नई दिल्ली: सीरिया के आसमान में इन दिनों लड़ाकू विमान, मिसाइलें और बमबारी का धुंआ ही दिखाई देता है,विद्रोहियों के खिलाफ रूस और राष्ट्रपति बशर अल असद की सेनाओं ने अभियान छेड़ा हुआ है. देश की राजधानी दमिश्क के पास बसे घोउटा में बमबारी और हमलों में पिछले पांच दिनों में 403 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. इसमें बच्चों और महिलाओं की भी बड़ी संख्या है. साथ ही 2116 लोग घायल हुए हैं. इलाज के अभाव में घायल दम तोड़ रहे हैं. इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 30 दिन तक हमले रोकने को कहा है. लेकिन रूस ने इसे ठुकरा दिया है।
रूस और असद की सेना के वर्तमान हमले अब तक के सबसे भीषण हैं. रूस ने यहां पर हमलों में 200 से ज्यादा हथियारों का इस्तेमाल किया है. साथ ही अपने आधुनिक हथियारों को उसने यहां पर तैनात किया है. हमलों में अस्पतालों को भी भारी नुकसान पहुंचा है. सीरियन डिफेंस के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले पांच दिनों में 189 हवाई हमले, 57 एक्सप्लोजिव बैरल और 1000 गोले दागे गए हैं।
घोउटा पर ही हमले क्यों
सीरिया पिछले सात साल से गृहयुद्ध की आग में जल रहा है. घोउटा शहर विद्रोहियों का आखिरी गढ़ है. घोउटा शहर में करीब चार लाख लोग हैं और इनमें से कई बीमार हैं. लेकिन इन लोगों के शहर के बाहर जाने पर पाबंदी है. ताजा हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने अपने बयान में घोउटा को धरती का नरक बताया है. घोउटा को निशाना बनाकर असद सरकार विद्रोहियों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर करना चाहती है. पिछले तीन महीनों में यहां 1000 लोग मारे गए हैं।
घोउटा पर पिछले चार साल से सैन्य घेराव है. वर्तमान समय में यह सबसे बड़ा घेराव है. इसके चलते खाना, राहत और किसी भी अन्य तरह की सप्लाई पर रोक है. इसका नतीजा यह हुआ कि खाने की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं. गुप्त सुरंगों के जरिए सामाना लाया जाता है. इस इलाके में कैमिकल हमले भी हुए हैं।
सीरिया में क्यों हो रही है लड़ाई
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ छह साल पहले विरोध शुरू हुआ था. यह विरोध अरब देशों में चल रही अरब स्प्रिंग के तहत था. यह विरोध बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असद सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ था और पूरी तरह से शांत था. सबसे पहले विरोधी आवाज डेरा शहर में उठी. सरकार ने इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जिसके चलते विरोधियों ने हथियार उठा लिया. असद ने विरोधियों को विदेशी आतंकवादी बताया. हिंसा बढ़ने के चलते अब तक तीन लाख लोग मारे जा चुके हैं. देश के कई बड़े शहर जमींदोज हो चुके हैं. लाखों लोगों को देश छोड़कर जाना पड़ा है. इस लड़ाई में कई विदेशी ताकतें भी शामिल हैं. अमेरिका और तुर्की असद विद्रोहियों के साथ हैं. वहीं रूस असद के साथ है.