नई दिल्ली: लम्बे समय से चले आरहे दोहरी नागरिकता के विवाद पर सियासी संग्राम पर बड़ा फैसला आया है जिसके बाद 40 लाख नागरिकों की नागरिकता पर तलवार लटक गई है, विपक्षी दलों का कहना है कि बड़े पैमाने पर सत्ता पक्ष ने खास मकसद से ड्राफ्ट में गड़बड़ी की है. वहीं सरकार का कहना है कि अगर गड़बड़ी हुई है तो लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए और मौके दिये जाएंगे।
असम की राजनीति में दखल रखने वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) सांसद बदरुद्दीन अजमल ने आज कहा, ”ये एक बड़ी राजनीतिक साजिश और लोगों को परेशान करने वाला है. सांसद ने कहा कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है. कोशिश हो रही है की अल्पसंख्यक लोग एकजुट न हो पायें.”
अजमल ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी ने चाहा ही नहीं की एनआरसी में नाम हो. उन्होंने कहा, ”हम नहीं चाहते की बांग्लादेशी यहां रहें मगर भारतीयों को भी वंचित न होना पड़े. कुछ लोग मनमानी कर रहे हैं.”
ध्यान रहे की नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) ड्राफ्ट में बदरुद्दीन अजमल के करीबियों का भी नाम नहीं है, जिसमें विधायक के परिवार वाले भी शामिल हैं.
बदरूद्दीन अजमल की पार्टी के नेताओं के परिवार के सदस्यों का नहीं है नाम
1. अमीनुल इस्लाम (एआईडीयूएफ) के जनरल सेक्रेटरी:
मां का नाम लिस्ट में नहीं है. परिवार के बाकी सदस्यों, भाई बहन का नाम है.
2. हाफ़िज़ इस्लाम :- पूर्व विधायक
बड़ी बहन का नाम नही है. सात भाई बहनों में से एक का नाम नहीं है बाकी छह लोगों का नाम है.
3. जहरूल इस्लाम :- यूथ प्रेसिडेंट
चाची का नाम नहीं. इस्लाम का कहना है कि परिवार के बाक़ी सदस्यों का नाम है मगर चाची का नहीं है. यह परेशान करने की कोशिश है. साजिश की जा रही है।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले पूर्ण मसौदे में असम के 2,89,83,677 लोगों का नाम है, जिसे सोमवार को प्रकाशित किया गया. गुवाहाटी में एनआरसी मुख्यालय में दस्तावेज को ऑनलाइन जारी करते हुए भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश ने कहा कि कुल 3,29,91,384 लोगों ने दस्तावेज में अपने नाम शामिल कराने के लिए आवेदन किया था लेकिन 40,07,707 लोगों के दस्तावेजों में कुछ खामियां पाए जाने के कारण उन्हें इससे बाहर कर दिया गया।
ड्राफ्ट को लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. सबसे मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी दिखी. ममता ने कहा कि एनआरसी लिस्ट में बंगालियों का नाम नहीं है, जिससे हम चिंतित हैं. 40 लाख लोगों के नाम ड्राफ्ट में ना होना बहुत ही भयावह है।