साहित्य

तेरी मेरी कहानी

Santosh Kumar Pant

Assitant Excutive Producer at Zee News
Lives in Delhi, India

From Chamoli, Uttarakhand, India
============

तेरी मेरी कहानी –
——-:——:—–
जीवन की कहानी शुरू होती है बच्चे के पैदा होने से।और शुरू होता है उसका बचपन।धीरे धीरे रोते और धोते हुए उसके 6-7 साल ऐसे ही निकल जाते है…फिर पढ़ाई…5वीं 6वीं क्लास तक कुछ समझ नहीं आता।क्या पढ़ा क्या नहीं।8 वीं क्लास आते आते तक थोड़ा थोड़ा समझ आता है कि पढ़ाई क्या है।फिर 12 तक स्कूल, स्कूल में शरारतें, खेल, मस्ती, पढ़ाई, लड़ाई,बोर्ड परीक्षाओं का तनाव सारी चीजों से लड़ कर आदमी अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए आगे बढ़ जाता है।सच मानिए कि जितना अच्छा मुझे स्कूल लाइफ लगती थी,उतनी अच्छी कॉलेज लाइफ नहीं।साल निकल जाते हैं 17.इसके बाद फिर से पढ़ाई, कंप्टीशन की तैयारी, जॉब लगने और न लगने के बीच का तनाव.मां पिताजी की टेंशन कि बच्चा कुछ कर पाएगा या नहीं..इन्ही उलझनों के बीच साल हो गए 28 या 30।किसी की किस्मत सही रही तो 19 मैं ही जॉब लग जाती है।ऐसे लोग समुद्र मंथन के बाद ही निकलते हैं।और इनके निकलने से दूसरों के परिवार पर ज्यादा दबाव बढ़ जाता है। कि ये लग गए…हमारे बच्चे कब लगेंगे।चलिए जॉब जिसकी लग गई सरकारी, प्राइवेट वो अपने अपने हिसाब से खुश रहते हैं। कि आखिर इतने तनाव के बाद जॉब तो मिली।अब आप नई कंपनी ज्वाइन करते हैं।यहां फिर काम करने का तनाव।काम समझना, काम करना, खुद से और दूसरे लोगों से जूझना, भविष्य की प्लानिंग करना जैसे बहुत से काम शामिल हैं।

अब आई शादी की बारी।मां पिताजी दूरबीन से लड़की की खोजबीन करनी शुरू करते हैं।खोजबीन इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि यहां खोज और बीन का अलग अलग महत्व है।आगे बढ़ते हैं।कभी मोटी,कभी पतली, कभी सांवली,कभी कभी शिक्षा कम,कभी मन से कम..कभी धन से कम(वैसे उत्तराखंड में इसका महत्व कम है). खैर आदमी अपने हिसाब से खोजता तो हीरा है।किस को क्या और कैसी जोड़ी मिली वो उसकी ऊपर से लिख कर आई किस्मत के हिसाब से मिल जाता है।साल हो गए 35. या किसी किसी के 40-45….अब बच्चे का तनाव…किसी के हों तो वो खुश…किसी के ना हों तो फिर तनाव।फिर इनको पालना पोसना…इनकी पढ़ाई..इनकी जॉब लगने तक का तनाव..शादी के लिए संघर्ष..वही चीजें जो मैने ऊपर लिखी भी हैं.वही सब जिंदगी का रिपिटेशन, जिन सब चीजों में आप भी उलझे हैं,और जिसमे हमारे मां पिताजी हमारे लिए उलझे रहते थे। हां तो अभी भी जिंदगी में बहुत कुछ करना है।ज्यादा कुछ हुआ नहीं है।इधर ईएमआई की तरह आपके जीवन के बेहतरीन बसंत आपके हाथ से निकले जा रहे हैं। है. अब आपके साल हो गए 55-60…अभी भी आपकी जिंदगी में करने को बहुत कुछ रह गया है…बच्चों की शादी, उनके लिए घर बनाना, उनके लिए पैसे जोड़ना।अपनी पत्नी और बच्चों को कोई दिक्कत न हो उसके लिए प्रॉपर प्लान तैयार करना।साल हो गए 60-65. अभी भी बहुत कुछ करना है।लेकिन जो भगवान की कृपा से बच गया वो कर पाता है, जहां प्रभु गुस्सा हुए वहां सारी व्यवस्थाएं क्रेडिट कार्ड की ईएमआई टाइप बनी रहती हैं…

तो कहानी (ज्यादातर लोगों की) मैं कवि ये कहना चाहता है कि प्रभु हम जी रहे हैं या जीवन काटने आए हैं।हमारे लिए समय कहां है।बच्चा पैदा होने से लेकर, आदमी बनने और जीवन के अंतिम पड़ाव तक तनाव में रहता है।और मरने के बाद भी ईएमआई पर है।हम लोग पूरी जिंदगी में 10-12 शहर सही से देख पाते है।कोई कोई तो जहां रहा,वहीं अंतिम दर्शन करने आना पड़ता है।हमने क्या देखा कुछ भी नहीं।अभी तो हमको आदमी उड़ते हुए देखना है।जो हवाई जहाज़ में हमारा पार्सल डिलीवर कर दे। अभी तो हम केवल जमीन पर जीवन से जुड़ी चिंताओं को दूर करने में लगे हैं।इसके बाद क्या होगा वो अगली दुनिया है।आदमी इस दुनिया में परेशान है तो अगली दुनिया में भी परेशान ही रहेगा।इसकी गारंटी है।प्रभु आपसे नम्र निवेदन है कि भैया जन्म दे तो रहे हो अच्छी बात है।लेकिन मरेंगे भाई अपने हिसाब से।जब मूड होगा तब।सब कुछ जीवन में देख तो लें यार।पूरी दुनिया तो घूम लें।इतनी हसीन रंगीन दुनिया है। साला पूरी जिंदगी के साथ तनाव का मिक्सचर डालकर,जिंदगी को रंग-हीन कर देते हो।