

Related Articles
कभी तक़दीर का मातम कभी दुनियाँ से गिला
मधुसूदन उपाध्याय =============== कभी तकदीर का मातम कभी दुनियाँ से गिला _____________________________________ इस शीर्षक से शकील बंदायूनी की एक गजल के एक मकते को आधार बना कर यह लिख रहा हूँ। शुद्ध मन से तथा ईश्वर को साक्षी रखकर । जो लोग भाग्य नहीं मानते उनके लिए यह सब कुछ एक बार सोचने का विषय […]
#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना….By_लतिका श्रीवास्तव
Betiyan.in ============== जब मैं था तब हरि नही अब हरी है मैं नाहि…. पीयूष बेटा तेरे पिता तुझे बहुत याद कर रहे हैं अंतिम समय में तुझे देखना चाहते हैं एक बार आ जा बेटा….दमयंती जी करुणा विगलित स्वर में अपने इकलौते चिराग पियूष से प्रार्थना कर रहीं थीं। मां कोशिश कर रहा हूं कंपनी […]
मनुष्य को यदि जीवन में सफ़ल होना है तो उसे अपने विचारों को सशक्त बनाना होगा : लक्ष्मी सिन्हा का लेख!
Laxmi Sinha ============== मनुष्य की नियति उसके विचारों की दशा-दिशा से निर्धारित होती है। ऐसा इसलिए,क्योंकि जैसी विचार होंगी,कर्म भी उसी दिशा में होंगी और जिस दिशा में कर्म होंगी, परिणाम भी उसके अनुरूप ही प्राप्त होंगी। यही कारण है कि मनुष्य जैसा सोचता- विचारता है वह वैसा ही बनता जाता है। इसलिए सोच सही […]