मध्यप्रदेश को सुफलाम और गुजरात को सुजलाम बनाने वाली नर्मदा नदी की जयंती आज नर्मदा के सभी घाटों पर धूमधाम से मनाई जा रही है। कहते हैं कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन को नर्मदा जयंती या नर्मदा प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नर्मदा के धरती पर आगमन को लेकर कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार नर्मदा शिव की पुत्री हैं, जिन्हें अविनाशी होने के वरदान के साथ स्वयं भगवान शिव ने धरती पर भेजा था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार अमरकंटक की पहाड़ी पर ध्यान में लीन भगवान शंकर के पसीने की बूंदों से नर्मदा नदी का जन्म हुआ। एक तीसरी कहानी है, जिसके अनुसार राजा पुरूरव ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए भगवान शंकर की तपस्या की। पुरूरव की तपस्या के प्रसन्न होकर जब भगवान ने वरदान मांगने के लिए कहा तो राजा ने नर्मदा को धरती पर भेजने का वरदान मांग लिया। भगवान शंकर के निर्देश पर नर्मदा स्वर्ग से धरती पर उतर गईं। यही कारण है कि नर्मदा को शंकरी नदी भी कहा जाता है।
आइए इस वीडियो में मैप की सहायता से जाने मध्य प्रदेश की लाइफ लाइन माने जाने वाली और भारत की प्रमुख नदियों में से एक नर्मदा नदी के बारें।
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— Ministry of Jal Shakti 🇮🇳 #AmritMahotsav (@MoJSDoWRRDGR) January 24, 2023