विशेष

तुम अपने क़लमें के शरीक़ “भाई” के भाई नही हो….

Syed Yahiya
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शिया मोहर्रम का जुलूस निकालते है, आपने कभी उनके लिए सुन्नी समुदाय को खाने-पीने या दीगर खिदमत के लिए सड़क किनारे खड़ा देखा?
बरैलवी जुलूस निकालते हैं आपने देखा है कभी किसी देवबंदी-बहाबी को सड़क पर उनके लिऐ शर्बत लेकर खड़े हुए?
तब्लीगी जमात के लोग अक्सर पीठ पर बिस्तर टांगे पैदल चलते हुए दिख जायेंगे कभी देखा है आपने किसी बरेलवी/शिया समुदाय के लोगों को उनकी खिदमत के लिऐ हाथों में फ्रूट्स और शर्बत लिऐ हुए देखा?
पर आपने हर फिरके के लोगो को खूब और हर साल देखा होगा, रामनवमी और कांवड़ियों के लिऐ टोपी लगाए हुए सड़कों पर शर्बत, केला, मिठाई और अलग-अलग खिदमत करते हुए …
आप यह चाहते हो कि हिन्दू आपके खिदमत के “ढोंग” की बदौलत आपको अपना भाई मान लें। जबकि तो तुम अपने कलमें के शरीक “भाई” के भाई नही हो.(सैय्यद याहिया)

Syed Yahiya
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सुना है आजकल #मुग़लों के #इतिहास मिटाने पर workout हो रहा है,,,, खैर जो मर्जी हो करो,, हो सके तो हकीम खां सूर का भी नाम मिटा देना,,, वो #हाकिम जो हल्दी घाटी का Hero था

#महाराणा प्रताप के बहादुर #सेनापति #हकीम-खां-सूर के बिना हल्दीघाटी युद्ध का उल्लेख अधूरा है। 18 जून, 1576 की सुबह जब दोनों सेनाएं टकराईं तो प्रताप की ओर से अकबर की सेना को सबसे पहला जवाब हकीम खां सूर के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने ही दिया जबकि अक़बर के सेनापति मान सिंह थे
कहते हैं हाकिम खान से उनके दुश्मन थर थर कांपते थे उनके अंतिम युद्ध में उनकी वीरता दिल दहला देने वाली है जब हल्दीघाटी के युद्ध के समय हाकिम खान लड़ते लड़ते शहीद हो गए. उनका सिर कट कर गिर गया लेकिन उनका धड घोड़े पर ही रहा. मरने के बाद भी उनका सर कटा शरीर, हाथ में तलवार देखकर मुगलों के पसीने छूट गए.
कुछ दूर जाकर जहाँ उनका धड़ गिरा वहीँ पर उन्हें दफनाया गया. हाकिम खान के साथ उनकी प्रसिद्ध तलवार को भी #दफनाया गया. धीरे धीरे उस क्षेत्र के लोग उन्हें संत मानाने लगे. आज हाकिम खान को पीर का दर्ज़ा प्राप्त है.

#शिवाजी का तोपख़ाना प्रमुख एक #मुसलमान था। उसका नाम #इब्राहिम ख़ान था,, वो भी मिटा देना कैसे मिटाओगे महारानी #लक्ष्मी बाई के महान तोपची #गौश खान के इतिहास को जिसने उस वक्त की सबसे आधुनिक कड़क बिजली तोप का न केवल अविष्कार किया बल्कि उन्होने बड़ी सावधानी से रास्ते में आए मंदिर को बचाते हुए #अंग्रेजों पर गोलों की इतनी बरसात की,, कि अंग्रेजों को पीछे हटना प़डा था,,

रानी #लक्ष्मीबाई के पास #ख़ुदा बक्स गौश खान सहित 1500 पठान अंगरक्षक थे, जो हमेशा उनके साथ रहते थे।

बुंदेलखंड में रक्षाबंधन का पर्व सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा पैगाम देता है। 1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई (Maharani Laxmi Bai ) ने बांदा के नवाब अली बहादुर द्वितीय (Nawab Banda Ali Bahadur) को राखी भेजकर फिरंगियों के खिलाफ मदद मांगी थी। बहन की राखी की लाज निभाने के लिए नवाब अली बहादुर द्वितीय 10 हजार सैनिकों के साथ #फिरंगियों से युद्ध करने झांसी पहुंच गए थे।
यहाँ तक का अंतिम संस्कार तक उनके मुह बोले भाई नक़ाब अली बहादुर ने किया था

#टीपू सुल्तान
कैसे टीपू सुल्तान ने लड़कर दलित महिलाओं को अपना स्तन ढकने का अधिकार दिलाया था?
केरल के त्रावणकोर इलाके, खास तौर पर वहां की महिलाओं के लिए 26 जुलाई का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसी दिन 1859 में वहां के महाराजा ने अवर्ण औरतों को शरीर के ऊपरी भाग पर कपड़े पहनने की इजाज़त दी थी। अजीब लग सकता है, पर केरल जैसे प्रगतिशील माने जाने वाले राज्य में भी महिलाओं को अंगवस्त्र या ब्लाउज़ पहनने का हक पाने के लिए 50 साल से ज़्यादा सघन संघर्ष करना पड़ा।

किसका किसका इतिहास मिटाओगे,,, अरे #गाँधी का इतिहास कुरेदोगे तो उसके अंदर #सीमान्त गांधी (खान #अब्दुल #गफ्फार खान) का त्याग मिलेगा,,, सुभाष का इतिहास कुरेदोगे तो #शाहनवाज, आबिद हसन, कर्नल हबीबुर रहमान जैसे रण बांकुरे ,, मिलेंगे,,#अमर शहीद #रामप्रसाद बिस्मिल का इतिहास कुरेदोगे तो मादरे हिंद पर मिटने बाले #अशफ़ाक मिलेंगे,,, #सेना का इतिहास कुरेदोगे तो पाकिस्तानी टैंकों की धज्जियाँ उड़ाता बीर शहीद #अब्दुल हमीद मिलेगा!!!!

इन सब पर भी मन न भरे तो,,,, #परमाणु संपन्न भारत से #अब्दुल #कलाम का भी नाम मिटा देना!!!
पर याद रखना की #इतिहास न कभी मिटाया नहीं जा सकता है न #निर्देशित किया जा सकता है, हाँ छिपाया जरूर जा सकता वो भी थोड़े वक्त के लिए!!
( सैय्यद याहिया)