धर्म

तसवूफ़ एक बदनाम लफ़्ज़ होकर रह गया है….तसवूफ़ क्या है? : Part-5

 

Razi Chishti
===============
·
(5)
अल्लाह swt ने फ़रमाया, “मोमिनो! इस्लाम में पूरे पूरे दाख़िल हो जाओ, और शैतान की इत्तबा(नक़ल) न करो”(2:208). अल्लाह swt शैतान के नक़्शे क़दम पर चलने से मना फ़रमा रहा है इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि शैतान का अमल क्या है? शैतान ने जब सजदा करने से इंकार कर दिया उसके क़ब्ल वह एक मुत्तक़ी व परहेज़गार बंदा था. उस वक़्त उसका नाम अज़ाज़ील था. वह हर वक़्त अल्लाह की इबादत में मशग़ूल रहता था और जन्नत में जाकर फरिश्तों को पढ़ाया करता था. शैतान का यह पहला अमल उसकी नाफ़रमानी से पहले था.

शैतान का दूसरा अमल यह था कि जब अल्लाह swt ने फ़रमाया कि आदम के सामने सजदा करो तो उसने इंकार कर दिया. तब उसका नाम इबलीस हुआ. अल्लाह swt ने फ़रमाया की इबलीस सजदा करने वालों के साथ होने से इंकार कर दिया(15:31). अल्लाह swt ने इबलीस से पूछा; “इबलीस तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करने वालों में शामिल न हुआ”(15:32). (उसने ने) “कहा कि मैं ऐसा नहीं हूँ कि इंसान को, जिसको तूने खनखनाते हुए सड़े गारे से बनाया है, सजदा करूँ”(15:33), फ़रमाया; “यहाँ से निकल जा तू मरदूद है, तुझ पर क़यामत के दिन तक लानत रहेगी”(15:34,35). तब से उसका नाम शैतान हुआ.
शैतान पर अल्लाह swt ने जब लानत डालदी तो उसने कहा, “जैसा तूने मुझे गुमराह किया है मैं भी ज़मीन पर लोगों के लिए गुनाहों को आरस्ता कर के दिखाऊँगा और सबको गुमराह करूँगा”(15:39). शैतान अपने इसी वादे के मुताबिक़ लोगों को गुमराह करता है। यह शैतान का तीसरा अमल है.

अल्लाह swt मोमिनों को हुक्म देरहा है कि शैतान की इत्तबा(नक़ल) न करो. पहला अमल मुत्तक़ी व परहेज़गार होना और अल्लाह कि इबादत करना, इस अमल पर सभी मोमिन अमल करते हैं. पूरे कुरान में इस अमल पर क़ायम रहने का हुक्म है। अल्लाह swt शैतान के इस अमल की इत्तबा मना करे यह मुमकिन नहीं है. मोमिन हिदायत के रास्ते पर होता है और वो दूसरों को भी इसी रास्ते पर चलने की दावत देता है और वो बख़ूबी जानता है कि अल्लाह swt को क्या पसंद है अर्थात दीन की दावत देना. तो मोमिन शैतान के तीसरे अमल की पैरवी अर्थात लोगों को गुमराह करने का अमल वह क़त्तई नहीं करता है इसलिए इस अमल पर न चलने की हिदायात का कोई मतलब नहीं है. अल्लाह swt शैतान के उस अमल कि इत्तबा मना फ़रमा रहा है जिस अमल के हक़ होने का गुमान होना मुमकिन है.

यह है शैतान का दूसरा अमल अर्थात उसने आदम alslm को सजदा नहीं किया और ससजदा करने वालों में शामिल नहीं हुआ. शैतान को अपनी इबादत, परहेज़गारी और तक़वे पर ग़ुरूर हो गया और इसी नशे में उसने कह दिया कि मैं आदम को सजदा करने वाला नहीं जिसको तुमने खनखानते हुए सड़े गारे से बनाया. अल्लाह swt ने फ़रमाया है कि इबलीस ने तकब्बुर किया और काफिर होगया।(38:74). शैतान के इसी अमल की इत्तबा करने से अल्लाह swt मोमिनो को मना कर रहा है. अल्लाह swt ने फ़रमाया; “और तुम अपने रब की तसबीह कहते और खूबियाँ ब्यान करते रहो और सजदा करने वालों में शामिल रहो”(15:98). हमारा ईमान है कि अल्लाह swt के सिवा किसी को सजदा जायज़ नहीं है. इबलीस के दिल में शुबहा पैदा हुआ कि अगर वो आदम को सजदा करेगा तो यह शिर्क होगा जिसको अल्लाह मआफ़ नहीं करेगा. सजदा करने वालों में शामिल होना एक बहुत ही दक़ीक़ राज़ है. यह गुत्थी उस वक़्त हल होगी जब बंदा एहसान के मक़ाम पर पहुँच जाए जहां पर अल्लाह swt की ऐसे इबादत करते हैं गोया उस को देख रहे हैं. यह सब तसवूफ़ के मामलात है. ——–to be continued