विशेष

—-डॉ. राही मासूम रज़ा और मनोज मुंतशिर शुक्ला—-

Shiva Nand Yadav
@shivanandyadaw
—-रही मासूम रज़ा और मनोज मुंतशिर—-

राही मासूम रज़ा मुसलमान थे। ‘महाभारत’ की पटकथा लिख रहे थे। आडवाणी जी ने विरोध किया कि एक मुसलमान को महाभारत की पटकथा नहीं लिखने देंगे। मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं उस समय भी हुआ था।

बीआर चोपड़ा ने कहा स्क्रिप्ट तो रज़ा ही लिखेंगे। रज़ा ने चोपड़ा साहब को कहा मुझे धारावाहिक से अलग हो जाने दो, मैं विवाद नहीं चाहता। चोपड़ा साहब ने कहा आप अगर स्क्रिप्ट लिखने से मना करते हैं तो धारावाहिक नहीं बनाऊंगा।

रज़ा तैयार हुए। रज़ा उत्तर प्रदेश के गंगौली के थे। अतः ख़ुद को गंगा पुत्र कहने लगे और कहा जो लोग(आडवाणी) पाकिस्तान(सिंध) से आए हैं वे पाकिस्तान चले जाएं। मैं गंगौली का हूँ गंगापुत्र, एक भारतीय। उसके बाद धारावाहिक में उन्होंने भीष्म पितामह के किरदार में ख़ुद को जीया और बारबार उनका ख़ुद को गंगापुत्र कहना असल में रज़ा की पीड़ा थी,उद्घोषणा थी कि मैं हूँ गंगापुत्र।

उस धारावाहिक ने इतिहास रच दिया।आज मनोज मुंतशिर ने रामायण पर स्क्रिप्ट लिखी है। बीजेपी के रोडछाप नेताओं की तरह भाषा भगवान से बुलाने से फूहड़ता तक इस रामायण की विशेषताएं हैं। मनोज का आत्मविश्वास देखकर मुझे हरिशंकर परसाई का एक कथन याद आता है उन्होंने अपने एक व्यंग्य में लिखा था मूर्खों का आत्मविश्वास परम होता है।

बॉलीवुड में हिन्दू धर्म से सम्बंधित सारे शानदार गीत मुसलमान गीतकारों ने लिखे हैं,गाये हैं मुहम्म रफी टाइप मुसलमानों ने। भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने ऐसे ही मुसलमानों के लिए कहा था ‘इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिये।’

बजरंगबली की पूंछ में जब आग लगती है तो वे किसी क्लीव से ‘ईईई’ कहते हैं, और फिर कपड़ा तेल वाला बेहूदा डायलॉग बोलते हैं। जिन बजरंगबली के एकांश को बाली बर्दाश्त नहीं कर सका था वे ईईई कह रहे हैं। मनोज सच में दक्षिणपंथी हैं।

वैसे इस प्रसङ्ग की ब्यूटी यह है कि इस फ़िल्म का प्रथम विरोध मार्क्सवादी और लिबरल ग्रुप ने शुरू किया है, दक्षिणपंथी अब भी नागपुर के इशारे की प्रतीक्षा में टुकुर टुकुर ताक रहे हैं। मनोज को नागपुर से अभय मिला हुआ है तभी आत्मविश्वास से चैनल चैनल चिकुर रहे हैं।

वैसे यह बात फिर साबित हो गयी कि आरएसएस का हिंदूवाद समस्यामूलक है। भक्तिकालीन संतों का हिंदूवाद ही आदर्श और प्रतिमान युक्त है। भारत की विविधता ही उसकी थाती है।

-आदित्य कुमार गिरि

 

Rohit Singh
@rohit_singh1245
यहाँ मैं आप से सहमत हूं।
2 दिन पहले मैं भी यही सोच रहा था पर कौन इतना टाइप करें। ये बात सत्य है कि महाभारत को जो संवाद रही मसूर राजा जी ने शुद्ध हिंदी में लिखे है ये नकली शुक्ला 4 जन्म में भी नही लिख पायेगा।
भगवान श्री कृष्ण , विदुर और भीष्म के जो सम्वाद लिखे है इतनी गहराई है उसमें बिना ईस्वर की कृपा के कोई लिख ही नही सकता।
ये संवाद आज भी मार्गदर्शन करते है इस लिए महाभारत बीच बीच मे देखता राहत हूं।
ये शुक्ला कहता है कि उसने आज की पीढ़ी के समझने के लिए लिखा है ऐसा संबाद इंडिरेक्टली वो कहना चाह रहा कि आज की पीढ़ी मूर्ख है। अगर तब की कम पढ़ी लिखी पीढ़ी शब्दो की जादूगरी को समझ सकती है तो आज की पीढ़ी क्यो नही ? अगर आज पीढ़ी हिंदी शब्दों की गहराई और संवाद नही समझ सकती तो इंग्लिश में बना दो GOT भी तो इंग्लिश में बना है क्या शानदार संवाद है।
इसलिए GOT को महाभारत के बाद दूसरे नंबर पर रखता है।