सीमा पर देश की रक्षा करता हुआ जवान परिवार की हर खुशी और गम से दूर रहता है और एक दिन अचानक उसके घर ताबूत में बंद उसकी लाश पहुँचती है,जो उसके परिवार को तोड़कर रख देती है,बखेर देती है।
शहीद हेड कॉन्स्टेबल गुलाम हसन वागे और गुलाम रसूल लोन के बच्चे यह ईद अपने पापा के साथ नहीं मना पाएंगे। मंगलवार की सुबह दक्षिण कश्मीर के पुलवामा की जिला अदालत में आतंकवादियों ने गार्ड पोस्ट पर हमला किया जिसमें दोनों की मौत हो गई थी। उन्होंने अपने बच्चों से ईद पर घर आने का वादा किया था।
उनके बच्चों ने कहा, तुमने अपना वादा क्यों तोड़ दिया, पापा? तुमने हमें अकेला क्यों छोड़ा? क्या तुमने नहीं कहा कि मैं ईद के लिए घर जाऊंगा। वागे के बेटे को रिश्तेदारों को सांत्वना देने की कोशिश की।
वागे, जो 40 के दशक में बारामुल्ला में रफीबाद से आए थे, उनकी पत्नी और तीन बेटे, 22, 19 और 13 वर्ष की आयु के हैं।
उनकी घर पर ईद मनाने की योजना थी। श्रीनगर में रहने वाले लोन के दामाद मोहम्मद यूसुफ ने मंगलवार को कहा, ‘उन्होंने मुझे कल शाम कहा था, बच्चों को तैयार रखना मैं उन्हें घर ले जाऊंगा और कौन जानता था कि हमें इसे सुबह ऐसा देखना होगा।
लोन के पुत्र 12 और सात वर्ष की उम्र के हैं जबकि बेटी नौ साल है। उनकी पत्नी घरेलू कामकाजी महिला हैं। महिलाओं और बच्चों सहित हजारों लोगों ने दोनों के अंतिम संस्कारों में भाग लिया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता नवीनम अख्तर ने अलगाववादियों की चुप्पी पर सवाल उठाया।