था! उधर बाबर का दूसरा बेटा गजनी, लाहौर का शासक कामरान भी #हिंदुस्थान पर गिद्धदृष्टि गढ़ाए हुए था।

उसके हुमायूँ के गिरेबां तक पहुँच बनाने में #राजपुताना के राजपूत सबसे बड़ी बाधा थे, इसलिए कामरान को पहले उनको रास्ते से हटाना जरूरी लगा।

तब बीकानेर और आसपास के विशाल जांगल प्रदेश पर प्रबल पराक्रमी राठौड़ राजा #रावजैतसी की सत्ता थी…कामरान ने राव जैतसी को संदेश भेजा, “तत्काल हथियार डालो, दस करोड़ रुपए दो और एक राजकन्या भी”…यह सुन जैतसी का खून ख़ौल गया। जैतसी ने भी कामरान के वध और युद्ध की घोषणा करते हुए दूत को खाली हाथ लौटा दिया।

जवाब में बौखलाया कामरान एक हज़ार अमीरों के साथ… बाबर से भी दोगुनी, अत्याधुनिक हथियारों और तोपखाने से सुसज्जित सेना लेकर जांगल प्रदेश पर चढ़ आया! सतुलज पार कर उसने बिजली की गति से भटनेर को घेर लिया…रास्ते में कई कस्बों को रौंदते आई #कामरान की तोपों के आगे भटनेर का किला टिक न सका… गढ़ में जौहर हुआ और पुरुष योद्धा रणभूमि में मारकाट के बाद साका कर बलिदान हो गए।

जीत से उत्साहित कामरान का रक्तपिपासु टिड्डिदल #बीकानेर की ओर बढ़ा…जैतसी ने चतुराई से काम लेते हुए अधिकतर प्रजा को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा दिया और स्वयं भी मुख्य सेना सहित सौभाग्यदीप दुर्ग से गुप्त स्थानों पर चले गए।

कामरान की तोपों का मुंह अब सौभाग्यदीप दुर्ग की ओर था… भीषण युद्ध हुआ, जैतसी के प्रधानमंत्री सद्धहारण समेत सैकड़ों राजपूत काम आए, और इस दुर्ग पर कामरान काबिज होने में सफल रहा।

#मंगोल लश्कर जल्दी ही रंग दिखाने लगा…हजारों स्त्रियों-बच्चों को बंधक बना लिया गया। उसकी लूट और जुल्मों की दास्तान सुन राव जैतसी ने गुजरात, मुल्तान, मालवा आदि तक के राजाओं को युद्ध मे साथ आने का निमंत्रण भेजा। किसी ने इंकार नहीं किया। सब आ पहुँचे…जैतसी के पास अब सेना की 108 टुकड़ियां और उनके 108 सेनापति थे, पर जैतसी के मस्तिष्क में कुछ ओर ही चल रहा था! उन्हें हर हाल में विजय चाहिए थी, सो कुटिल इस्लामी रणनीति से हमलावरों को सबक सिखाने का निर्णय लिया गया।

जैतसी ने रात्रि युद्ध का विकल्प चुना… हज़ारों पशुओं के सींगों पर और ऊंटों की पीठ पर मशालें व नगाड़े बांध दसों दिशाओं से उन्हें कामरान पर हांक दिया गया। विशेष प्रकार की #व्यूहरचना बना बिजली की गति से अंधेरे में ऐसा भीषण आक्रमण किया गया कि कामरान की सेना भौचक्की रह गई, जलती मशालों, हज़ारों पशुओं और हज़ारों #राजपूतों की हुंकारों से खुद को घिरा देख मुग़लों में भगदड़ मच गई! कामरान का शिरस्त्राण गिर गया, पर भागने की जल्दी में उसने उसे उठाने का प्रयास तक न किया…राजपूत विजयी रहे और कामरान की सेना उल्टे पांव भाग निकली।

रोचक बात…26 अक्टूबर 1534 को हुए “राती घाटी” के इस युद्ध युद्धघोष “हर हर महादेव” नहीं बल्कि “राम राम” था…और दुर्भाग्य की बात जिस राव जैतसी ने सभी राजाओं को एकजुट किया, मलेच्छों को भगाया… उसी राव जैतसी को अपने पड़ौसी राजा #जोधपुर के राव मालदेव के हाथों कुछ वर्षों बाद 1541ई. में अपनी जान और राज्य गंवाना पड़ी…

Avinash Sharma ·
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दो मिनट का समय निकालकर
यह जरूर पढे…
चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास।
नौकरी के लिए चौबे जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी।
ब्याह कर देना चाहिए।
मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, मिश्रा जी भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।
सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया।
पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।
सयानों ने सौदा साढ़े तीन में तय करा दिया।
बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि पब्लिक सर्विस कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।
चौबे- साले, नीच, कमीने… हरामजादे हैं कमीशन वाले…!
पत्नि- लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?
चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी… यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।
पत्नि- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने… हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया… मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वो समझदार आदमी हैं।
प्रिय मिश्रा जी,
अत्रं कुशलं तत्रास्तु !
आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।
आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।
मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-
प्रिय चौबे जी,
आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है। कलेक्टर बन कर आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी।
मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।
बेटी पढाओ, दहेज मिटाओ
एक रोटी कम खाओ,
पर, बेटी जरूर पढ़ाओ