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न्यूज़क्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों पर हुई कार्रवाई की विदेशी मीडिया में जमकर आलोचना : रिपोर्ट

न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को सुबह-सुबह छापेमारी की थी. इन पत्रकारों के फोन और लैपटॉप सीज़ कर लिए गए.

घंटों चली पूछताछ के बाद न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ़ प्रबीर पुरकायस्थ और ह्यूमन रिसोर्सेज़ के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ़्तार किया गया है.

न्यूज़क्लिक पर चीन से फंडिग लेने और ‘चीन का एजेंडा’ चलाने का आरोप है. ये कार्रवाई ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए के तहत की गई है.

जिन पत्रकारों के घरों पर छापेमारी हुई है, उनमें वेबसाइट के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ, पत्रकार अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, भाषा सिंह, व्यंग्यकार संजय राजौरा, इतिहासकार सोहेल हाशमी शामिल हैं.

इस साल अगस्त में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में न्यूज़क्लिक वेबसाइट पर आरोप लगाए गए थे कि चीन का प्रॉपेगैंडा फैलाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के क़रीबी और अमेरिकी करोड़पति ने उन्हें फंडिंग की.

इसके बाद वेबसाइट के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज किया था. हालांकि न्यूज़क्लिक ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है.

न्यूज़क्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों पर हुई इस कार्रवाई को दुनिया भर के प्रमुख अख़बारों और मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से छापा है.

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, ”कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून वाले केस में भारतीय पुलिस ने मंगलवार को न्यूज़क्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों और कंट्रीब्यूटर्स के घरों पर छापेमारी की और उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए. न्यूज़क्लिक भारत सरकार की आलोचना करने वाला एक वामपंथी न्यूज़ आउटलेट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मीडिया पर तेज़ होते हमले का ये ताज़ा नमूना है.”

“सालों से मोदी सरकार न्यूज़क्लिक पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है. लेकिन इस साल अगस्त से मोदी सरकार ने न्यूज़ वेबसाइट की स्क्रूटनी तेज़ कर दी थी और आरोप लगाया कि चीन से न्यूज़ वेबसाइट ने फंड लिया है.”

पुलिस ने मंगलवार तड़के भारत में 30 से अधिक जगहों पर छापे मारे. पत्रकारों के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई की विपक्ष ने कड़ी निंदा की है और इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया है.

वॉशिंगटन पोस्ट लिखता है, ”भारत में स्वतंत्र मीडिया आउटलेट कड़ी सेंसरशिप से जूझ रहे हैं. इन संस्थानों को गिरफ्तारी और आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है. मोदी सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए छापेमारी बढ़ा दी है.”

‘मोदी के सत्ता में आने के बाद से गिरी प्रेस फ़्रीडम रैंकिंग’
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस छापे पर लिखा है कि पुलिस ने नई दिल्ली में पत्रकारों के घरों पर मंगलवार की सुबह छापे मारे और एक पत्रकार को गिरफ़्तार कर लिया है.

मोदी सरकार को रिपोर्ट करने वाली पुलिस की स्पेशल सेल विंग ने पत्रकारों पर ये कार्रवाई की है.

न्यूज़क्लिक पर साल 2021 में भारत के वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले की जांच करने वाली संस्था प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने छापा मारा था.

दो महीने पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें दावा किया गया कि न्यूज़क्लिक उस इंटरनेशनल नेटवर्क का हिस्सा है, जिसकी फंडिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक बिज़नेसमैन कर रहे हैं.

अंतराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रेस आज़ादी के मामले में 180 देशों की लिस्ट में भारत का स्थान 161 है.

न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत प्रेस की आज़ादी के मामले में 20 स्थान नीचे खिसक गया है.

दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “मुझे इस कार्रवाई को सही ठहराने की ज़रूरत नहीं है, अगर किसी ने ग़लत किया है तो जांच एजेंसियां जांच करेंगी.”

अल-जज़ीरा ने क्या लिखा?
क़तर के प्रसारक अल-जज़ीरा ने इस पर लिखा है कि भारत में पुलिस ने ‘चीन का प्रॉपेगैंडा चलाने के लिए विदेशी फंड लेने के आरोप में देश के प्रमुख पत्रकार और एक समाचार वेबसाइट के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत गिरफ्तार किया है.

गिरफ़्तारी से पहले दिल्ली पुलिस ने कई पत्रकारों के घरों पर छापे मारे और उनके फोन और लैपटॉप ज़ब्त कर लिये.

अल-जज़ीरा लिखता है कि 17 अगस्त को न्यूज़क्लिक और इसके पत्रकारों के ख़िलाफ़ यूएपीए की धाराओं के तहत के मामले दर्ज किए गए थे.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट की थी, जिसमें दावा था कि अमेरिका के बिज़नेसमैन नेविले रॉय सिंगमा ने न्यूज़क्लिक को फंड दिया. सिंगमा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक हैं और वो ‘चीन के प्रॉपेगैंडा को फैलाने के लिए वहां की सरकार के साथ मिल कर काम करते हैं.’

न्यूज़क्लिक ने इस तरह के आरोपों को पूरी तरह ख़ारिज किया है.

ब्रिटिश अख़बार फ़ाइनेंशिल टाइम्स ने भी इस पर लिखा है एक पुलिस अधिकारी ने एफ़टी को बताया ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून वाले एक केस में 46 संदिग्धों से पूछताछ की गई और उनके आवास पर छापे मारे गए. साथ ही जांच के लिए उनके डिज़िटल डिवाइस और दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया है.

इस न्यूज़ वेबसाइट के मालिक पर आरोप है कि उन्होंने चीनी व्यापारी से फंड लिया है.

2020 में लद्दाख में चीन और भारत के बीच हुई झड़प के बाद से मोदी सरकार ने चीनी कंपनियों और ऐप्स के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाया है.

विदेशी मीडिया में जमकर आलोचना
द गार्डियन ने लिखा है कि न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख के बाद न्यूज़क्लिक की चीन से फंडिंग का मुद्दा बीजेपी के सांसदों ने उठाया, इसके तुरंत बाद न्यूज़क्लिक के ट्विटर अकाउंट को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया और इस पर भारत की केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी ने जांच शुरू कर दी.

गार्डियन ने लिखा है कि न्यूज़क्लिक भारत के कुछ बचे हुए स्वतंत्र समाचार संगठनों में से एक है, इस पर साल 2021 से जांच चल रही है और अब इसके एडिटर इन चीफ़ को गिरफ्तार किया गया है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया वॉचर्स ने चिंता व्यक्त की कि यह रेड नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की मीडिया पर तेज़ होती कार्रवाई का हिस्सा है.

कई स्वतंत्र ऑनलाइन समाचार संगठनों, फैक्ट चेकर्स और थिंकटैंकों ने सरकार की आलोचना करने के बाद इस तरह की कठोर छापेमारी झेली है और उनके डिवाइस भी जब्त किए गए हैं.

पुलिस से घंटों चली पूछताछ के बाद पत्रकार अभिसार शर्मा ने कहा कि मैं सत्ता में बैठे लोगों से वाल पूछना जारी रखूंगा.

वरिष्ठ पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता ने दिल्ली पुलिस की पूछताछ के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “आज सुबह साढ़े छह बजे नौ लोग हमारे घर पर आए, मैं गुरुग्राम में रहता हूं, वो लोग मुझे लेकर यहां आए, मुझसे बहुत सारे सवाल किए. मुझसे पूछा कि आप सिग्नल इस्तेमाल करते हैं, मैंने कहा हां, फिर मुझसे पूछा कि दिल्ली दंगा आपने कवर किया, मैंने कहा ना, फिर पूछा आपने किसान आंदोलन कवर किया, मैंने कहा हां, अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग सवाल किए, मैं जवाब देता गया. सुबह साढ़े आठ बजे आया था, अब शाम छह बजे के क़रीब निकला हूं.”

एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर पूरे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है.

गिल्ड ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “गिल्ड को चिंता है कि ये छापे मीडिया पर लगाम लगाने की एक और कोशिश है. हालांकि हम मानते हैं कि अपराध की तफ़्तीश में क़ानून को उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अपना काम करना चाहिए.”

“किन्हीं अपराधों की जांच में कठोर क़ानूनों के तहत डराने-धमकाने का सामान्य माहौल नहीं बनना चाहिए. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,असहमति और आलोचनात्मक आवाज़ों को उठाने पर रोक नहीं लगनी चाहिए.”

Roshan Rai
@RoshanKrRaii

Shameful visuals of Modi’s ED dragging Rajya Sabha MP Sanjay Singh’s 87 Years old father inside to prevent him from speaking to the media.

Modi has crossed all limits.

AAP Chandauli
@AAP4Chandauli

सांसद
@sanjay
जी के घर पर ED फर्जी छापे के खिलाफ लखनऊ में साथियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही AAP प्रवक्ता इरम रिजवी जी से निकम्मी योगी पुलिस ने की अभद्रता मोदी जी ये AAP के सिपाही हैं तुम्हारी बंदरघुड़की और तानाशाह पुलिस की तानाशाही से डरने और झुकने वाले नहीं है
#SanjaySingh

Rajdeep Sardesai
@sardesairajdeep
Breaking news: another morning.. another raid. This time, ED raid on AAP leader and MP, Sanjay Singh in Delhi. Simple Qs: . Does ED function in BJP ruled states at all? 🙏