रविवार यानी 14 मई को तुर्की के लोग अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं.
लगातार दो दशक तक सत्ता में रहने के बाद मौजूदा राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन एक बार फिर राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हैं.
जानकारों का मानना है कि तुर्की के सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले अर्दोआन के लिए ये चुनाव उनके जीवन का सबसे मुश्किल संघर्ष है.
देश में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव साथ-साथ कराए हैं और अर्दोआन को सबसे बड़ी चुनौती उनके ख़िलाफ़ लामबंद हुए विपक्ष की तरफ से मिल रही है.
उनके मुख्य प्रतिद्वंदी विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू शुक्रवार को हज़ारों की संख्या में एकत्र हुए अपने समर्थकों के सामने पहुंचे.
इस दौरान कई विपक्षी पार्टियों के नेता उन्हें अपना समर्थन देने मंच पर पहुंचे थे. आज से पहले तुर्की में किसी विपक्षी नेता के लिए इस तरह समर्थन नहीं देखा गया था.
शुक्रवार को जब राजधानी अंकारा में विपक्षी पार्टियों की रैली हो रही थी तो बारिश शुरू हो गई, लेकिन इससे समर्थकों की संख्या कम नहीं हुई.
बारिश के बीच मंच से कलचदारलू ने “शांति और गणतंत्र” फिर से बहाल करने का अपना वादा दोहराया.
तुर्की में चुनाव
14 मई को तुर्की में संसदीय और राष्ट्रपति पद के चुनाव हो रहे हैं.
69 साल के रेचेप तैय्यप अर्दोआन 20 साल सत्ता में रहने के बाद एक बार फिर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.
उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं 74 साल के विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू.
तुर्की में 600 सीटों वाली संसद के अलावा दो राउंड में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.
अगर पहले राउंड में किसी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो रन-ऑफ़ राउंड में पहले दो उम्मीदवारों को सबसे अधिक वोट मिलने वालों के बीच मुक़ाबला होगा.
कमाल कलचदारलू की कोशिश है कि वो 20 साल से सत्ता पर काबिज़ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन को सत्ता से बाहर करें.
वहीं अर्दोआन का दावा है कि तमाम मुश्किलों के बीच उन्होंने तुर्की को मज़बूत बने रहने में मदद की है.
पहले ही महंगाई की मार झेल रही तुर्की की अर्थव्यवस्था इस साल फरवरी में आए विनाशकारी दोहरे भूकंप के असर से उबरने की कोशिश कर रही है. चुनावों में इस बार ये दोनों मुद्दे ही अहम बने हुए हैं.
कमाल कलचदारलू से बंधी विपक्ष की उम्मीदें
74 साल के विपक्षी गठबंधन के नेता कमाल कलचदारलू को वैसे तो मीठा बोलने वाला व्यक्ति कहा जाता है, उन्हें ‘तुर्की का गांधी’ भी कहा जाता है. लेकिन शुक्रवार को अपनी चुनावी रैली में उन्होंने बेहद ज़ोरदार भाषण दिया.
विपक्षी दलों का मानना है कि संसद की ताकत को दरकिनार करते हुए अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लेने वाले अर्दोआन के हाथों से सत्ता वापिस लेने के लिए उनका आक्रामक होना ज़रूरी है.
ओपिनियन पोल्स की बात करें तो उनमें कलचदारलू, अर्दोआन से मामूली बढ़त बनाए हुए दिखते हैं. उनके समर्थकों को यकीन है कि रविवार को होने वाले मतदान में उन्हें 50 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल होंगे और उन्हें दो सप्ताह बाद रन-ऑफ़ का सामना नहीं करना पड़ेगा.
तुर्की के लाखों वोटरों में से एक ‘फिरात’ पहली बार इस बार चुनावों में मतदान करने वाले हैं. वो कहते हैं उन्हें खुशी है कि वामपंथी मध्यमार्गी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी के प्रमुख के साथ कंज़र्वेटिव और नेशनलिस्ट नेता भी एक साथ मंच पर दिख रहे हैं.
छह विपक्षी पार्टियों के इस गठबंधन में एक तरफ नेशनलिस्ट पार्टी की एकमात्र महिला नेता मेराल आक्सेनर शामिल हैं तो दूसरी तरफ इस्लाम समर्थक फ़ेलिसिटी पार्टी के तेमेल करामोलोग्लू शामिल हैं.
कमाल कलचदारलू की पार्टी के केंद्र में सेक्युलर विचारधारा है लेकिन अपने प्रचार के दौरान उन्होंने हिजाब पहनने वाली महिलाओं तक भी पहुंचने की पूरी कोशिश की है.
ये छह विपक्षी पार्टियां ‘हाएदी’ स्लोगन के साथ लोगों के सामने आ रही हैं जिसका अर्थ है ‘चलो चलें’ (कम ऑन). इसी शब्द के साथ चुनावों को देखते हुए विपक्षी गठबंधन ने एक गीत भी लॉन्च किया है.
कमाल कलचदारलू कौन हैं?
17 दिसंबर 1948 को तुर्की के तुनसेली में जन्म.
परिवार का सरनेम काराबुलुत था. उनके पिता ने सरनेम बदलकर कलचदारलू कर लिया था क्योंकि उनके गांव में सभी का सरनेम कलचदारलू था.
गाज़ी यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डिग्री लेने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस में कदम रखा.
1994 में तुर्की की इकोनॉमिक ट्रेंड पत्रिका ने उन्हें ‘ब्यूरोक्रेट ऑफ़ द ईयर’ के ख़िताब से नवाज़ा.
1999 में सिविल सर्विस से इस्तीफ़ा देकर कमाल ने राजनीति में कदम रखा.
मई 2010 से रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं.
चुनावी सरगर्मियां और चढ़ता पारा
इन चुनावों के दौरान तनाव इस कदर अपने चरम पर पहुंच चुका है कि वोटिंग से पहले अंकारा में हुई अपनी आख़िरी जनसभा में कमाल कलचदारलू ने बुलेट-प्रूफ़ जैकेट पहना था. इससे पहले भी एक और रैली में उन्होंने ऐसा ही जैकेट पहना था.
राष्ट्रपति पद की दौड़ बेहद महत्वपूर्ण बन गई है क्योंकि ये चुनाव सत्ता परिवर्तन के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है.
राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल चार में एक मुहारेम इन्जे ने गुरुवार को अपनी उम्मीदवारी ये कहते हुए वापिस ले ली कि सोशल मीडिया पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ‘वोटरों को प्रभावित’ करने के इरादे से सोशल मीडिया पर डीप फ़ेक सेक्स वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं.
मुख्य विपक्षी नेता ने आरोप लगाया कि रूस, तुर्की के चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने इसका खंडन किया और कहा कि न तो डीप फ़ेक वीडियो से उसका कोई नाता है और न ही तुर्की के चुनावों में हस्तक्षेप करने की उसकी कोई इच्छा है.
इस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीबी संबंध रखने वालों में शुमार माने जाने वाले अर्दोआन ने चेतावनी दी, “अगर आप पुतिन पर हमला करेंगे तो मैं ये स्वीकार नहीं करूंगा.” इस्तांबुल में पार्टी समर्थकों की एक रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति अर्दोआन ने ये बात कही.
इससे एक दिन पहले तक वो राजधानी से दूर सिनकान शहर में पांच लाख लोगों की भीड़ को संबोधित करने पहुंचे थे. देखने में ये लोग उनके एकेपी पार्टी के समर्थक लग रहे थे.
सिनकान की सड़कें एकेपी पार्टी के नारंगी, नीले और सफेद रंग के झंड़ों से पटी दिख रही थीं. अर्दोआन की एक झलक पाने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे.
अर्दोआन के मंच पर आने का इंतज़ार कर रहे उनके समर्थक पार्टी के गीत गा रहे थे. एक तरफ लोगों का एक झुंड एक धुन में रे-चेप तै-य्यप अ-र्दो-आन का नाम ले रहा था.
रैली में अर्दोआन ने अपने समर्थकों से कहा, “हमने स्कूल बनाए हैं, यूनिवर्सिटी और अस्पताल खड़े किए हैं… हमने अपने शहरों की शक्लें बदल दी हैं. हम अपने लिए प्राकृतिक गैस और तेल का उत्पादन भी कर रहे हैं.”
पहले प्रधानमंत्री के तौर पर और फिर राष्ट्रपति के तौर पर अर्दोआन की रणनीति रही है देश का विकास जो आंखों को दिखे.
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान निर्माण से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को अंजाम दिया है जिसके सबूत बड़े शहरों में तो दिखते हैं लेकिन सिनकान में इसके निशान कम ही दिखते हैं.
उनकी पार्टी अभी भी लोगों के बीच मज़बूत स्थिति में है, लेकिन फिर भी उनकी निर्भरता उनके पीपुल्स गठबंधन में शामिल नेशनलिस्ट एमएचपी और दूसरी छोटी पार्टियों पर है.
उनका सबसे बड़ा वोट बैंक कंज़र्वेटिव या नेशनलिस्ट तुर्कों का है और वो उन्हें खुश करने के लिए पश्चिमी मुल्कों पर निशाना साधते रहे हैं. वो एलजीबीटी समुदाय को लेकर भी बयान देते रहे हैं.
एक रैली में उन्होंने कहा, “एकेपी पार्टी एलजीबीटी समुदाय के लोगों को अपने बगल में आने नहीं देती, वहीं एएचपी उन्हें पीपुल्स गठबंधन में आने से रोकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम परिवार की पवित्रता पर यकीन करते हैं.”
तुर्की की राजनीतिक व्यवस्था में संसद में प्रवेश पाने के लिए किसी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर या तो 7 फ़ीसदी वोट जीतने होते हैं या फिर ऐसा करने वाले गठबंधन का हिस्सा बनना होता है.
राष्ट्रपति पद पर जीतने वाले उम्मीदवार के लिए ये बेहद ज़रूरी है उनके पास संसद में भी ज़रूरी समर्थन हासिल हो, अपनी योजनाओं को अंजाम देने के लिए ये बेहद ज़रूरी होता है.
रेचेप तैय्यप अर्दोआन
फरवरी 1954 में काले सागर के तट के पास एक शहर में जन्म.
पिता कोस्ट गार्ड थे जो बाद में इस्तांबुल शिफ्ट हो गए. उस वक्त अर्दोआन 13 साल के थे.
युवा अर्दोआन सड़कों पर लेमनेड और ब्रेड बेचा करते थे.
इस्तांबुल के मरमाना यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में डिग्री ली. कई साल प्रोफ़ेशनल फुटबॉल भी खेला.
वेलफ़ेयर पार्टी से जुड़े और 1994 में इस्तांबुल के मेयर चुने गए.
नस्लीय हिंसा भड़काने वाली कविता सार्वजनिक तौर पर पढ़ने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुई और मेयर पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा.
अगस्त 2001 में उन्होंने अब्दुल्ला गुल के साथ मिलकर जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) बनाई.
2002 में संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की, 2003 में प्रधानमंत्री बने.
2003 से 2014 तक लगातार तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे.
2014 में और फिर 2018 में राष्ट्रपति चुने गए.
वामपंथी-मध्यमार्गी गठबंधन की उम्मीदवार आयसुन पलाली कोक्टास ने अंकारा में एक रैली में कहा कि इन चुनावों में अर्थव्यवस्था और भूकंप के बाद की मुश्किलों से निपटना तो बड़ी चुनौती है ही,, देश का गणतंत्र और लोगों का हक़ भी बड़े मुद्दे हैं.
उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहेंगे, ख़ासकर हमारे युवा नहीं चाहेंगे कि ट्वीट करते हुए भी उन्हें किसी बात का डर हो.”
हालांकि एकेपी पार्टी की उम्मीदवार 25 साल की ज़ेहरानूर आयदेमीर ने कहा कि वो मानती हैं कि युवा वोटरों के साथ सरकार का व्यवहार बेहद अच्छा है. वो कहती हैं, “हमारी पार्टी में हर स्तर पर आप युवाओं को ज़िम्मेदारी निभाते हुए देख सकते हैं.”
उम्मीद की जा रही है कि रविवार को होने वाले चुनावों में देश के भीतर और बाहर से क़रीब 6.4 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे.
राष्ट्रपति चुनाव में स्पष्ट जीत दर्ज करने के लिए उम्मीदवार को आधे से अधिक वोट हासिल करने होंगे.
अगर पहले राउंड के मतदान में किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले तो राष्ट्रपति चुनने के लिए 28 मई को दूसरा राउंड का मतदान होगा. इस राउंड में मुक़ाबला उन दो उम्मीदवारों के बीच होगा जिन्हें पहले राउंड में सबसे अधिक वोट मिले थे.
Bloomberg
@business
🧵Counting is underway in Turkey’s most pivotal elections in a generation, with President Erdogan locked in a close battle with rival Kilicdaroglu.
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Latest updates on Turkey’s presidential election results
Mac D
@Mac_FairChina
🇹🇷 Kilicdaroglu in first announcement since end of voting:
‘They’re blocking our votes with repeated objections to ballot boxes where we have high votes, 783 objections in Ankara alone, some being contested 11 times… but they won’t prevent the nation’s will!’
Ragıp Soylu
@ragipsoylu
Turkey elections update;
Runoff is almost certain now per two rival news agencies
Anka news agency; 94.45% of ballot boxes
• Erdogan; 49.02%
• Kilicdaroglu; 45.2%
• Ogan: 5.3%
Anadolu: 89.2% of ballot boxes
• Erdogan: 49.94%
• Kilicdaroglu: 44.3%
• Ogan: 5.3%
Erdogan supporters have already started the celebrations throughout Turkey. Victory speech soon?
#TurkeyElections #kemalkilicdaroğlu #Erdogan2023 #Eurovision #turkey #Election2023 pic.twitter.com/qXXmYBMwMX
— Laila (@LailaLAUS) May 14, 2023
Mohammed Qafar
@mohammed_qafar
Erdogan’s leadership is important not only for Turkey but for Muslims all over the world. The West, who are well aware of this, is clearly showing their support to the opposition party and they are pouring a lot of Mao. Finally, the crucial is the Turkish people.#TurkeyElections
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In Ankara, #Erdogan supporters are waiting for victory speech. #TurkeyElections #Turkey #2023secim pic.twitter.com/LMQJbwbKrG— shahinur (@shahinu_r) May 14, 2023