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सरदार मेघराज सिंह की एक कविता **इंसानियत के नाम**—-ज़रूर पढ़ें!
Meghraj Singh =============== एक कविता इंसानियत के नाम—- सुख चाहते हो ज़िंदगी मैं तो सच को अपनाइए । झूठ और बेईमानी को अपने अंदर से दूर भगाइए । अपने मन को सच के रास्ते पर रोज़ चलना सिखाइए । सच्चाई और ईमानदारी से अपने मन को राजा बनाइए । नफ़रत की दीवारों को प्यार के […]
उस गाव में एक फ़क़ीर आया, महामूर्ख ने उस फ़क़ीर के चरण पकड़े और कहा….
Apna mohalla-अपना मोहल्ला =========== एक गांव में एक महामूर्ख था। वह बहुत परेशान था, क्योंकि वह कुछ भी कहता लोग हंस देते; लोग उसको महामूर्ख मान ही लिये थे। वह कभी ठीक भी बात कहता तो भी लोग हंस देते। वह सिकुड़ा सिकुड़ा जीता था, बोलता तक नहीं था। न बोले तो लोग हंसते थे, […]
वीरांगनाएं पैदा नहीं होती, वीरांगनाएं पैदा की जाती हैं!!
Shikha Singh ========= वीरांगनाएं पैदा नहीं होती वीरांगनाएं पैदा की जाती हैं। जिस तरह नृत्यांगना पैदा नहीं होती बानाई जाती हैं। स्त्री के साहस और उसकी कला को प्रखर करने के लिये पुरुष को भी साथ देना होता है। जिस तरह अपने मनोरंजन के लिये उसका साथ प्राप्त करते हो तुम ,उसी तरह उसकी कला […]