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तुमसे अच्छे तो मुसलमान हैं जिन्होंने ₹10 दान किए….By-Anil Kumar Singh Jaisawar

Anil Kumar Singh Jaisawar

Lives in Lucknow, Uttar Pradesh

From Jaipur, Rajasthan

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केवल ₹10 का सवाल है –
भारत के अधिकांश धार्मिक स्थलों पर प्रसाद के साथ-साथ नगद धनराशि चढ़ाने की प्रथा है l कुछ मंदिरों में स्वेच्छा से धनराशि दी जाती है तो कुछ मंदिरों में पुजारियों तथा वहां के व्यवस्थापको के द्वारा भक्तों से जबरदस्ती धन उगाही का प्रचलन जैसा बन गया है l कहीं पर दर्शन करवाने के नाम पर वीआईपी लाइन लगती है तो कहीं पैसा लेकर के दर्शन करवाया जाता है l और कहीं कहीं अंदर जाकर के भक्तों को ऐसी बातें बताई जाती हैं कि उन्हें पैसा देना ही पड़ता है l भेट द्वारिका और मथुरा के गोकुल में बने बड़े-बड़े मंदिरों में भक्तों को एक हाल में बैठाया जाता है l जहां उन्हें भविष्य का भय दिखाकर पूर्वजों के नाम पर पुजारियों के द्वारा पैसा लिया जाता है l इसी तरीके से इस बार जब मैं चित्रकूट के हनुमान धारा धार्मिक स्थल पर गया तो हनुमान धारा से 175 सीढ़ी ऊपर चढ़ कर के सीता रसोइया स्थल पर गया l वहां पर 1 दर्जन से अधिक ऐसे छोटे-छोटे मंदिर बने थे जहां पर हर मंदिर में पुजारी बैठा था और वह सभी से ₹10 चढ़ाने की मांग करता था l हर भक्त से वह यही कहता था कि केवल ₹10 का सवाल है l सीता रसोइया प्रांगण में दर्जनों मंदिर और हर मंदिर में ₹10 का चढ़ावा दिन भर में अगर 2000 आदमी दर्शन करने गया और उसमे से आधे ने पैसा दे दिया तो एक पुजारी को ₹10000 की बचत होती होगी l लाखों-करोड़ों में चढ़ने वाले चढ़ावे का हिसाब किताब और उसके बदले में भक्तों को क्या मिलता है l

इसके बारे में हमें कोई ज्ञान नहीं है l मैंने जब किसी मंदिर में कोई भी दान नहीं किया तो एक पुजारी ने मेरे काले कोट को देख कर यह कहा कि वकील साहब बहुत ठगते हो गरीबों को, कुछ दान कर दो l तुम्हारी वकालत खूब चलेगी l जब मैंने नहीं पिघला तो उसने मुझसे यहां तक कहा कि तुमसे अच्छे तो मुसलमान हैं जिन्होंने ₹10 दान किए l इस बात को सुनकर के मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि पैसा प्राप्त करने के लिए कैसे कैसे तरीके अपनाए जाते हैं l इसीलिए लोगों की श्रद्धा इन स्थानों पर कम होती जा रही है l हमारे धर्म गुरुओं को इस विषय पर सोचना होगा या तो इसमें सुधार करना होगा या फिर भगवान भरोसे यूं ही चलता रहेगा l मेरी दृष्टि से व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जो भी भक्त अपनी मर्जी से मंदिर में दान करना चाहता है उसे दान करने देना चाहिए l लेकिन पुजारियों के द्वारा या मंदिर के व्यवस्थापको के द्वारा भक्तों से जबरदस्ती या मूर्ख बनाकर के या भविष्य का भय दिखा कर के या पूर्वजों के नाम पर किसी भी हालत में धन उगाही का काम नहीं करना चाहिए l

– स्वामी रामानंद सैनी महाराज

डिस्क्लेमर : तमाम जानकारियां लेख के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है