साहित्य

तुझको जीना, जी कर लिखना, लिख कर पढ़ना, पढ़ कर रोना….

Muskan Sharma
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जा तुझे भी इश्क़ हो।
तुझको देती हूँ दुआएं जा तुझे भी इश्क़ हो,
दर्द तुझको भी सताएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
नींदें भी उड़ जाएं तेरी तू भी हो बेचैन कुछ
ख़्वाब तेरा मुहं चिढाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
नाम सुनकर इश्क़ का धड़के तेरा दिल ज़ोर से,
धड़कनें तुझको रुलाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
दिल मेरा टूटा है तो क्या टूटने दे तेरा क्या?
मेरे सर मेरी बालाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
इश्क़ क्या है तुझको भी तो तजरबा हो कुछ न कुछ,
तू भी झेले सौ सजाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
तुझको भी तुझसा मिले इक बेवफ़ा तेरी तरह,
मेरी यादें जी जलाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
हमने भी मुस्कान जाने वालों को रोका नहीं,
कह दिया जाते हैं जाएं जा तुझे भी इश्क़ हो।
#madhurimuskansharma #muskansharma

Muskan Sharma
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तुझको जीना, जी कर लिखना, लिख कर पढ़ना, पढ़ कर रोना।
इस रोने में ,इस जीने में, इस लिखने में, पागलपन है।।
तेरी बातें तेरी यादें ,यादों में ही तुझसे मिलना।
इन बातों में,इन यादों में ,मिलने में दोनों का मन है।।
सच कहती हूँ मर नहीं सकती,तुझ संग मैं जीना चाहती हूं।
लेकिन तुझपर ही मरती हूँ, यही मेरा दीवानापन है।।
नहीं है चाह देह मिलन की, मन से मन मिलना है काफी ।
प्रेम भाव मे ,प्रेम निलन में, दोनों का ही अंतर्मन है।।
सम्मान, प्रेम हो देते ,मुझको दुनिया से क्या लेना?
दुनियादारी से हट मेरा ,तुझको शत शत अभिनन्दन है।।
सफ़र हो कोई साथ हो तेरा, चाहे अम्बर तक ले जाना।
चाँद सितारे सूरज धरती, तुझसे से मेरा नील गगन है।।
बस तेरी है मुझे जरूरत, प्यार से जब कहते हो मुझको।
मेरी है बस वही कमाई ,वही तो मेरा असली धन है।।
मेरे हर इक शेर में तू है, मुक्तक में गजलों में तू है।
तू मेरे छंदों का दिल है ,मेरे गीतों की धड़कन है।।
रब्ब को भी नाराज़ किया है, रब्ब से तुमको इतना मांगा।
तू ही मेरा काशी,मथुरा ,हरिद्वार तू वृंदावन है।।