नेफरतिती को प्राचीन दुनिया की सबसे ताकतवर स्त्रियों में एक माना जाता है. सबसे सुंदर स्त्रियों में भी उसकी गिनती होती है. उसकी आवक्ष मूर्ति विश्वप्रसिद्ध है लेकिन प्राचीन मिस्र की इस रानी के बारे में बहुत कम मालूमात है.
नेफरतिती की बस्ट को बर्लिन में देखा जा सकता है
अपनी मूर्ति (बस्ट) में नेफरतिती गर्वीली निगाह और निर्विकार भाव से कहीं दूर देखती हुई सी लगती है. प्राचीन मिस्र में करीब 3500 साल पहले रही उस स्त्री के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता चल पाया है. उसके नाम का मतलब है “सामने आई अपूर्व सुंदरी.”
लेकिन क्या वो लंबी या नाटी थी, क्या वो निर्दयी, उदार या मगरूर थी? उसकी तमाम निजी खूबियां इतिहास में गुम हो गईं. उसके समकालीनों से भी उसके जीवन से जुड़ी कहानियों की कोई सूचना नहीं मिलती है. रहस्यमयी नेफरतिती के बारे में सिर्फ कुछ प्राचीन नक्काशियों और अभिलेखों के जरिए काफी कम जानकारी ही मिल पाती है.
जानकारी सिर्फ ये है कि छोटी उम्र में, संभवतः 12 से 15 साल की उम्र में, वो आमेनहोतेप चतुर्थ की रानी बन गई थी. आमेनहोतेप चतुर्थ को “हेरेटिक फैरो” यानी “विधर्मी राजा” की उपाधि दी गई थी क्योंकि उसने पॉलीएथिज्म यानी बहुत सारे देवताओं को पूजने की प्रथा खत्म कर सिर्फ प्रकाश के देवता आतेन की आराधना का हुक्म दिया था.

फराओ राजा आखेननातेन और उनकी पटरानी नेफरतिती सूर्य की आराधना करते थे
उसने अपना नाम आमेनहोतेप से बदलकर आखेननातेन (आतेन का दास) कर लिया था जबकि नेफरतिती का नाम नेफरनेफेरुआतेन (आतेन की अनुपम सुंदरता) हो गया था. न्युएस म्युजियम के एक भाग इजिप्शियन म्यूजियम बर्लिन की उपनिदेशक ओलिविया सोर्न के मुताबिक, रानी को महान शाही बीवी का खिताब हासिल था और वो अपने पति के साथ बराबरी पर खड़ी रहती थी. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, “उन्होंने अपने आतेन देवता के साथ त्रयी बना ली थी. आतेन, आखेननातेन और नेफरतिती की त्रयी दरअसल एक प्रशासनिक इकाई थी.”
आतेन का नया शहर
1350 ईसापूर्व के आसपास, शाही दंपत्ति ने राजधानी थेबेस को छोड़ कर थोड़े से ही वक्त में आखेननातेन (आतेन का क्षितिज) शहर का निर्माण कर दिया था. उसकी आबादी 50 हजार की थी. ये शाही निवास, खड़ी चट्टानों से घिरी एक घाटी, अमारना के मैदान में था.
आखेननातेन ने अपने देवता को समर्पित एक मंदिर, गेम-पा-आतेन (आतेन मिल गया) भी रिकॉर्ड समय में बनवा दिया था. हालांकि एकेश्वरवाद की प्रथा चलाने की वजह से शासक दंपत्ति ने ताकतवर शत्रु भी बना लिए थे. हजारों पुजारी बेरोजगार हो गए थे.
अपने शासनकाल के 17वें साल में आखेननातेन की मौत हो गई. कोई निश्चित रूप से नहीं जानता कि उस समय नेफरतिती का क्या हुआ. एक थ्योरी ये है कि अपने पति की मौत के बाद उसने एक समय तक स्मेनखकारे के नाम से शासन किया हो सकता है. लेकिन ओलिविया सोर्न के मुताबिक “हो सकता है कि वो उससे पहले मर चुकी हो.”
‘मिस्र की सबसे जीवंत कलाकृति’
तूतनखामेन जैसे प्रसिद्ध राजा की छत्रछाया में आगामी फराओ वंश के ऐतिहासिक रिकॉर्ड ज्यादा विस्तार से मिलते हैं. तूतनखामेन ने अपने सलाहकारों के साथ मिलकर, पुराने देवताओं को फिर से स्थापित किया, अपने देवता आतेन का सम्मान करते हुए आखेननातेन की मूर्तियों को ध्वस्त कर दिया गया और उन जगहों का इस्तेमाल खदानों की तरह होने लगा. आखेतातेन की नयी राजधानी भी धराशायी हो गई.
हमें नेफरतिती के बारे में शायद कभी पता नहीं चलता अगर जर्मन आर्किटेक्ट और इजिप्टोलजिस्ट लुडविष बोरशार्ट ने 20वीं सदी की शुरुआत में मिस्र का दौरा ना किया होता. वो अमारना के प्रसिद्ध शहर की खोज में वहां गए थे. 6 दिसंबर 1912 को अपनी टीम के साथ खुदाई के दौरान उन्हें एक मूर्तिकार की वर्कशॉप मिल गई जो 1300 ईसापूर्व में शाही दरबार में काम करता होगा. मलबे के ढेर में बहुत सारी आवक्ष मूर्तियां पड़ी मिली थीं. जिनमें से एक पर गाढ़ा नीला मुकुट भी लगा था. उस आकृति के कान छेदे हुए थे और आंखों में सुरमा लगा था. बांयी आंख की पुतली गायब थी. लेकिन वैसे मूर्ति पूरी तरह से सुरक्षित थी.
बोरशार्ट उसे देखकर रोमांचित हो उठे. उन्होंने दर्ज कियाः “हमने अपने हाथों में मिस्र की सबसे जीवंत कलाकृति को थामा हुआ है. रानी की 47 सेंटीमीटर ऊंची, पेंट की हुई आदमकद आवक्ष प्रतिमा. ये काम बड़ा ही अद्भुत है. शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं, देख कर ही समझ आएगा.”
नेफरतिती का टोपीनुमा मुकुट प्राचीन मिस्र में सिर का एक सामान्य पहनावा था, जैसे कि विशालकाय विग्स. रानी का सिर बहुत संभव गंजा था- ताकि वो आसानी से भारीभरकम मुकुट पहन सके और सर पर जूं न पनपें.
क्या वो अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए मेकअप भी लगाती थी? सोर्न कहती हैं, “आज की तरह के मेकअप तो उस समय होते नहीं थे, लेकिन लोग अपनी आंखों पर मेकअप जरूर करते थे, उन्हें आइलाइनर से सजाते थे. उसका एंटीसेप्टिक असर भी होता था. बैक्टीरिया नहीं पनपते थे जिनसे आंखों की रोशनी जा सकती थी.”
प्राचीन वस्तुओं की अदलाबदलीः वेदी (आल्टरपीस) के बदले नेफरतिती
जर्मन ओरिएंटल सोसायटी ने बोरशार्ट के मिस्र अभियान की फंडिंग की थी. उसकी मदद से वो नेफरतिती की मूर्ति को बर्लिन ले आए. उस समय के नियमों के मुताबिक, तमाम प्राचीन सामग्रियों का मिस्र और खुदाई करने वाले देश के बीच बराबर बंटवारे का प्रावधान था. बोरशार्ट जर्मन साम्राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
जर्मन पुरातत्वशास्त्री लुडविष बोरशार्ठ नेफरतिती की मूर्ती को जर्मनी ले कर आए थे
फ्रांसीसी संरक्षण में एंटीक्वीटीज सेवा के निदेशक गैस्टन मास्पेरो ने अपने सहकर्मी गुस्ताव लेफब्रे को सामग्री के बंटवारे का जिम्मा सौंपा था. एक हिस्से में अन्य चीजों के अलावा नेफरतिती का बस्ट भी था, एक वेदी शिल्प (आल्टरपीस) था जिसमें शाही दंपत्ति आखेननातेन और नेफरतिती और उनके तीन बच्चे दिखाए गए थे.
काहिरा स्थित मिस्र के म्यूजियम के पास क्योंकि वेदी शिल्प नहीं था तो ये तय किया गया कि वो बस्ट नहीं लेगा. बाद में बोरशार्ट पर ये आरोप भी लगा कि उन्होंने आदर्श से कमतर स्थितियों में बस्ट को पेश किया था ताकि कि लेफब्रे को उसकी असली कीमत का अंदाजा ना होने पाए.
आधुनिक सौंदर्य पैमानों पर खरी उतरी नेफरतिती
इस तरह मिस्र की खूबसूरत रानी बर्लिन के सफर पर निकल चली जहां मूर्ति को पहली बार 1924 में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया. देखते ही देखते लोग नेफरतिती के दीवाने होते चले गए. पत्रिकाओं के मुखपृष्ठ मूर्ति की तस्वीरों से पट गए. सौंदर्य प्रसाधनों, परफ्यूम और गहने जेवरात के विज्ञापनों के अलावा बीयर, कॉफी और सिगरेट के विज्ञापनों में नेफरतिती छा गई.
हजारों साल से रेगिस्तानी रेत में कहीं दबी पड़ी नेफरतिती की मूर्ति एक चहेती प्रतिमा बन गई- जैसे कि वो असली रानी अपने संभवतः अपने जीवनकाल में रही होगी.
सोर्न कहती हैं, “शुरुआती 20वीं सदी में ही, वो आधुनिक सौंदर्य आदर्शों पर खरी उतर गई थी. गाल की ऊंची हड्डियां और नाजुक रूपाकार. हालांकि हम ये ठीक ठीक नहीं कह सकते कि 3500 साल पहले सुंदरता का पैमाना यहीं चीजें रही होंगी.”
रंगीन बस्ट ही नेफरतिती की मिली अकेली छवि नहीं है. प्राचीन नक्काशियां उसे धार्मिक समारोहों में आखेननातेन के हाथों में हाथ डाले दिखाती हैं या अपनी छह बेटियों की एक समर्पित मां की तरह. और भी मूर्तियां हैं: “वे तमाम चीजें कलाकार की अपनी सोच में ढली हैं यानी कि उसे क्या चीज सुंदर लगी थी. या उसने वो बनाया जो उसे राजा या आला अधिकारियों ने बनाने का निर्देश दिया था. लेकिन क्या उसमें वाकई असली नेफरतिती की झलक मिलती है?”
मूर्ति चूना पत्थर से बनी है जिसपर मूर्तिकार ने नेफरतिती की रूपाकृति उभारने के लिए स्टको यानी महीन पलस्तर का लेप किया था.
नेफरतिती की मूर्तियों की नकल आज भी बहुत बिकती है