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देश में क्या चल रहा है, प्रधानमंत्री जी…मणिपुर जल रहा है, मुस्लिम समाज में डर और तनाव का माहौल, सेना के जवान मस्जिद में जय श्री राम बोल रहे हैं : रिपोर्ट

दो देशों की यात्रा के बाद भारत पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री ने हवाई अड्डे पर अपनी पार्टी के अध्यक्ष व् अन्य नेताओं से पूंछा था,,,देश में क्या चल रहा है,,, बीजेपी नेताओं ने उन्हें बताया कि यहाँ सब चंगा है, देश में सब मज़े में हैं,,,,ऐसी ही कुछ जानकारियां मीडिया से मिल रही हैं, प्रधनमंत्री के पास पूरा तंत्र होता है वो देश में रहे या प्रदेश में पलपल की खबर उन्हें दी जाती है,,,,पुलवामा की जानकारी पता नहीं उन्हें समय पर मिली थी या नहीं, मणिपुर में तक़रीबन दो महीने से हिंसा हो रही है,,,प्रधानमंत्री जी आप को तो पता ही होगा मणिपुर भारत का ही एक राजय है,,,वैसे यहाँ मतलब कि भारत में आप की ही पार्टी और संगठन के लोग मुसलमानों को बातबात पर निशाना बनाते हैं,,,आप कभी बोलते क्यों नहीं?????

 

दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा ज़िले के जाडोरा गांव की मस्जिद में भारतीय सेना की एक टुकड़ी पर जबरन ‘जय श्री राम’ के नारे लगवाने का मामला सुर्ख़ियों में है.

जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्लाह, ग़ुलाम नबी आज़ाद और महबूबा मुफ़्ती ने इस मामले की सख़्त निंदा करते हुए जांच की मांग की है.

हालांकि इस मामले में भारतीय सेना और स्थानीय पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

सोमवार को दिन में क़रीब साढ़े बारह बजे दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा ज़िले के जाडोरा गांव की मुख्य सड़क पर पुलिस की तीन गाड़ियां खड़ी थीं.

पुलिसकर्मियों के साथ-साथ गांव के लोग मौजूद थे. तनातनी की स्थिति लग रही थी.

पुलिस की गाड़ी के पास गांव के अंदर जाने वाले रास्ते की तरफ़ देखा तो वहां हमें कई महिलाएं और कुछ पुरुष नज़र आए.

महिलाओं के बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो अधिकारी भी मौजूद थे जो भीड़ को समझाने की कोशिश कर रहे थे.

उस भीड़ के नज़दीक जाने पर एक महिला ने कहा, “कल को ये हम से कहेंगे कि आप लोग अब माथे पर टीका भी लगाएं. हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे.” इतना कहकर महिला आगे निकल गई.

डर और तनाव का माहौल
इस घटना के बाद से इलाके में डर और तनाव का माहौल है.

जाडोरा गाँव में रहने वाले मोहम्मद अल्ताफ़ भट्ट ने बीबीसी के साथ बातचीत में दावा किया है कि वह इस पूरे मामले के चश्मदीद गवाह हैं.

उनका दावा है, “ये बीते शुक्रवार (16 जून) आधी रात की बात है. मेरी भाभी ने मुझे बताया कि जावेद को सेना पकड़कर ले गई है. जावेद मेरा छोटा भाई है. भाभी ने कहा कि सेना के लोग हमारे गाँव में जाडोरा कैंप से आए थे. सेना ने क़रीब दो घंटे उन्हें अपने साथ रखा. हम जावेद की चीखें सुन रहे थे. आवाज़ें इस तरह की आ रही थीं कि उसे पीटा जा रहा था.”

”हमने भाई के पास जाने की कोशिश की तो सेना ने हमें वहाँ आने नहीं दिया. सेना ने हमारे दरवाज़े बंद कर दिए थे. इस बीच हमारी मस्जिद के मोअज़्ज़िन (मस्जिद में अज़ान देने वाला) मस्जिद में अज़ान दे रहे थे. जब वह अज़ान ख़त्म करके मस्जिद से बाहर आए तो सेना के लोगों ने उन्हें मस्जिद के बाहर पकड़कर “जय श्री राम” के नारे लगाने के लिए कहा.”

“जब उन्होंने इनकार किया तो उन्हें भी थप्पड़ मारे. इसके बाद उन्होंने दो – तीन बार “जय श्री राम” बोला. फिर उन्हें कहा गया कि यह शब्द आप मस्जिद के माइक पर बोलो. जब वह मस्जिद के दरवाज़े के पास पहुंचे तो वहीं से भाग निकले.”

हफ़्तेभर बाद दोबारा हुई घटना
मोहम्मद अल्ताफ़ बताते हैं कि इस घटना के एक हफ़्ते बाद एक बार फिर उनके गाँव में ऐसा ही हुआ है.

वह दावा करते हैं, “ये दो दिन पहले की बात थी. ये भी शुक्रवार की रात थी. मैं सो रहा था. इसी दौरान एक लड़के ने मुझे आवाज़ दी कि कुछ लोग आपको तलाश रहे हैं. मैं जब बाहर आया तो सेना की 50 राष्ट्रीय रायफ़ल्स (आरआर ) के लोग खड़े थे.”

“फिर उन्होंने मेरे भाई जावेद को ढूंढा. मैंने जावेद को बाहर निकाला और सेना के हवाले किया. इस दौरान गाँव का एक दूसरा लड़का भी आया जिसे सेना ने बुलाया था. इतने में गाँव के एक दूसरे युवा कामरान को वो उनके घर से अर्ध-नग्न हालत में लेकर आ गये. जिस कैंप से सेना आई थी, उसी कैंप के मेजर गाड़ी में बैठे थे. जब मैंने गाड़ी के नज़दीक जाना चाहा तो मुझे रोका गया.”

“इस दौरान उनकी पिटाई की गई. समय गुज़रते-गुज़रते रात के साढ़े तीन बज गए. गाँव का एक दूसरा लड़का आरिफ़ मस्जिद के पास ही रहता है. वो मस्जिद में अज़ान देने के लिए गया. उसे जानकारी नहीं थी कि सेना गाँव में है. मस्जिद में उसने अज़ान देनी शुरू कर दी. जब वो अज़ान खत्म करने वाला था और पूरी अज़ान हुई भी नहीं थी कि एकदम ख़ामोशी छा गई.”

सेना का जवान और ‘जय श्रीराम’ के नारे
“इतने में सेना का जवान मस्जिद में घुस गया और आरिफ़ से कहा कि “जय श्री राम” के नारे लगाओ. शायद उसने माना नहीं और उसने माइक बंद कर दिया. सेना ने माइक को फिर खोला और “जय श्री राम” पढ़ने के लिए कहा. ये हम खुद अपने कानों से सुन रहे थे. सेना का जवान उसे ये बोल रहा था कि जिस तरह आप अज़ान देते हो उसी तरह “जय श्री राम” भी पढ़ो.”

वो बताते हैं, “जिस मस्जिद में “जय श्री राम” के नारे लगवाए गए, उस मस्जिद से क़रीब चार सौ मीटर दूर एक दूसरी मस्जिद है. वहां से भी “जय श्री राम” के नारे पांच से सात बार लगाए गए. इस मस्जिद में हमारे गाँव के एक मास्टरजी से ये नारे लगवाए गए. ये मस्जिद गाँव की जामा मस्जिद है.”

गांववालों को किस बात का है डर?
अल्ताफ़ कहते हैं कि इतने में मेरी बहन ने मुझे आवाज़ दी कि जावेद को छोड़ दिया गया है और उसको पीटा गया है.

अल्ताफ़ का ये भी कहना था कि ‘मैं जब घर पहुंचा तो जावेद ने हाथ जोड़ कर मुझसे विनती की कि इस घटना के बारे में किसी को मत कहना.’

जावेद अहमद से हमने बात करने की कोशिश की थी लेकिन वह बात करने पर तैयार नहीं हुए.

गांव के एक दूसरे युवा ने बताया कि गाँव के एक व्यक्ति ने उस दिन हमें सुबह की नमाज़ पढ़ाई थी, उनसे सेना ने पहले ही कह रखा था कि मस्जिद में “जय श्री राम” के नारे लगाना.

उनका कहना था कि उस दिन हम सिर्फ़ पांच लोग मस्जिद में थे और जब नमाज़ खत्म हुई तो उस व्यक्ति ने माइक पर “जय श्री राम” के नारे लगाए.

उन्होंने बताया कि हम फिर डर के कारण बहुत देर तक मस्जिद से बाहर नहीं आए.

सेना की ओर से कोई जवाब नहीं
मोहम्मद अल्ताफ़ ने बताया कि सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के कुछ अधिकारी यहाँ आए थे और उन्होंने हमें भरोसा दिलाया है कि आगे इस तरह की घटना गाँव में नहीं होगी.

सोमवार को जाडोरा गाँव में मौजूद पुलिस के एक अधिकारी ने ऑफ़ द रिकॉर्ड बताया कि इस मामले को अब सुलझा लिया गया है.

मोहम्मद अल्ताफ़ ने ये भी बताया कि सेना के कमांडेंट ने उन्हें कैंप पर बुलाकर उनसे घटना के लिए माफ़ी मांगी.

उनका ये भी कहना था कि कमांडेंट ने उन्हें बताया कि आरोपी मेजर को अपनी ड्यूटी की जगह से हटाया गया है.

श्रीनगर में सेना के प्रवक्ता इमरान मोस्वी ने बीबीसी को बताया कि उन्हें अभी आधिकारिक रूप से घटना की या फिर मेजर को हटाने की कोई जानकारी नहीं है.

वहीं इस मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग़ सिंह और एडीजीपी विजय कुमार से लगातार कोशिशों के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया है.

जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्लाह, गुलाम नबी आज़ाद और महबूबा मुफ़्ती ने इस घटना की सख़्त निंदा करते हुए मामले में सख़्त जांच की मांग की है. कश्मीर के दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इस घटना पर सख़्त अफ़सोस ज़ाहिर किया है.

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माजिद जहांगीर

श्रीनगर से, बीबीसी हिंदी के लिए