नई दिल्ली: दशकों से फिलिस्तीन और इज़राईल के बीच चली आरही जँग ने फिलिस्तीन के लोगों को मानसिक रूप से इतना पक्का कर दिया है कि अब वे गोलियों और बमों का मुक़ाबला अपने पत्थरों से करते हैं और इज़राईल के दुनिया मे सबसे खतरनाक समझे जाने वाले हथियारों के सामने सीना तानकर खड़े होजाते हैं।
फिलिस्तीन मुक़द्दस ज़मीन है जिसमें अल्लाह में अपने नबी और रसूल भेजे हैं ये अरब का मुक़द्दस और बरकत वाला इलाका है लेकिन हिटलर के यहूदियों के क़त्लेआम के बाद यहूदियों ने यहां आकर पनाह ली थी जिसके बाद उन्होंने धीरे धीरे फिलिस्तीन पर क़ब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया है।
पिछले दिनों अमेरिका ने बैतुलमुक़द्दस यानी येरुशलम को इज़राईल की राजधानी के रूप में घोषित किया था जिसके बाद दुनिया मे हँगामा मच गया था और अमेरिका को संयुक्त राष्ट्रसंघ में रुसवाई का सामना करना पड़ा था।
इज़राईल के सैनिकों का मुक़बाला करने में पुरुषों की तरह महिलाएं भी हमेशा आगे रहती हैं और बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं,इसी कारण से एक फिलिस्तीन की एक बहादुर बेटी अहद अल तमीमी ने इज़राईल के एक सैनिक को घुसा मार दिया था जिसके बाद तुर्की ने उसे वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था,लेकिन इज़राईल ने उसको गिरफ्तार किया हुआ है और उसके खिलाफ मिल्ट्री कोर्ट में मुक़दमा चलाया जारहा है।
जुमें के दिन इज़राईल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन में महिलाएं और लड़कियाँ बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं और अपने पुरुषों का हौसला बढ़ाने का काम कर रही हैं,आँसू गैस गोले और ज़हरीली गैस से बचने के लिए स्कार्फ और और हिजाब तथा मास्क लगाकर इज़राईल का सामना करती हैं।
30 मार्च को फिलिस्तीन में इज़राईल के खिलाफ एक मार्च आंदोलन शुरू हुआ था जिसको बाद में फिलीस्तीनियों के लिए भूमि दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है,30 मार्च को इज़राइली स्निपर्स ने 160 महिलाओं सहित 1,600 प्रदर्शनकारियों को घायल कर दिया है और 30 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।