साहित्य

तो क्या सब कुछ यहीं ख़त्म हो जाएगा?…. संपादक आशीष कुमार शुक्ला का लेख पढ़िये!

पत्रकार आशीष कुमार शुक्ला (संपादक आशीष कुमार शुक्ला)

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मैं अब तक मम्मी पापा भाई या फिर दोस्तों से डांट सुन सुन कर लगभग सुधर गया हूं सोच लिया अब कोई काम करना है एक अच्छी सी लड़की से शादी करके तुम्हें भी दिखा देना है और सबको यही बोलूंगा कि भुला दिया है मैंने तुम्हें लेकिन तब भी मैं तुम्हारे मैसेजेस को आधी रात को निकाल कर पढूंगा और सोचूंगा शायद मेरे प्यार में ही कमी थी जो तुम्हें न पा सका फिर अपनी तकलीफ को कम करने की कोशिश करूंगा

2 साल बाद अब तुम कोई प्रेमिका या नई दुल्हन नहीं रही अब तुम #मां बन चुकी हो पुराने आशिक की याद और पति के प्यार को छोड़कर तुम अपने बच्चे के लिए सोचोगी अब तुम अपने बच्चे के साथ बिजी रहोगी

मतलब अब तक मैं तुम्हारी जिंदगी से परमानेन्टली डिलीट हो चुका हूं

इधर मुझे भी एक अच्छा काम मिल गया है शादी की बात चल रही है और लड़की भी पसंद हो गई है अब मेरा बिजी टाइम शुरू हो गया अब मैं तुम्हें सचमुच भूल गया हूं अगर किसी जोड़ी को देखता हूं तो तुम्हारी याद आती है लेकिन अब तकलीफ नहीं होती…
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यहां तक सुनने के बाद लड़के ने देखा लड़की की आंख में आंसू छलक रहे हैं लड़की भरी आंखों से लड़के की तरफ देखती है
दोनों बिल्कुल चुप हैं पर आंखे बरस रही हैं थोड़ी देर बाद

लड़की -“तो क्या सब कुछ यहीं खतम हो जाएगा?

लड़का -“नहीं.! किसी बात जब तुम रूठ जाओगी अपने पति से किसी बात पर लेकिन तुम्हारे पति आराम से सो रहे होंगे

पर उस रात तुम्हारी आंखों में नींद नहीं होगी और इधर मैं भी अपनी पत्नी से किसी बात पर खफा होकर तुम्हारी तरह जागूंगा. पूरी दुनिया सो रही होगी सिर्फ

हम दोनों के अलावा फिर हम अपने अतीत को याद करके खूब रोएंगे. एक दूसरे को बहुत महसूस करेंगे लेकिन इस बात का भगवान के अलावा और किसी को पता नहीं चलेगा ।