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‘न्यायपालिका लोगों की अंतिम उम्मीद है लेकिन…’इसकी हालिया भूमिका से सवाल पैदा होते हैं’ : आरएसएस के लोग सिस्टम में घुस गये हैं : रिपोर्ट

अनंतनाग: गुजरात की एक अदालत द्वारा ‘मोदी सरनेम’ वाले मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील खारिज कर दिए जाने पर PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती बुरी तरह भड़क गईं। महबूबा ने गुरुवार को अदालते के इस फैसले के बाद बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ‘काला दिन’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोधी दलों के नेताओं को परेशान किया जा रहा है और वे या तो जेल में हैं या उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।

‘बीजेपी देश में लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है’

महबूबा ने अनंतनाग में कहा, ‘लोकतंत्र की जननी होने पर गर्व करने वाले मुल्क के लोकतांत्रिक इतिहास में आज काला दिन है। राहुल गांधी के साथ जिस प्रकार का बर्ताव किया जा रहा है, वह दिखाता है कि बीजेपी देश में लोकतंत्र का खात्मा चाहती है। वे ‘वन पार्टी सिस्टम’ लाना चाहते हैं और संविधान को दरकिनार करके ‘बीजेपी राष्ट्र’ बनाना चाहते हैं।’ जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री सूरत की एक अदालत द्वारा एक आपराधिक मानहानि मामले में सजा के खिलाफ राहुल गांधी की अपील खारिज कर दिए जाने पर प्रतिक्रिया दे रही थीं।

Mehbooba Mufti
@MehboobaMufti
BJP hounding opposition’s most prominent face & criminalising any & all forms of criticism reveals their true designs of establishing a BJP rashtra. Democracy is being subverted to turn India into a banana republic.Laws & agencies are being abused to favour one party’s supremacy

Mehbooba Mufti
@MehboobaMufti
Our last hope lies with the judiciary. Tragically we are witnessing the manner is which justice is delayed & how punishment is selectively meted out. Courts drag their feet on Article 370, Bilkis Bano & CAA but fast track trivial cases of alleged ‘defamation’.

Mehbooba Mufti
@MehboobaMufti
J&K was the first to bear the brunt of BJPs catastrophic unilateral decisions. Today,that fire is raging through India & threatens to engulf it in flames. Hope people of this nation comprehend the gravity of the situation & realise that the power to prevent this lies with them

‘न्यायपालिका लोगों की अंतिम उम्मीद है लेकिन…’

महबूबा ने कहा, ‘न्यायपालिका लोगों की अंतिम उम्मीद है लेकिन इसकी हालिया भूमिका से सवाल पैदा होते हैं। अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं को देखिए, वे कई साल से बिना सुनवाई के लंबित हैं। बिल्कीस बानो का मामला लंबित है, लेकिन राहुल गांधी के मामले में तेजी लाई जा रही है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद राहुल गांधी एक विश्वसनीय चेहरे के रूप में उभरे हैं और ऐसा लगता है कि बीजेपी उनकी लोकप्रियता से ‘डर’ गई है।’ महबूबा ने कहा कि मुझे भरोसा है कि लोग ‘वेस्ट इंडिया कंपनी’ के कुशासन के खिलाफ उसी प्रकार उठ खड़े होंगे जैसे वे 1947 से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ खड़े हुए थे।’

बाबू बजरंगी और माया कोडनानी बरी, मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की हुई थी मौत

अहमदाबाद: गुजरात की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया। अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद स्पेशल कोर्ट का यह फैसला आया है। अहमदाबाद स्थित SIT मामलों के स्पेशल जज एस के बक्शी की अदालत ने नरोदा गाम दंगों से जुड़े इस बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे।

अदालत के बाहर लगे ‘जय श्री राम’ के नारे

 

इस मामले की जांच सु्प्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT ने की थी। अदालत के विस्तृत आदेश की अभी प्रतीक्षा है। संक्षिप्त फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद कुछ आरोपियों ने अदालत के बाहर ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें गुजरात सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी, विहिप नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले आरोपमुक्त कर दिया था।

 

‘पुलिस की मौजूदगी में 11 लोगों को किसने जलाया’

पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील शहशाद पठान ने कहा कि बरी करने के आदेश को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। पठान ने कहा, ‘हम उन आधारों का अध्ययन करेंगे जिसपर विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला किया और आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ितों को न्याय से वंचित कर दिया गया है। सवाल यह है कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में 11 लोगों को किसने जलाया?’

 

कोर्ट में गवाह के रूप में पेश हुए थे अमित शाह

सितंबर 2017 में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह पूर्व मंत्री माया कोडनानी के पक्ष में, बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। वर्ष 2002 के गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित SIT का यह 9वां मामला है। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, लेकिन उनमें से 18 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। इन आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किए गए थे।

 

गोधरा कांड के बाद की है घटना, 11 लोगों की हुई थी मौत

गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोडा गाम इलाके में दंगों के दौरान 11 लोग मारे गए थे। आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 129 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चला। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 187 जबकि बचाव पक्ष ने 57 गवाहों का परीक्षण किया। जुलाई 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में करीब 14 साल बाद अब फैसला आया है।

 

यूं सामने आया था बाबू बजरंगी का नाम

इस मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन से बजरंग दल के बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी का नाम सामने आया था। बजरंगी बाद में VHP और शिवसेना में शामिल हो गया था। स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी महाराणा प्रताप जैसा कुछ काम करने की बात कहता नजर आया था और उसने माना था कि दंगे के वक्त वह नरोडा में मौजूद था। उसे मार्च 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी को 2013 में नरोदा पाटिया, जहां 97 लोगों की हत्या की गई थी, मामले में दोषी ठहराते हुए 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने उन्हें छुट्टी दे दी थी।