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देश मे धार्मिक सदभाव का वातावरण कैसे खराब किया जा रहा है, का ये एक छोटा सा उदाहरण!

Tajinder Singh
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Hats off to people of Bengal
देश मे धार्मिक सदभाव का वातावरण कैसे खराब किया जा रहा है, या कहिए की हो गया है, का ये एक छोटा सा उदाहरण।
नादिया, पश्चिम बंगाल की नाबाद्विप स्टेप अप डांस अकेडमी ने कवि रवींद्रनाथ और कवि नजरुल इस्लाम को याद करने के लिए एक वैष्णव मंदिर के नाट्य मंच को भाड़े पर लिया। प्रोग्राम के शुरू होने से कुछ ही पहले मंदिर के व्यवस्थापकों ने मंच की पिछली दीवार पर टँगे बैनर पर आपत्ति जताई। क्योंकि उसमें मुस्लिम कवि नजरुल इस्लाम की तस्वीर थी। प्रोग्राम के आयोजकों द्वारा व्यवस्थापकों को समझाने की कोशिश की गई कि नजरुल इस्लाम ने श्री कृष्ण जी की भक्ति में भी भजन लिखे हैं। बंगला साहित्य, संगीत, संस्कृति में नजरुल का योगदान अमूल्य है।
लेकिन व्यवसाथापक नही माने, अंततः बैनर को उतार कर कार्यक्रम का संचालन किया गया। इसी बीच कुछ दर्शकों ने मंच से बैनर को उतरते देखा तो जानकारी लेने पर उन्हें सारी घटना का पता लगा।
ये घटना सोशल मीडिया में भी आ गयी। और उस शहर के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। डांस अकेडमी की प्रधान वंदना साहा ने बताया कि मंदिर कमेटी ने उन्हें स्पष्ट कहा कि नजरुल इस्लाम की तस्वीर बैनर पर नही चलेगी। क्योंकि वो दूसरे धर्म से हैं। और उन्हें माला पहनाने का काम भी नही होगा। मंदिर कमेटी को कवि रवींद्रनाथ जी से कोई आपत्ति नही थी।
सोशल मीडिया में उपजे विरोध के बाद अंततः वैष्णव मंदिर राधा गोविंद के प्रधान श्री मलिका दासी ने घटना के लिए लिखित क्षमा मांगते हुए कहा कि हमने लोगो की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। हम समझते हैं की कवि नजरुल जी जाति धर्म से ऊपर हैं। हम इस घटना के लिए क्षमा मांगते हुए आश्वासन देते हैं कि ऐसी घटना दुबारा नही होगी।
इस घटना को लेकर मेरा मानना है कि ये बंगाल ही है। जहां लोगों ने मिलकर इसका विरोध किया। अगर कोई उत्तर भारत का राज्य रहता तो ऐसा विरोध कभी नजर नही आता।
Hats off to people of Bengal

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