साहित्य

दहेज़ समाज का आज भी एक बड़ा और ख़तरनाक़ मुद्दा है, इसके कारण आज भी बेटियां इसका शिकार होती आ रही हैं!


Shikha Singh
Lives in Fatehgarh
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दहेज़ समाज का आज भी एक बड़ा और खतरनाक मुद्दा है। इसके कारण आज भी बेटियां इसका शिकार होती आ रही हैं।
दहेज़ लेना भी अपराध है दहेज़ देना भी और दहेज़ न देना भी अपराध की श्रेणी में आता है ।
दहेज़ न दिया जाये तो बेटियों को जीवन भर ताना या यातनाएँ झेलनी पड़ती हैं।
इसके लिये बेटियों को ही अपनी आवाज़ बननी होगी ताकी उनके सम्मान और जीवन की रक्षा हो और वो स्वयं कर सकती है। जब तक बेटी दहेज़ के ख़िलाफ़ लड़ाई नहीं लड़ती तब तक समाज द्वारा ऐसे ही बेटियों को प्रताड़ित किया जाता रहेगा ।
दहेज प्रथा भी एक ऎसी प्रथा है जो माता पिता इसे़ रोकना नहीं चाहते इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। इस प्रथा को बेटियां आवाज़ उठा कर आगे बड़ी हैं पर बहुत से घरो में आज भी बेटियां इसका शिकार हो रही है वो अलग अलग रुपों में ।
इसके लिए बेटियों को अपने साथ हो रहे किसी भी अत्याचार के ख़िलाफ़ खुद डटकर लडना होगा उसके लिए उनको अपना साथ खुद ही देना होगा ।
ये जरुरी नहीं कि हर अत्याचार के सबूत हो अपने स्वाभिमान और न्याय के लिए दहेज़ के ख़िलाफ़ आवाज़ बननी होगी ।
~शिखा सिंह

Shikha Singh
19 November 2022
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ये शोषण दिवस एक दिन मनाने से खत्म नहीं होगा इसके लिये कानून औत लोगों को कड़े कदम उठाने होंगे!
शोषण एक ही तरह का नहीं होता जिसे बलात्कार का रुप देकर छोड़ दिया जाता है
शोषण के क ई रुप होते हैं।
मानसिक तौर पर जो भी व्यक्ति किसी का शोषण करे या समाजिक हो किसी भी तरह का रुप ले लेते है शोषण के क ई चहरे हैं।
लोगों को हर चहरे से रुबरु होना पड़ेगा जब तक समाज खुद इस चहरे का बदलाव अपने अंदर नहीं लायेगा इसका यही नतीजा निकलता रहेगा ।
समाज को बदलने के लिये खुद से शुरुआत करे बदलाव निश्चित है।
शोषण लड़कियों पर ही नहीं समाज में सभी पर होता है
बच्चे बुजुर्ग जवान अलग अलग रुप में ।
~शिखा सिंह