देश

नूह में क़रीब 1200 से अधिक मक़ान/ दुकानों पर बुलडोज़र चला है, बुलडोज़र चला किसके मकान दुकानों पर है?

 

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
नूह हिंसा के आरोप में
@mlkhattar
सरकार ने नूह में क़रीब 1200 से अधिक मकान/ दुकान को बुलडोज़र चलवाकर ध्वस्त किया है। बुलडोज़र से ध्वस्त की गईं इन मकान/दुकानों में एक भी मकान दुकान बिट्टू बजरंगी का नहीं है, मोनू मानेसर का नहीं है। और तो और गुरूग्राम में मस्जिद को आग लगाकर नायब इमाम की हत्या करने वालों की मकान दुकान पर कोई बुलडोज़र नहीं चलाया गया है। तब सवाल है कि बुलडोज़र चला किसके मकान दुकानों पर, जवाब है मेवाती मुसलमानों के मकान दुकानों पर! यही न्याय है? यही राजधर्म है? और यही नए भारत का लोकतंत्र है, जिसमें मुसलमानों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा बर्ताव करना भाजपा सरकार की नीति बन गई है!

Samajwadi Party
@samajwadiparty
“INDIA और PDA मिलकर 80 की 80 सीटे जीतने जा रहा है। और इसलिए जीतने जा रहे हैं क्योंकि मिसाइल बनी नहीं, टैंक बने नहीं, पानी आया नहीं, अन्ना जानवर गए नहीं, पलायन रुका नहीं, बड़े पैमाने पर बेरोजगार, सूखे में राहत नहीं, बाढ़ में मदद नहीं, कोई काम पूरा नहीं किया।”

– माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी, लोक जागरण यात्रा, बांदा


Rana Ayyub
@RanaAyyub
4 lives could have been saved. 4 families could have been spared the trauma of a lifetime if this terror accused was arrested/ sacked after the hate case against him. But we are talking about a country where calls for ethnic cleansing, hate crimes get you rewarded, glorified.

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi
बिलकीस बानो केस में दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर बड़े सवाल उठाए हैं. शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा कि दोषियों को मौत की सजा के बाद वाली सजा यानी उम्रकैद क्यों मिली? वो 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हुए? कोर्ट ने पूछा कि 14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत बाकी कैदियों को क्यों नहीं दी गई?

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से बिलकीस बानो केस में सवाल किया, “इस मामले में खासतौर पर इन दोषियों को पॉलिसी का लाभ क्यों दिया गया? जेलें कैदियों से भरी पड़ी हैं, तो उन्हें सुधार का मौका क्यों नहीं मिला? बिलकीस के दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी? ” अदालत ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा है.

Bolta Hindustan
@BoltaHindustan
‘मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और बुलडोजर चलाने की धमकी का सामना करने वालों की आवाज न्यायालय में उठनी चाहिए’ : CJI चंद्रचूड़

डिस्क्लेमर : ट्वीट्स में व्यक्त विचार लेखक के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है, लेख सोशल मीडिया से प्राप्त हैं