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गाँधी जग से गये कि सब दसकन्धर जाग गये…..By-धीरज चित्रांश
धीरज श्रीवास्तव चित्रांश =============== गांधी जी की पुण्य तिथि पर एक पुराना गीत विशेष … गाँधी जग से गये कि सब दसकन्धर जाग गये। खद्दर पहन के बापू के सब बन्दर भाग गये। जब से आज़ादी आईं, ज्यादा बर्बादी लाई। चौड़ी कर डाली तुमने, धनिकों श्रमिकों की खाई। रूहें हुई इतनी काली, गंगा मैली कर […]
कुछ दोहे….कौन किसी को दे सका, पल भर को आराम, सबकी अपनी जिंदगी, सबके अपने काम!
चित्र गुप्त =============== कुछ दोहे ******** चिंता बोली चिता से, मैं जंगल तू रेह तू मुर्दे को बारती, मैं जिंदे की देह सपने डिजिटल इंडिया, के देकर सरकार कटवा देगी एक दिन इंटरनेट के तार। इक पलड़े में दुःख सभी, तह से कर दो सेट फिर भी भारी ही लगी, मोबाइल बिन नेट चित्रगुप्त कारण […]
💃💃💃स्त्री की परिभाषा💃💃💃-सीताराम “पथिक” की रचना पढ़िये!
Sitaram Pathik =============== 💃स्त्री की परिभाषा💃 🌻🌹💚🪔💚🌹🌻 किसी ने उजली आशा लिख दी, किसी ने घोर निराशा लिख दी। जिसने जैसा चाहा जग में, स्त्री की परिभाषा लिख दी। लिखने वालों ने स्त्री मन, एक बार भी झांक न देखा, पुरुषों ने तो अपने मन की, सारी बस अभिलाषा लिख दी। इस समाज ने एक […]