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“देश में मुस्लिम नोजवान अपनी धार्मिक पहचान दाढ़ी रखने से ड़रते हैं”-फ़िल्म निदेश हंसल मेहता

धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अगर देखा जाये तो चहरे पर दाढ़ी का विशेष महत्त्व है,हर वर्ग धर्म मे दाढ़ी रखने का रिवाज रहा है,हिन्दू ग्रन्थ और वेद पुराण में भी राजा महाराजो तथा महाऋषियों के दाढ़ी बताई जाती है,ऐसे ही इस्लाम धर्म में भी दाढ़ी रखने को सुन्नत बताया गया है,और पैग़म्बर साहब ने दाढ़ी रखने को पसन्द किया है।

जैसे वेस्टर्न कल्चर लोगों की ज़िंदगी मे आता चला गया है वैसे वैसे वो अपने दीन धर्म पहचान से दूर होते चले जारहे हैं,जिसके कारण अपनी पहचान और शनाख्त को भूल गए हैं,इसी वजह से आधे तीतर आधे बटेर बने घूमते हैं ,और दुनिया के तानों का सामना करते हैं।

फ़िल्म निर्देशके हंसल मेहता ने दाढ़ी के रखने के बारे में बड़े काम की बात कही यह”यह एक डरावनी स्थिति है, जिसमें युवा मुस्लिम पुरुष धार्मिक पहचान के डर से दाढ़ी रखना नहीं चाहते, जबकि हिंदुओं ने भी इसी डर के कारण दाढ़ी रखना छोड़ दिया है. हो सकता है कि आने वाले समय में दाढ़ी अतीत की बात बनकर ही रह जाए.”

हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ के एक खौफनाक दृश्य में दिखाया गया है कि फिल्म के प्रमुख कलाकार राजकुमार राव की कार को चेक-पोस्ट पर रोक दिया जाता है और एक पुलिसकर्मी उन्हें बाहर निकलने के लिए कहता है, जो जानना चाहता है कि वह मुस्लिम है या उसने मुस्लिम से शादी की है।

हंसल मेहता कहा कि उन्हें भी एक बार इस तरह के सांस्कृतिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था,उन्होंने कहा, “यह तब की बात है जब मैं दाढ़ी रखता था. मेरे संगीत गुरु गुलाम मुस्तफा खान ने मुझे दाढ़ी रखने से मना किया क्योंकि इससे मैं मुसलमानों जैसा दिखता. वह अपने किसी भी बेटे को दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं देते थे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि दाढ़ी के कारण उनके बच्चे मुस्लिम के रूप में पहचान लिए जाएं. वह अनुभव मुझे हमेशा से याद रहा है. मैंने ‘ओमेर्टा’ में इसका इस्तेमाल किया.”

आपको बता दें निर्देशक हंसल मेहता की फिल्म ओमेर्टा इसी हफ्ते सिनेमाघरो में रिलीज हुई है. इस फिल्म में मुख्य किरदार राजकुमार राव ने निभाया है. समीक्षकों ने फिल्म की खूब तारीफ की है लेकिन सिनेमाघरों में दर्शक अभी फिल्म से दूर ही नजर आ रहे हैं