साहित्य

डे’ वन हंड्रेड नाइन…bY- डा.रंजना वर्मा

Ranjana Verma

From Lucknow, Uttar Pradesh
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डे’ वन हंड्रेड नाइन
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जीवन में कभी भी थकान को वैचारिक स्तर पर हावी नहीं होने देना चाहिए. कुछ थकान तो स्वाभाविक होती हैं जैसे यदि हम शारीरिक थकान की बात करें तो कई बार शारीरिक अस्वस्थता के चलते ऐसा अनुभव होना लाजमी है लेकिन विचारों के स्तर पर आई थकान हमें बड़ा ही बोझिल बना देती है… और हम अपने किसी भी कार्य को पूरे मन से नहीं कर पाते यह थकान दरअसल कभी-कभी अधिक सोचने और अनावश्यक किए गए व्यर्थ विचार करने से भी उत्पन्न होती है… और कई बार असमंजस की स्थितियों में बहुत देर तक स्वयं को रखने से भी ऐसी परिस्थितियों का जन्म होता है? तो हमें उन तमाम कारणों की पड़ताल बड़ी ही संजीदगी से करनी होगी कि हम यह सही ढंग से जान सकें कि दर् असल थकान का कारण है क्या?… कई बार जब स्वस्थ होने पर भी हमें थकान का अनुभव हो उत्साहहीन या बेमन जैसा कुछ लगे तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि यह एक कृतिम वैचारिक थकान है… इससे निकलना बेहद आवश्यक हो जाता है..! अन्यथा हम एक बोझिल जीवन जीते रहेंगे जो प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से हमारे रोजमर्रा के कामों को बहुत प्रभावित करेगा..! तो आज मैं आपसे साझा कर रही हूं कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से आप इन स्थितियों से बच सकते हैं… पहली बात कि आपको उन कारणों की तलाश करनी होगी जो ऐसी परिस्थितियों के जन्म के लिए जिम्मेदार है… दूसरा जब आपको यह पता चल जाए तो आपको तमाम ऐसे कार्यों को करते रहना चाहिए जिससे आप मोटिवेटेड और सकारात्मक महसूस कर सकें तीसरा यह कि आपको जो भी जिम्मेदारियां दी गई हैं… आप उन जिम्मेदारियों को पूरे मन से निभाने का प्रयास करें साथ ही कुछ जिम्मेदारियां जो सामाजिक जीवन में रहते हुए करनी जरूरी है उन्हें कभी भी बोझ स्वरूप समझकर ना करें बल्कि जब उन्हें करना आवश्यक है तो क्यों न पूरे मन से करें कुछ ऐसे छोटे बड़े परन्तु कारगर उपाय हैं जो हमें थकान से दूर रख सकते हैं… कई बार हम उत्साह रहित और बेमन जीवन सिर्फ इसलिए जीते हैं कि हम उन कार्यों में अपने को पूरी तरह से इंवॉल्व नहीं कर पाते…! जिन कार्यों को करना हमारे लिए नितांत आवश्यक है और हम उन्हें छोड़ नहीं सकते… क्योंकि यह हमारे कर्तव्य और उत्तरदायित्व हैं यदि हम एक सामाजिक जीवन जी रहे हैं तो कुछ कामों का करना जरूरी हो जाता है ऐसे में हमें उन कार्यों में कैसे रोचकता लानी है यह सोचना अधिक आवश्यक है …बजाय इसके कि हम एक वैचारिक थकान से भरा दिन जीते रहें…! मिलते हैं एक और सुंदर से विचार के साथ ठीक इसी समय …तब तक के लिए शुभ रात्रि स्वस्थ रहें और वैचारिक रूप से सदैव सकारात्मक विचारों से भरे रहें ..
डा.रंजना वर्मा ‘रैन’गोरखपुर
19.04.2023