साहित्य

निराशा से बचने के लिए जीवन में विविधता का होना भी आवश्यक : लक्ष्मी सिन्हा का लेख पढ़िये!

Laxmi Sinha
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निराशा की एक बड़ी कारण होती है दूसरों से बड़ी-बड़ी
अपेक्षाएं करना और जीवन के यथार्थ को स्वीकार नहीं
कर पाना । जैसा हम सोचते हैं वैसे ही सारा संसार
सोचने लगे, ऐसा सोच हमारी निराशा का कारण बनती
है। वर्तमान को छोड़कर भूत एवं भविष्य में अत्याधिक
विचारण करना भी निराशा को जन्म देती है।आशा जहां
जीवन में संजीवनी शक्ति का संचार करती है, वही निराश
व्यक्ति को मृत्यु की ओर ले जाती है। निराशा व्यक्ति
विरक्त एवं मृतप्राय हो जाती है। उसके अंदर मानसिक
शिथिलता आ जाती है। जीवन से निराशा व्यक्ति अपने
कर्तव्य के प्रति ही उदार्सीन हो जाता है। उसके अंदर
हीनता की भावना आ जाती है।निराशा व्यक्ति को संपूर्ण
शक्तियों को कूंद करके रख देती है। अतः उसके जीवन
मैं संपन्नता नहीं आ पाती। लाभ_हानि, बुढ़ापा, संयोग_
वियोग, मृत्यु के क्षण इस जीवन के यथार्थ है। इन्हें
स्वीकार करने से मन में निराशा नहीं रहती। स्वार्थ छोड़
जब परमार्थ की ओर बढ़ते हैं तो निराशा का अंधेरा भी
घटने लगती है। हमें बहुत अधिक निरर्थक वस्तुओं के
बारे में नहीं सोचना चाहिए। निराशा से बचने के लिए
जीवन में विविधता का होना भी आवश्यक है। उत्साह
में बड़ा बल होता है। उत्साहित व्यक्ति के लिए कोई
वस्तु दुर्लभ नहीं है। इस तरह आशावादी बनने के लिए
यह आवश्यक हो जाता है कि मन को लक्ष्य में व्यस्त
रखें। जीवन को एक खेल समझ कर जिए। यदि कोई
गलती हो जाए तो उसे अधिक गंभीरता से नहीं लेना
चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
इस जीवनरूपी रंगमंच के नाटक में कुशल पात्र की
भांति अपनी भूमिका निभाते रहना चाहिए। ऐसी
स्थिति में हमें ऊर्जा तथा आशावादी बनने में सहायता
मिलेगी।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)