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दिल्ली में हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध बने राजपूत समाज के युवक की ये बात सुनकर RSS और मनुवादी परेशान : वीडियो

दशहरा के समय पर भारत की राजधानी दिल्ली में दस हज़ार से ज़ियादा हिन्दू समाज के लोगों ने अपना पुराना धर्म त्याग कर बुद्ध धर्म अपनाया, जिसके बाद से सोशल मीडिया में लोगों की तरह तरह की प्रतक्रिया आ रही हैं, इन सब के बीच सोचने के बात ये है कि अगर इस तरह से अगर सिर्फ दस लोगो ने भी इस्लाम धर्म अपनाया होता तो हालात क्या होते, देशभर में बवाल पैदा कर दिया गया होता, नागपुर वालों से लेकर गुजरात के दो मित्रों की मण्डली भी हंगामे करवा रही होती

video source : The Janta Live

हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध बने राजपूत समाज की ये बात सुनकर RSS और मनुवादी परेशान

Sachin Pratap Singh Chauhan
इस वीडियो में राजपूत समाज का बन्दा है उसको कहा जा रहा है कि वो बौद्ध बन गया है , मैं राजपूत हूँ मैं भी महात्मा बुद्ध को पूज्य मानता हूँ बौद्ध समाज की इज्जत करता हूँ पर देश और समाज को तोड़ने बाले बौद्ध नहीं हो सकते हैं , अब तो बाबा साहब अम्बेडकर की आड़ में नफरत फैला कर देश और समाज को तोड़ने की साजिश हो रही है

Brajbhooshan Rajoriya
अच्छी बात है जो भी बिचारे सनातन धर्म से परेशान है हिंदू धर्म से परेशानी है कम से कम वह बौद्ध बनकर सुखी जीवन तो बिताएंगे और आरक्षण को भी छोड़ेंगे ना ही उनका कोई जाति अपमान करेगा और जो रह जाएंगे वह तो कम से कम कम मात्रा में ही सही परंतु सच्चे संत सनातन धर्म मानने वाले रह जाएंगे

GR Dabi Gadan Godan
वाह नवबौद्ध वाह क्या बात है कभी दलाई लामा को भी आमंत्रित कर नवबौद्धों के मंच से हिंदू धर्म के विरुद्ध कुछ शब्द बुलवाओ।

Ulpesh Jadav
जय भीम, नमो बुद्धाय..
जय मूलनिवासी जय संविधान जय भारत
हमारी शान भारत का संविधान।
हमारा अभियान हर घर संविधान।
हमें हमारे मानवीय हक अधिकार संविधान पालन से ही हमें मिल सकते हैं..
संविधान विरोधी देश विरोधी है..
संविधान विरोधीयो(देश विरोधी यो) का विरोध करना भारत के हर नागरिक का कर्त्तव्य है, दायित्व है..
ब्राह्मणवाद संविधान विरोधी है।
ब्राह्मणवादी संविधान विरोधी है।
संविधान विरोधी सरकार हो या सुप्रीम कोर्ट हो, उसका विरोध हम भारत के लोगों को करना चाहिए…
संविधान का पालन करो वर्ना कुर्सी खाली करो का नारा बुलंद होना चाहिए…

Satyapal Bhola
शाबाश बिटिया,आप का स्वाभिमान जाग चुका है ,अगर नारी वो भी युवा पीढ़ी जाग गई तो पाखंड वाद व गुलामी का दौर खत्म हो जाएगा ! साधुवाद ।

Ulpesh Jadav
हिंदु पहचान एक राजनीतिक पहचान है अल्पसंख्यांक कथित सवर्ण की हम भारत के लोगों पर सत्ता हासिल करने की एक राजनीतिक पहचान..
समाज में तो वे ब्राह्मण राजपूत बनिया के नाम से ही अपने आपकों प्रस्थापित करते है, और बाकी लोगों को पिछड़ा, शूद्र के नाम से… हिंदु के रुप में नहीं..

Santosh Kumar Gupta
अगर हिंदुओं के ज्ञान में वृद्धि हेतु बचपन से ही उसके आचरण और सिलेबस में वेद पुराण और संस्कृति का समावेश नहीं किया गया तो हिंदू धर्म का पतन और क्षरण होता रहेगा।।

Bhatt Om
बहुत अच्छी बात बोल रहे हैं सब समान है हम इस बात का पूर्ण समर्थन करते हैं किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए सब इन्सान एक है परन्तु आरक्षण भी नहीं होना चाहिए

Ashutosh Vinayak
बुद्ध अपने जीवन काल में कभी भी सनातन धर्म का विरोध नहीं किया था बल्कि सनातन धर्म के अंदर जो पाखंड थे उसका विरोध किया था।
बुद्ध और आज के बने नए नए बुद्ध के अनुयाई में यही फर्क है कि बुद्ध के अनुयाई नफरत से भरे हुए हैं और सनातन धर्म से नफरत कर रहे हैं और अपनी पीढ़ियों को नफरत करना सिखा रहे हैं।
नफरत बौद्ध पंथ का हिस्सा नहीं है। बुद्ध तो प्रेम और अहिंसा तथा मानवतावाद के प्रतीक हैं। लेकिन जो नए-नए बुद्ध के अनुयाई बन रहे हैं वह मुसलमानों की तरह बात कर रहे हैं और सनातन धर्म के प्रति और इसके देवी-देवताओं के प्रति नफरत भरी बातें कर रहे हैं। इस प्रकार की प्रवृत्ति इन्हें विनाश की ओर ले जाएगी।
सनातन धर्म में रहकर भी आप पाखंड का विरोध कर सकते हैं आप पाखंड को नहीं मांग सकते हैं। सनातन धर्म में इतना ज्यादा स्पेस है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। सनातन धर्म में रहते हुए किसने आपको मजबूर किया कि आप मंदिर जाएं या मंदिर नहीं जाए। किसने आपको मजबूर किया कि आप ब्राह्मणों से पूजा कराएं। किसने आपको मजबूर किया की देवी देवताओं को माने। नहीं माने आप। इसके बावजूद भी आप सनातन धर्म में रहेंगे।
यह सब बेकार की बात है और दलितों में कुछ लोग हैं जो मुस्लिम संगठनों के इशारे पर हिंदू समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं। दलितों को हिंदू से अलग करने का काम कर रहे हैं। हालांकि वह सफल नहीं होंगे। जितने लोगों ने दीक्षा ली है सब के सब 1-2 पर्सेंट को छोड़कर अंचल कार्यालय में जाकर जाति सर्टिफिकेट बनवा आएंगे और अपने को हिंदू लिखेंगे तथा आरक्षण का फायदा उठाएंगे।